श्रीनगर: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि 2024-25 तक रेल कर्णप्रयाग पहुंच जाएगी. इसी कड़ी में रेल लाइन के काम के चलते राष्ट्रीय भू भौतिकीय अनुसंधान की टीम श्रीनगर आई हुई है. ये टीम हवाई मार्ग से रेलवे लाइन का हेली बॉर्न ट्राजेन्ट इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे कर रही है.
इस सर्वे के जरिये रेलवे लाइन टनलों की जगहों का इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे किया जा रहा है. जिसमें हेलीकॉप्टर की मदद से पहाड़ियों की इलेक्ट्रो मैग्नेटिव मैपिंग की जा रही है. जिसमें देखा जा रहा है कि पहाड़ियां कितनी मजबूत हैं, कहीं इनमें कोई छिद्र या कोई दरार इत्यादि तो नहीं है. इन सभी चीजों की मैपिंग करके इसकी जानकारी रेलवे को भेजी जाएगी. इस पूरे कार्य को करने के लिए विदेश से लाई गई हेली बॉर्न ट्राजेन्ट इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिस्टम की मदद ली जा रही है.
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इस सर्वे को श्रीनगर से संचालित किया जा रहा है जो ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक किया जाना है. सर्वे टीम का नेतृत्व कर रहे सीएसआई आर (राष्ट्रीय भू भौतिकीय अनुसंधान) के निदेशक डॉ. वीरेंद्र मणि तिवारी ने बताया कि सर्वे में मशीन के जरिये मेग्नेटिव फील्ड तैयार किया जाता है. जिसका डाटा एकत्र कर उसका जियो लॉजिकल विश्लेषण किया जाता है. जिसके आधार पर टनल निर्माण की जगहों की हर छोड़ी बड़ी चीजों का डाटा एकत्र कर किया जाता है. उसके बाद इन सभी जानकारियों को रेलवे विकास निगम को भेजा जाएगा. जिसके आधार पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल निर्माण का कार्य किया जाना है.
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2024-25 तक कर्णप्रयाग पहुंच जाएगी रेल
उम्मीद जताई जा रही है कि 2024-25 तक रेल कर्णप्रयाग पहुंच जाएगी. इस रेल लाइन का 80 प्रतिशत हिस्सा टनल के अन्दर है. श्रीनगर के पास सहित कई जगहों पर पर टनल बनाने का काम अत्याधुनिक रोबोटिक मशीनों द्वारा बहुत तेजी से किया जा रहा है.
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125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच बन रही रेलवे लाइन पर कुल 12 रेलवे स्टेशन बनेंगे. ये स्टेशन हैं वीरभद्र, ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, श्रीनगर, मलेथा, धारी देवी, घोलतीर, गौचर, कर्णप्रयाग. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना भारतीय रेल की सबसे महत्वकांक्षी रेल परियोजना है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग (सेवाई) तक 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जानी है, जबकि इस बीच 11 नए रेलवे स्टेशनों का निर्माण भी किया जाना है.