श्रीनगर: पौड़ी के श्रीनगर में कोरोना महामारी के कारण एक बुजुर्ग की मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. शव को कंधा देने के लिए परिवार का कोई सदस्य सामने नहीं आया. ऐसे में अस्पताल के स्टाफ ने शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया. काफी समझाने-बुझाने पर बुजुर्ग के बेटे ने चिता को मुखाग्नि दी. वहीं, परिजनों की इस हरकत को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीएम रावत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की.
दरअसल परिजनों को बुजुर्ग की कोरोना से मौत की जैसे ही सूचना मिली, वो डॉक्टरों को बिना इत्तला किए चले गए. मेडिकल कॉलेज स्टाफ ने परिजनों से कॉन्टैक्ट किया तो सभी टाल-मटोल करने लगे. मेडिकल कॉलेज के स्टाफ और पुलिस के काफी समझाने के बाद बुजुर्ग के बेटे सहित परिवार के 3 लोग आने को राजी हुए. फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. पुष्पेंद्र और एनाटॉमी विभाग का वॉर्ड ब्वाय अनिल, बुजुर्ग की अर्थी को मोर्चरी से श्मशान तक लेकर गए.
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प्रो. सीएम रावत ने बताया, कि वैसे तो प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना संक्रमित की मौत होने के बाद शव को डिसइंफेक्टेड (नि:संक्रामक) कर डबल शीट में लपेटकर परिजनों को सौंप दिया जाता है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन का एक प्रतिनिधि घाट पर प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करवाने के लिए जाता है. लेकिन इस मामले में तो बुजुर्ग की अर्थी को डॉक्टरों को कंधा देना पड़ा, जो कि परिजनों के लिए काफी शर्म की बात है. डॉक्टरों ने ही चिता लगाई. उन्होंने कहा, कि लोगों को इस तरह से नहीं डरना चाहिए.
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वहीं चौकी प्रभारी महेश रावत ने बताया, कि परिजनों को हिंदू धर्म के रीति-रिवाज, धार्मिक संस्कार और रिश्तों की दुहाई दी गई. जिसके बाद मुश्किल से मृतक के बेटे सहित 3 लोग आए. जैसे ही मृतक के बेटे को पीपीई किट पहनाई गई ये नजारा देख कर साथ में आए 2 लोग वहां से भाग गए.