श्रीनगर: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने आज एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) उत्तराखंड के लिए चयनित भूमि (सुमाड़ी क्षेत्र) का निरीक्षण किया. टीम ने प्रारंभिक सर्वेक्षण में माना कि यहां एनआईटी का सुरक्षित निर्माण कार्य हो सकता है. केंद्रीय टीम सुमाड़ी में तीन दिन रहकर निरीक्षण करेगी.
बता दें कि नैनीताल हाइकोर्ट ने एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर के निर्माण में हो रही देरी के संबंध में दाखिल पीआईएल पर सुनवाई करते हुए पिछली 27 जुलाई को इसे लेकर आदेश दिये थे. हाईकोर्ट ने सुमाड़ी में स्थायी कैंपस निर्माण के निर्णय पर केंद्र सरकार को पुर्न-परीक्षण करने और विशेषज्ञों की रायशुमारी लेने के लिए कहा था.
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हाईकोर्ट के आदेशों पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम गठित की है. यह टीम सुमाड़ी पहुंचकर चयनित भूमि का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी. जिसके बाद मंत्रालय इसे हाईकोर्ट में पेश करेगा.
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इस चार सदस्य टीम में सरदार बल्लभ भाई पटेल एनआईटी सूरत के निदेशक प्रो. एसआर गांधी, एमएनआईटी जयपुर के प्रो. एमके श्रीमाली, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय दिल्ली के निदेशक प्रो. पीएसएन राव और एनआईटी प्रयागराज के प्रो. एके सचान शामिल हैं. सुमाड़ी में एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रो. एसएल सोनी ने टीम को जमीन दिखाने के साथ ही भवनोंं के नक्शों के बारे में जानकारी दी.
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कमेटी के अध्यक्ष प्रो. गांधी ने बताया कि भारत में ऐसे पर्वतीय क्षेत्र हैं, जो जोन 4 या 5 में हैं, वहां भी परिसर बने हैं. आईआईटी जम्मू और एनआईटी नागालैंड का निर्माण भी ऐसी ही भूमि पर हुआ है. जमीन की स्टेबिलिटी कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा पहाड़ मेंं तकनीक का प्रयोग कर भूकंपरोधी निर्माण हो सकता है.