श्रीनगर: प्रदेश के प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर की भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा. इस संबंध में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने 2 दिसंबर को कमलेश्वर मंदिर की भूमि की पैमाइश करने के आदेश जिला प्रशासन को जारी किए हैं. पैमाइश होने के बाद जिन लोगों ने भी मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण किया होगा, उसे हटा दिया जाएगा. अतिक्रमण हटाने के बाद मंदिर परिसर को भव्य बनाये जाने की योजना बनाई जा रही है.
गढ़वाली राजाओं ने दी थी 390 नाली भूमि: मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि गढ़वाल के राजाओं द्वारा मंदिर को 390 नाली भूमि दी गई थी. जिसका विवरण ईवट्सन के बंदोबस्त (खसरा खतौनी) में भी दर्ज है. श्रीनगर में इस भूमि पर फूलों, फलों, अनाज और सब्जी की खेती की जाती थी, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने मंदिर की भूमि पर कब्जा कर लिया. अब यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि अब भी 40 नाली से अधिक भूमि वर्तमान में मंदिर के नाम दर्ज है, जिस पर कब्जा कर लिया गया है, जबकि मंदिर परिसर कुछ भूमि पर ही बना है.
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2 दिसंबर को भूमि की होगी पैमाइश: कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि अतिक्रमण की गई भूमि को मुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी को आदेश दिया गया है. 2 दिसंबर को प्रशासन की टीम भूमि की नाप करेगी. इसी बीच अगर भूमि पर अतिक्रमण पाया जाता है, तो उस अतिक्रमण को हटाया जाएगा. उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटने के बाद प्रसिद्व कमलेश्वर मंदिर परिसर को विस्तार दिया जाएगा. जिसका सारा खर्च सरकार वहन करेगी.
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