श्रीनगर: खिर्सू ब्लॉक के 27 गांव सालों से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं. जिसके हल के लिए 2006 में तत्कालीन पेयजल मन्त्री प्रकाश पन्त के कार्यकाल के दौरान पहली बार डीपीआर बनी थी. जिसके बाद साल 2014 में सरकार द्वारा 27 करोड़ की योजना को लागू किया गया था. जिसके तहत अभी तक 18 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना अधूरी पड़ी है. जिसके चलते करीब 18 सालों से ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.
बता दें कि खिर्सू ब्लाक के 27 गांव इस योजना की मांग साल 2001 से उठा रहे हैं. लेकिन वाबजूद इसके आज तक ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है. साल 2014 में इस योजना का फाइनल ब्लू प्रिंट तैयार हुआ. इस योजना की कुल लागत 27 करोड़ 57 लाख करोड़ आंकी गई. अबतक योजना के अंतर्गत 18 करोड़ 68 लाख खर्च हो चुके हैं. लेकिन पिछले चार सालों से यह योजना बंद पड़ी है.
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हालांकि वर्ष 2019 के सितम्बर माह में इस योजना के पूरा होने की लक्ष्य रखा गया था. लेकिन पेयजल योजना के पंप हाउस का निमार्ण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
गौर हो कि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जो टैंक बनाये गये थे. उन टैंकों में पानी आने से पहले ही दरारें आ गई हैं. साथ ही योजना के लिए बिछाई गई पाइप लाइन भी कई स्थानों से गायब हो चुकी हैं.