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श्रीनगर को नगर निगम बनाने का वादा क्या सिर्फ घोषणा, विपक्ष ने उठाये सवाल - उत्तराखंड कांग्रेस न्यूज

श्रीनगर को नगर निगम बनाने की कवायद 2019 से चल रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पहले भी बीजेपी के दो पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत ने श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा देने की घोषणा की थी, जो अभीतक पूरी नहीं हुई है. वहीं इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

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Published : Sep 16, 2021, 12:12 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 1:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रदेश में राजनेताओं ने वादों की झड़ी लगा दी है. हाल में श्रीनगर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी. वहीं अब कांग्रेस ने श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा पर सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड में ब्रिटिश काल से कई नगर पालिका हैं, जिन्हें नगर निगम बनाए जाने की जरूरत है. पहले से कई नगर पालिका को नगर निगम बनाने की घोषणाओं की फाइल शासन में अटकी हुई है, जिन पर अभीतक विचार नहीं किया गया. ऐसे में बीजेपी ने चुनाव से पहले एक और शिगुफा छोड़ दिया.

श्रीनगर को नगर निगम बनाने का वादा क्या सिर्फ घोषणा

पढ़ें- CM धामी ने किया मिशन 2022 का आगाज, श्रीनगर को नगर निगम समेत दीं ये सौगात

दरअसल, किसी भी क्षेत्र के विकास में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंयायतों का विशेष योगदान होता है. क्योंकि ये छोटी-छोटी इकाइयां ही क्षेत्र के विकास का रोडमैप तैयार करती हैं. प्रदेश सरकार भी समय-समय पर निकायों का विस्तार करती है. पहले भी कई नगर पालिकाओं को नगर निगम बनाया गया है. वहीं कई को बनाने पर विचार चल रहा है. ऐसी ही कई फाइलें शासन स्तर पर ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं, लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा कर दी.

घोषणा पर घोषणा: कांग्रेस बीजेपी की घोषणा पर इसीलिए सवाल खड़े कर रही है क्योंकि श्रीनगर को नगर निगम बनाने की कवायद 2019 से चल रही है. 2019 में बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी श्रीनगर, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ तीनों को नगर पालिका से नगर निगम बनाने पर विचार किया था. इन तीनों नगर पालिका को नगर निगम बनाने का मकसद शहर के नजदीक वाले गांवों में बेहतर सुविधा पहुंचाना था. अगर ये तीनों नगर निगम बन जाते तो प्रदेश में आज 11 निगम होते.

पढ़ें- उत्तराखंड की नजरें आज नैनीताल हाईकोर्ट पर, चारधाम यात्रा को लेकर है सुनवाई

पूर्व सीएम तीरथ ने भी किया था वादा: त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद जब तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा की. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि श्रीनगर चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव है. इसीलिए यहां का विकास होना जरूरी है. इसीलिए उन्होंने श्रीनगर को नगर निगम बनाने का वादा किया था. तीरथ सिंह रावत ने तो अधिकारियों को इसके लिए सभी पहलुओं का अध्ययन करने तक के निर्देश दिए थे.

अब वर्तमान सीएम ने फिर किया वादा: बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की घोषणा में तो कोई दम नहीं दिखा, लेकिन अब तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा कब पूरी होती है, इस पर भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.

प्रदेश में इस वक्त आठ निगम: उत्तराखंड में इस समय 8 नगर निगम हैं. जिनके लिए प्रदेश सरकार हर महीने करीब 22 करोड़ 11 लाख रुपये की धनराशि जारी करती है.

नगर निगम को सुविधा भी देने जरूरी: मुख्यमंत्री धामी की इस घोषणा पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा देने से कुछ नहीं होगा, बल्कि शहर के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं भी करनी जरूरी हैं. नगर निगम बनने के शहर का दायरा भी बढ़ेगा और जिम्मेदारियां भी.

जय सिंह रावत ने बताया कि देहरादून नगर निगम का विस्तार तो किया गया है, लेकिन जरूरत के अनुसार व्यवस्थाओं को मुकम्मल नहीं किया गया है. देहरादून में सफाई व्यवस्था का काम सिर्फ पुराने वार्डों तक ही सीमित है. नए वार्डों में कुछ विकास कार्य नहीं किए गए.

पढ़ें- शपथ तोड़ने वाले मंत्री हरक सिंह पर दर्ज हो मुकदमा, पद से हों बर्खास्त- इंद्रेश मैखुरी

नगर निगम क्षेत्र में जमीनों की खरीद-फरोख्त में बंदिश नहीं होगी: साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश में इन दिनों भू कानून की चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही हैं. उसी भू-कानून की धारा-2 में नगर निगमों में जमीनों की खरीद-फरोख्त की बंदिशें लागू नहीं होंगी. ऐसे में वहां पर जमीनों की खरीद-फरोख्त बढ़ जाएगी.

जिलों पर विचार करे सरकार: जय सिंह रावत ने सरकार को सुझाव दिया कि नगर निगमों की संख्या न बढ़ाकर प्रदेश में नए जिले बनाने पर विचार करना चाहिए, जिनकी मांग काफी समय से चल रही है.

कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस के प्रदेश प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने श्रीनगर को नगर निगम बनाए जाने की घोषणा को बीजेपी का राजनीतिक कारण बताया है. मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि श्रीनगर में कांग्रेस का एक बोर्ड है और इसीलिए बीजेपी राजनीति द्वेष की भावना से श्रीनगर को नगर निगम बना रही है. अगर बीजेपी इतनी ईमानदार होती तो शासन में नगर निगम के कई प्रस्ताव लंबित बड़े हैं, सरकार को पहले उन पर निर्णय लेना चाहिए.

साथ ही मथुरा जोशी ने कहा कि अल्मोड़ा और नैनीताल ब्रिटिश काल से ही नगर पालिका परिषद हैं. जिन्हें नगर निगम बनाए जाने का प्रस्ताव शासन में लंबित है. बावजूद इसके वर्तमान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत आगामी चुनाव के दृष्टिगत श्रीनगर पर मेहरबान हो रहे हैं.

बीजेपी का जवाब: कांग्रेस के सवालों पर बीजेपी का कहना है कि प्रदेश में वैसे तो विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं है, लेकिन जो बची-खुची कांग्रेस है वह सवाल उठा रही है. कांग्रेस का काम हमेशा सवाल खड़े करना है. जब भी सरकार कोई फैसला लेती है, कांग्रेस उसका विरोध करना शुरू कर देती है. आने वाले समय में और भी नगर पालिकाओं को नगर निगम का दर्जा दिया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रदेश में राजनेताओं ने वादों की झड़ी लगा दी है. हाल में श्रीनगर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी. वहीं अब कांग्रेस ने श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा पर सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड में ब्रिटिश काल से कई नगर पालिका हैं, जिन्हें नगर निगम बनाए जाने की जरूरत है. पहले से कई नगर पालिका को नगर निगम बनाने की घोषणाओं की फाइल शासन में अटकी हुई है, जिन पर अभीतक विचार नहीं किया गया. ऐसे में बीजेपी ने चुनाव से पहले एक और शिगुफा छोड़ दिया.

श्रीनगर को नगर निगम बनाने का वादा क्या सिर्फ घोषणा

पढ़ें- CM धामी ने किया मिशन 2022 का आगाज, श्रीनगर को नगर निगम समेत दीं ये सौगात

दरअसल, किसी भी क्षेत्र के विकास में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंयायतों का विशेष योगदान होता है. क्योंकि ये छोटी-छोटी इकाइयां ही क्षेत्र के विकास का रोडमैप तैयार करती हैं. प्रदेश सरकार भी समय-समय पर निकायों का विस्तार करती है. पहले भी कई नगर पालिकाओं को नगर निगम बनाया गया है. वहीं कई को बनाने पर विचार चल रहा है. ऐसी ही कई फाइलें शासन स्तर पर ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं, लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा कर दी.

घोषणा पर घोषणा: कांग्रेस बीजेपी की घोषणा पर इसीलिए सवाल खड़े कर रही है क्योंकि श्रीनगर को नगर निगम बनाने की कवायद 2019 से चल रही है. 2019 में बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी श्रीनगर, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ तीनों को नगर पालिका से नगर निगम बनाने पर विचार किया था. इन तीनों नगर पालिका को नगर निगम बनाने का मकसद शहर के नजदीक वाले गांवों में बेहतर सुविधा पहुंचाना था. अगर ये तीनों नगर निगम बन जाते तो प्रदेश में आज 11 निगम होते.

पढ़ें- उत्तराखंड की नजरें आज नैनीताल हाईकोर्ट पर, चारधाम यात्रा को लेकर है सुनवाई

पूर्व सीएम तीरथ ने भी किया था वादा: त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद जब तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा की. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि श्रीनगर चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव है. इसीलिए यहां का विकास होना जरूरी है. इसीलिए उन्होंने श्रीनगर को नगर निगम बनाने का वादा किया था. तीरथ सिंह रावत ने तो अधिकारियों को इसके लिए सभी पहलुओं का अध्ययन करने तक के निर्देश दिए थे.

अब वर्तमान सीएम ने फिर किया वादा: बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की घोषणा में तो कोई दम नहीं दिखा, लेकिन अब तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा कब पूरी होती है, इस पर भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.

प्रदेश में इस वक्त आठ निगम: उत्तराखंड में इस समय 8 नगर निगम हैं. जिनके लिए प्रदेश सरकार हर महीने करीब 22 करोड़ 11 लाख रुपये की धनराशि जारी करती है.

नगर निगम को सुविधा भी देने जरूरी: मुख्यमंत्री धामी की इस घोषणा पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा देने से कुछ नहीं होगा, बल्कि शहर के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं भी करनी जरूरी हैं. नगर निगम बनने के शहर का दायरा भी बढ़ेगा और जिम्मेदारियां भी.

जय सिंह रावत ने बताया कि देहरादून नगर निगम का विस्तार तो किया गया है, लेकिन जरूरत के अनुसार व्यवस्थाओं को मुकम्मल नहीं किया गया है. देहरादून में सफाई व्यवस्था का काम सिर्फ पुराने वार्डों तक ही सीमित है. नए वार्डों में कुछ विकास कार्य नहीं किए गए.

पढ़ें- शपथ तोड़ने वाले मंत्री हरक सिंह पर दर्ज हो मुकदमा, पद से हों बर्खास्त- इंद्रेश मैखुरी

नगर निगम क्षेत्र में जमीनों की खरीद-फरोख्त में बंदिश नहीं होगी: साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश में इन दिनों भू कानून की चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही हैं. उसी भू-कानून की धारा-2 में नगर निगमों में जमीनों की खरीद-फरोख्त की बंदिशें लागू नहीं होंगी. ऐसे में वहां पर जमीनों की खरीद-फरोख्त बढ़ जाएगी.

जिलों पर विचार करे सरकार: जय सिंह रावत ने सरकार को सुझाव दिया कि नगर निगमों की संख्या न बढ़ाकर प्रदेश में नए जिले बनाने पर विचार करना चाहिए, जिनकी मांग काफी समय से चल रही है.

कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस के प्रदेश प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने श्रीनगर को नगर निगम बनाए जाने की घोषणा को बीजेपी का राजनीतिक कारण बताया है. मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि श्रीनगर में कांग्रेस का एक बोर्ड है और इसीलिए बीजेपी राजनीति द्वेष की भावना से श्रीनगर को नगर निगम बना रही है. अगर बीजेपी इतनी ईमानदार होती तो शासन में नगर निगम के कई प्रस्ताव लंबित बड़े हैं, सरकार को पहले उन पर निर्णय लेना चाहिए.

साथ ही मथुरा जोशी ने कहा कि अल्मोड़ा और नैनीताल ब्रिटिश काल से ही नगर पालिका परिषद हैं. जिन्हें नगर निगम बनाए जाने का प्रस्ताव शासन में लंबित है. बावजूद इसके वर्तमान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत आगामी चुनाव के दृष्टिगत श्रीनगर पर मेहरबान हो रहे हैं.

बीजेपी का जवाब: कांग्रेस के सवालों पर बीजेपी का कहना है कि प्रदेश में वैसे तो विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं है, लेकिन जो बची-खुची कांग्रेस है वह सवाल उठा रही है. कांग्रेस का काम हमेशा सवाल खड़े करना है. जब भी सरकार कोई फैसला लेती है, कांग्रेस उसका विरोध करना शुरू कर देती है. आने वाले समय में और भी नगर पालिकाओं को नगर निगम का दर्जा दिया जाएगा.

Last Updated : Sep 16, 2021, 1:48 PM IST
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