कोटद्वारः उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे की बदहाल हालत किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं है, जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं, तो वहां पर दवाईयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. इसकी बानगी कोटद्वार के सरकारी अस्पतालों में देखने को मिल रहा है. यहां पर रेबीज के इंजेक्शन भी नहीं मिल रहे हैं. इसी कड़ी में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पूर्व सैनिकों ने तहसील परिसर में धरना दिया. साथ ही जमकर प्रदर्शन करते हुए स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांग की.
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. ऐसे में प्रदेश की लचर स्वास्थ्य सरकार के दावों की पोल खोल रही है. इसी कड़ी में पूर्व सैनिक सेवा परिषद की कोटद्वार इकाई ने तहसील परिसर में धरना दिया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग संभाल रहे मुख्यमंत्री पर जनता ने भरोसा जताया था कि स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर आएगी, लेकिन वो जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे हैं. इतना ही नहीं प्रदेश में रेबीज के इंजेक्शन भी नहीं मिल रहे हैं.
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पूर्व सैनिक गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल ने कहा कि रेबीज के इंजेक्शन पूरे उत्तराखंड में नहीं मिल रहे हैं. बेस अस्पताल और प्रदेश के अन्य चिकित्सालयों में बीते छह महीने से रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में किसी को बंदर और कुत्ता काट दे, तो उसे इंजेक्शन लगाने के लिए दूसरे शहर की ओर रूख करना पड़ रहा है.
वहीं, सुभाष कुकरेती का कहना है कि पहले भी बेस अस्पताल में रेबीज के टीके के लिए वो सरकार से भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार जल्द ही बेस समेत अन्य अस्पतालों में रेबीज के टीके की उपलब्ध नहीं कराती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. साथ ही कहा कि पूर्व सैनिक सेवा परिषद की मांग है कि प्रदेश में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने पर स्वास्थ्य मंत्री तत्काल इस्तीफा दें.