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Makar Sankranti in Devprayag: श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, 2 हजार दीपों से होगी गंगा आरती

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Published : Jan 14, 2023, 5:03 PM IST

Updated : Jan 14, 2023, 5:16 PM IST

संगम नगरी देवप्रयाग में मकर सक्रांति की धूम (Makar Sankranti in Devprayag) है. सुबह से ही श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. शाम देवप्रयाग में 2000 दियों को प्रज्वलित कर गंगा आरती (Ganga Aarti at Devprayag) की जाएगी.

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देवप्रयाग में मकर सक्रांति
देवप्रयाग में मकर सक्रांति

श्रीनगर: पूरे देश मे आज मकर सक्रांति धूमधाम (Festival of Makar Sankranti) से मनाई जा रही है. देवप्रयाग संगम नगरी (Makar Sankranti in Devprayag) में देश भर से आये श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान प्रदेश भर से आई देव डोलियों ने भी अलकनंदा, भागीरथी के संगम स्थल पर स्नान किया. लोग कड़कड़ाती ठंड में सुबह से ही देवप्रयाग पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते रहे. देर शाम देवप्रयाग में 2000 दीपों (2000 lamps lit in Devprayag) को प्रज्वलित कर गंगा आरती (Ganga Aarti at Devprayag) की जाएगी.

ये पहला मौका होगा जब देवप्रयाग में पहली बार धूमधाम से गंगा आरती की जाएगी. ये सारा कार्यक्रम पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाएगा. देवप्रयाग पंडा समाज के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य हरीश चंद तिवारी ने बताया रात 8.30 मिनट बाद मकर सक्रांति का पावन पर्व शुरू होगा, जो 15 जनवरी 12 बजे तक मनाया जाएगा. उन्होंने कहा देवप्रयाग में संगम में देश दुनिया से लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं.

पढ़ें- Uttarakhand snowfall: उत्तराखंड में जमकर बर्फबारी, चांदी सा चमका बदरीनाथ

राम से भी जुड़ी है कथा: उन्होंने बताया भगवान राम ने भी रावण की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए यहां यज्ञ किया. राजा दशरथ का भी प्रभु राम ने यही आकर पिंड दान किया था. उन्होंने बताया माना जाता है कि यहां देवता स्नान करने आते हैं. जिसके कारण इसे देवताओं का प्रयाग कहा जाता रहा है. इसी के कारण इस स्थल को देवप्रयाग के नाम से जाना जाता है. देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है. 7वीं सदी में देवप्रयाग को 'ब्रह्मपुरी', 'ब्रह्म तीर्थ' और 'श्रीखण्ड नगर' जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता था. देवप्रयाग को 'उत्तराखंड के रत्न' के रूप में भी जाना जाता है.

देवप्रयाग में मकर सक्रांति

श्रीनगर: पूरे देश मे आज मकर सक्रांति धूमधाम (Festival of Makar Sankranti) से मनाई जा रही है. देवप्रयाग संगम नगरी (Makar Sankranti in Devprayag) में देश भर से आये श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान प्रदेश भर से आई देव डोलियों ने भी अलकनंदा, भागीरथी के संगम स्थल पर स्नान किया. लोग कड़कड़ाती ठंड में सुबह से ही देवप्रयाग पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते रहे. देर शाम देवप्रयाग में 2000 दीपों (2000 lamps lit in Devprayag) को प्रज्वलित कर गंगा आरती (Ganga Aarti at Devprayag) की जाएगी.

ये पहला मौका होगा जब देवप्रयाग में पहली बार धूमधाम से गंगा आरती की जाएगी. ये सारा कार्यक्रम पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाएगा. देवप्रयाग पंडा समाज के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य हरीश चंद तिवारी ने बताया रात 8.30 मिनट बाद मकर सक्रांति का पावन पर्व शुरू होगा, जो 15 जनवरी 12 बजे तक मनाया जाएगा. उन्होंने कहा देवप्रयाग में संगम में देश दुनिया से लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं.

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राम से भी जुड़ी है कथा: उन्होंने बताया भगवान राम ने भी रावण की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए यहां यज्ञ किया. राजा दशरथ का भी प्रभु राम ने यही आकर पिंड दान किया था. उन्होंने बताया माना जाता है कि यहां देवता स्नान करने आते हैं. जिसके कारण इसे देवताओं का प्रयाग कहा जाता रहा है. इसी के कारण इस स्थल को देवप्रयाग के नाम से जाना जाता है. देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है. 7वीं सदी में देवप्रयाग को 'ब्रह्मपुरी', 'ब्रह्म तीर्थ' और 'श्रीखण्ड नगर' जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता था. देवप्रयाग को 'उत्तराखंड के रत्न' के रूप में भी जाना जाता है.

Last Updated : Jan 14, 2023, 5:16 PM IST
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