पौड़ी: कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत इन दिनों अपनी विधानसभा क्षेत्र के तीन दिवसीय भ्रमण पर हैं. इसी कड़ी में धन सिंह रावत पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के गांव मासौं पहुंचे. जहां उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज मासौं के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया. इसके अलावा उन्होंने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति का भी अनावरण किया.
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि करीब डेढ़ करोड़ की लागत से राजकीय इंटर कॉलेज मासौं (GIC Masoun Thalisain) के भवन को आधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिए यहां पर राजकीय इंटर कॉलेज की स्थापना की गई है. उन्होंने कहा कि शिक्षा ही भविष्य की दिशा और दशा को तय करती है. इसके पठन पाठन के लिए सभी मूलभूत सुविधाओं का होना आवश्यक है. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के गांव मासौं (Veer Chandra Singh Garhwali) में सभी सुविधाओं को धरातल पर उतारा जाएगा. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बिजली, पानी, पंचायत भवन आदि के निर्माण कार्य भी किए जाएंगे.
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार (Self Employment to Youth) से जोड़ने के लिए भी उनकी सरकार प्रतिबद्ध है. शिक्षकों को पठन पाठन के अलावा किसी और कार्य की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. उनका मुख्य कार्य छात्र-छात्राओं को शिक्षा देना है. जिससे बच्चों को भविष्य में बेहतर विकल्प प्राप्त हो सकेंगे. उन्होंने इस कार्य में शिक्षकों को गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए. इसके बाद मंत्री रावत ने चौथान क्षेत्र के सेंजी, कोटड़ा समेत कई गांवों में जनसंपर्क भी किया.
ये भी पढ़ेंः एक वीर गढ़वाली सैनिक जिसने पठानों पर गोली चलाने से किया था इनकार
कौन हैं वीर चंद्र सिंह गढ़वालीः भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के महानायक के रूप में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद किया जाता है. 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल के जवानों ने भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं पर गोली चलाने से मना कर दिया था. पेशावर कांड में गढ़वाली बटालियन को एक ऊंचा दर्जा दिलाया था. इसी के बाद से चंद सिंह को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली नाम मिला और उनको पेशावर कांड का महानायक माना जाने लगा.
अंग्रेजों की आदेश न मानने के कारण इन सैनिकों पर मुकदमा चलाया गया था. गढ़वाली सैनिकों की पैरवी मुकंदीलाल की ओर से की गई थी, जिनके अथक प्रयासों के बाद उनके मृत्युदंड की सजा को कैद की सजा में बदला गया था. उस दौरान चंद्र सिंह गढ़वाली की सारी संपत्ति को जप्त कर दिया था. पौड़ी जिले के थलीसैंण में 25 दिसंबर 1891 में जाथली सिंह भंडारी के घर जन्मे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली आजादी के बाद कोटद्वार के ध्रुवपुर में रहने लगे थे. वीर चंद्र सिंह के पूर्वज चौहान वंश के थे, जो मुरादाबाद में रहते थे, लेकिन काफी समय पहले ही वो गढ़वाल की राजधानी चांदपुरगढ़ में आकर बस गए थे.