पौड़ी: जिले के धुमाकोट और रिखणीखाल के बाघ प्रभावित क्षेत्रों में अब ड्रोन और ट्रैपिंग कैमरों के बाद अब यहां वन विभाग ने चार लाइव कैमरे लगाएं हैं. हादसे के आठ दिन बाद भी बाघ को पकड़ने में अभी तक कोई सफलता हाथ लग नहीं पाई है.वन विभाग के गढ़वाल सहित लैंसडौंन और कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के अधिकारियों ने यहां डेरा डाला हुआ है.
बता दें बाघ के आतंक और दहशत को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही 25 से अधिक गांवों के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करवा दिया है. यहां धारा 144 के साथ ही रात्रि कर्फ्यू भी लगाया गया है. वन विभाग के साथ ही राजस्व की टीमें भी यहां तैनात की गई हैं. डल्ला में बाघ को पकड़ने के लिए मचान का भी बनाया गया, इसके बाद भी अभी तक बाघ को पकड़ने में वन विभाग नाकाम साबित रहा है.
ड्रोन और ट्रैपिंग कैमरों के बाद अब यहां वन विभाग ने चार लाइव कैमरे लगाएं हैं. अभी तक इस क्षेत्र में 20 ट्रैपिंग कैमरों के जरिए घूम रहे बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. ट्रैपिंग कैमरों का डाटा लेने के बाद ही बाघ की गतिविधि के बारे में पता चल रहा था, लेकिन अब लाइव कैमरे लग जाने के बाद बाघ की लोकेशन का पता लग सकेगा. वन महकमा बाघ को ट्रैंक्यूलाइज करने की कोशिश कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र को बाघ के आंतक से निजात दिलाई जा सके, लेकिन अभी तक इसमें सफलता हाथ नहीं आई.
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गढ़वाल वन प्रभाग डीएफओ स्वनिल अनिरुद्ध ने बताया बाघ की गतिविधियों पर टीमें लगातार नजर रख रही हैं. टीमों को यहां शिफ्ट में तैनात किया जा रहा है. हर दिन रणीनीति भी बदली जा रही है. डीएफओ के मुताबिक बाघ के फुट प्रिंट मिले हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां दो बाघों हैं. जिसमें एक मादा और दूसरा नर है. बाघ प्रभावित क्षेत्र डल्ला में अब डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम भी आ रही है, जो बाघ की गतिविधि को लेकर पूरी जानकारी जुटाएगी.