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सावन के आखिरी सोमवार को बिनसर महादेव में लगी भक्तों की भीड़, जानें पौराणिक मान्यता

सावन के आखिरी सोमवार सोमवार को बिनसर महादेव में भक्तों की भीड़ लगी. भगवान शिव के इस मंदिर में पूजा और आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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सावन के आखिरी सोमवार को बिनसर महादेव में लगी भक्तों की भीड़
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Published : Aug 10, 2020, 6:47 PM IST

पौड़ी: आज सावन का आखिरी सोमवार है. ये सोमवार कई मायनों में खास है. जिसके कारण आज भगवान शिव के मंदिरों में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की करें तो यहां भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी कई पौराणिक मान्यता और आस्था के कारण श्रद्धालुओं का तांता लगता है. पौड़ी जनपद के थलीसैंण ब्लॉक में स्थित बिनसर महादेव का मंदिर भी इन्हीं में से एक है. इसे बिंदेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. घने देवदार के जंगलों के बीच बसा मंदिर का ये इलाका दूधा तोली पर्वत क्षेत्र में आता है. सावन के आखिरी सोमवार के दिन यहां आसपास के गांव समेत दूर-दराज के इलाकों से भी लोग जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.

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बिनसर महादेव

सावन के आखिरी सोमवार के दिन सुबह से ही मंदिर में भक्त जुटने शुरू हो गये थे. बम-बम भोले के जयघोष के साथ यहां के भक्तिमय माहौल में जलाभिषेक किया गया. यहां पहुंचे भक्तों ने भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की. सावन के आखिरी सोमवार के दिन मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया था.

सावन के आखिरी सोमवार को बिनसर महादेव में लगी भक्तों की भीड़

पढ़ें- देवभूमि के इस मंदिर में यमराज ने की थी महादेव की कठोर तपस्या, सावन में लगा रहता है भक्तों का तांता

भक्तों की लंबी कतार है 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद लोगों को भगवान भोलेनाथ के दर्शन होते हैं. जो भी यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है भगवान शिव उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. साथ ही जिन लोगों को पुत्र प्राप्ति नहीं होती वे भी शिव की आराधना कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद यहां से ले जाते हैं. चमोली जिले से दर्शन करने आई कमला देवी बताती हैं कि वह 30 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बिनसर महादेव पहुंची हैं. उनका कहना है कि यहां पहुंचकर मन को सुखद अनुभूति होती है.

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बिनसर महादेव में नंदी का जलाभिशषेक.

पढ़ें- HC ने दिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ CBI जांच के आदेश, फर्जी केस में फंसाने का है आरोप

बिनसर महादेव का ये मंदिर गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के मध्य बसा हुआ है. जिसके कारण पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा तीनों जिलों के लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन के पहले सोमवार से ही यहां भक्तों की लंबी कतार लगनी शरू हो जाती है. भक्त करीब 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद यहां पहुंचते हैं. थलीसैंण के चौथान ब्लॉक में पड़ने वाला बिनसर महादेव का मंदिर समुद्र तल से 2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

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बिनसर महादेव का आशीर्वाद लेते भक्तजन

पढ़ें-सावन की पूजा में ब्रह्म कमल का विशेष महत्व, नंगे पांव ग्रामीण हिमालय से लाते हैं 'देव पुष्प'

मंदिर के पुजारी वीर सिंह बेलवाल बताते है कि पांडवों ने यहां पर अपना अज्ञातवास का समय गुजारा था. यहां पर भीम घट नाम की एक शिला आज भी मौजूद है. बिनसर महादेव का मंदिर अपनी अलौकिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यह प्राचीन शिल्पकला का अद्भुत नमूना है.

पौड़ी: आज सावन का आखिरी सोमवार है. ये सोमवार कई मायनों में खास है. जिसके कारण आज भगवान शिव के मंदिरों में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की करें तो यहां भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी कई पौराणिक मान्यता और आस्था के कारण श्रद्धालुओं का तांता लगता है. पौड़ी जनपद के थलीसैंण ब्लॉक में स्थित बिनसर महादेव का मंदिर भी इन्हीं में से एक है. इसे बिंदेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. घने देवदार के जंगलों के बीच बसा मंदिर का ये इलाका दूधा तोली पर्वत क्षेत्र में आता है. सावन के आखिरी सोमवार के दिन यहां आसपास के गांव समेत दूर-दराज के इलाकों से भी लोग जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.

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बिनसर महादेव

सावन के आखिरी सोमवार के दिन सुबह से ही मंदिर में भक्त जुटने शुरू हो गये थे. बम-बम भोले के जयघोष के साथ यहां के भक्तिमय माहौल में जलाभिषेक किया गया. यहां पहुंचे भक्तों ने भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की. सावन के आखिरी सोमवार के दिन मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया था.

सावन के आखिरी सोमवार को बिनसर महादेव में लगी भक्तों की भीड़

पढ़ें- देवभूमि के इस मंदिर में यमराज ने की थी महादेव की कठोर तपस्या, सावन में लगा रहता है भक्तों का तांता

भक्तों की लंबी कतार है 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद लोगों को भगवान भोलेनाथ के दर्शन होते हैं. जो भी यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है भगवान शिव उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. साथ ही जिन लोगों को पुत्र प्राप्ति नहीं होती वे भी शिव की आराधना कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद यहां से ले जाते हैं. चमोली जिले से दर्शन करने आई कमला देवी बताती हैं कि वह 30 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बिनसर महादेव पहुंची हैं. उनका कहना है कि यहां पहुंचकर मन को सुखद अनुभूति होती है.

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बिनसर महादेव में नंदी का जलाभिशषेक.

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बिनसर महादेव का ये मंदिर गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के मध्य बसा हुआ है. जिसके कारण पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा तीनों जिलों के लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन के पहले सोमवार से ही यहां भक्तों की लंबी कतार लगनी शरू हो जाती है. भक्त करीब 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद यहां पहुंचते हैं. थलीसैंण के चौथान ब्लॉक में पड़ने वाला बिनसर महादेव का मंदिर समुद्र तल से 2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

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बिनसर महादेव का आशीर्वाद लेते भक्तजन

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मंदिर के पुजारी वीर सिंह बेलवाल बताते है कि पांडवों ने यहां पर अपना अज्ञातवास का समय गुजारा था. यहां पर भीम घट नाम की एक शिला आज भी मौजूद है. बिनसर महादेव का मंदिर अपनी अलौकिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यह प्राचीन शिल्पकला का अद्भुत नमूना है.

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