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सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीण, करोड़ों खर्च होने के बाद भी 'सूखा' है गला

खिर्सू ब्लॉक के 27 गांव सालों से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. जिसके हल के लिए साल 2014 में सरकार द्वारा 27 करोड़ की योजना को लागू किया गया था. जिसके तहत अभी तक 18 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना अधूरी पड़ी है. जिसके चलते करीब 18 सालों से ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.

18 सालों से इन 27 गांवों को नहीं मिला पेयजल.
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Published : Jun 29, 2019, 12:07 AM IST

श्रीनगर: खिर्सू ब्लॉक के 27 गांव सालों से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. जिसके हल के लिए 2006 में तत्कालीन पेयजल मन्त्री प्रकाश पन्त के कार्यकाल के दौरान पहली बार डीपीआर बनी थी. जिसके बाद साल 2014 में सरकार द्वारा 27 करोड़ की योजना को लागू किया गया था. जिसके तहत अभी तक 18 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना अधूरी पड़ी है. जिसके चलते करीब 18 सालों से ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.

18 सालों से इन 27 गांवों को नहीं मिला पेयजल.

बता दें कि खिर्सू ब्लाक के 27 गांव इस योजना की मांग साल 2001 से उठा रहे हैं. लेकिन वाबजूद इसके आज तक ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है. साल 2014 में इस योजना का फाइनल ब्लू प्रिंट तैयार हुआ. इस योजना की कुल लागत 27 करोड़ 57 लाख करोड़ आंकी गई. अबतक योजना के अंतर्गत 18 करोड़ 68 लाख खर्च हो चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना बंद पड़ी है.

ये भी पढ़े: नशे में धुत पर्यटकों का हाई वोल्टेज ड्रामा, राहगीरों को कुचलने की कोशिश

हालांकि वर्ष 2019 के सितम्बर माह में इस योजना के पूरा होने की लक्ष्य रखा गया था. लेकिन पेयजल योजना के पंप हाउस का निमार्ण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
गौर हो कि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जो टैंक बनाये गये थे. उन टैंकों में पानी आने से पहले ही दरारें आ गई हैं. साथ ही योजना के लिए बिछाई गई पाइप लाइन भी कई स्थानों से गायब हो चुकी हैं.

श्रीनगर: खिर्सू ब्लॉक के 27 गांव सालों से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. जिसके हल के लिए 2006 में तत्कालीन पेयजल मन्त्री प्रकाश पन्त के कार्यकाल के दौरान पहली बार डीपीआर बनी थी. जिसके बाद साल 2014 में सरकार द्वारा 27 करोड़ की योजना को लागू किया गया था. जिसके तहत अभी तक 18 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना अधूरी पड़ी है. जिसके चलते करीब 18 सालों से ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.

18 सालों से इन 27 गांवों को नहीं मिला पेयजल.

बता दें कि खिर्सू ब्लाक के 27 गांव इस योजना की मांग साल 2001 से उठा रहे हैं. लेकिन वाबजूद इसके आज तक ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है. साल 2014 में इस योजना का फाइनल ब्लू प्रिंट तैयार हुआ. इस योजना की कुल लागत 27 करोड़ 57 लाख करोड़ आंकी गई. अबतक योजना के अंतर्गत 18 करोड़ 68 लाख खर्च हो चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना बंद पड़ी है.

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हालांकि वर्ष 2019 के सितम्बर माह में इस योजना के पूरा होने की लक्ष्य रखा गया था. लेकिन पेयजल योजना के पंप हाउस का निमार्ण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
गौर हो कि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जो टैंक बनाये गये थे. उन टैंकों में पानी आने से पहले ही दरारें आ गई हैं. साथ ही योजना के लिए बिछाई गई पाइप लाइन भी कई स्थानों से गायब हो चुकी हैं.

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एंकर-श्रीनगर विधानसभा के खिर्सू ब्लाॅक के कई गांवों मे पानी की परेशानी कई सालों से बनी हुई है लेकिन इस क्षेत्र के 27 गांव की 110 बस्तियों कों पानी उपलब्ध करवाने के लिए 27 करोड़ की योजना पिछले Kai साल से अधूरी पड़ी है जबकि इस योजना के लिए अब तक 18 करोड़ 68 लाख खर्च हो चुके हैं । श्रीनगर व खिर्सू के बीच 27 गांव पिछले कई सालों से पानी की किलल्त से कई सालों से जूझ रहे है। इस योजना की मांग साल 2001 से उठ रही है और जिस पर 2006 -07 मे तत्कालीन पेयजल मन्त्री प्रकाश पन्त के समय पहली बार डीपीआर बन चुकी थी लेकिन इसके बाद साल दर साल योजना का रूप बढता गया और एक के बाद एक सर्वे हुआ और डीपीआर बनी लेकिन साल 2014 मे इस योजना का फाइनल ब्लू प्रिंट तैयार हो सका । योजना को सरकार से 2014 मे स्वीकृति मिल पाई। योजना की कुल लागत 27 करोड़ 57लाख करोड़ आंकी गई जिसमे से 18 करोड़ 68 लाख खर्च हो चुके हैं । जबकि इतनी राशि खर्च होने के बाद भी इन चार सालों से योजना आधी अधूरी पड़ी है। इसी वर्ष जिस योजना का सितम्बर माह में कार्य पूर्ण होने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन पेयजल योजना का पम्प हाउस का निमार्ण कार्य शुरू भी नही हुआ। वहीं हकीकत ये हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों मे जो टैंक बनाये गये थे वे टैंक घटिया निमार्ण कार्य के कारण पानी आने से पहले फटने लगे हैं , योजना के पाइप लाइन कई जगहों पर गायब हो चुके हैं,
बाइट-1-vinod ग्रामीण
बाइट-2- kamal ग्रामीणConclusion:
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