पौड़ी: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना और दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास होमस्टे योजना में प्रशासन को आवेदन ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. पर्यटन विभाग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में स्वरोजगार योजना में 18 और होमस्टे योजना में 10 आवेदन प्राप्त हो सके. इन आवेदनों में 13 वाहन के तो महज 7 आवेदन होम स्टे के लिए मिले.
पर्यटन विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए एडीएम इला गिरि ने होम स्टे और स्वरोजगार योजनाओं में कम आवेदन मिलने पर विभाग को फटकार लगाई. उन्होंने योजनाओं को लेकर विभागीय प्रचार-प्रसार बढ़ाने के निर्देश दिये. बताया कि इन योजनाओं को लेकर युवाओं को बैंक आदि के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे इन योजनाओं को लेकर युवाओं का मोह भंग हो रहा है. एडीएम ने सभी बैंकों को इन योजनाओं को लेकर ऋण प्रक्रिया को आसान करने के निर्देश दिये. एडीएम ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के वाहन मद के लिए साक्षात्कार आदि की भी जानकारी ली.
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जानें इन दोनों योजनाओं के बारे में: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत होटल, मोटल, रिजॉर्ट, योग ध्यान केंद्र, टैक्सी, कैरावान, मोटर होम टूरिज्म, टेरेन बाइक्स, कयाकिंग, एंगलिंग व ट्रेकिंग उपकरण, बेकरी व लाँड्री की स्थापना आदि के लिए सब्सिडी दी जाती है. योजना का लाभ लेने के लिए www.vcsgsheme.uk.gov.in वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
होमस्टे योजना: प्रदेश सरकार ने ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना शुरू की थी. होम स्टे में स्थापित घर के नवीनीकरण के लिए पात्र आवेदकों को बैंकों से ऋण लेने पर राजकीय सहायता प्रदान की जाती है. होम स्टे संचालकों को आतिथ्य सत्कार का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. 30 लाख तक की सीमा तक व्यावसायिक ऋण की स्वीकृति के सापेक्ष बंधक विलेश पर शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाती है. पुराने भवनों में उच्चीकरण, साज सज्जा, अनुरक्षण एवं दो लाख तक सीमा में नए शौचालयों का निर्माण पर भू परिवर्तन से मुक्त किया गया है. मैदानी जिले में लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम 7.50 लाख जबकि मूल राज सहायता एवं पांच साल तक अधिकतम एक लाख वर्ष की व्याज रहित सहायता का लाभ दिया जाता है. पर्वतीय जिलों में लागत पर 33 प्रतिशत व अधिकतम दस लाख तक का लाभ दिया जाता है. साथ ही ब्याज अधिकतम डेढ़ लाख है.
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होम स्टे योजना की शर्तें: भवन में मकान मालिक परिवार के साथ रह रहा हो. भवन का होम स्टे योजना में पंजीकरण जरूरी. पर्यटकों के लिए एक से अधिकतम छह कमरों की व्यवस्था होगी. पारंपरिक पहाड़ी शैली में निर्मित भवनों को प्राथमिकता योजना का मकसद. स्थानीय लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराते हुए उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर करना. पर्यटकों को राज्य के व्यंजन, संस्कृति, एतिहासिक धरोहरों, पारंपरिक पहाड़ी शैली से परिचित कराना. ऑनलाइन पंजीकरण के लिए उत्तराखंड पर्यटन की होम स्टे से संबंधित वेबसाइट में लॉग इन करना होगा.