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पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे अल्मोड़ा के बिष्ट ब्रदर्स, राष्ट्रपति भवन तक कर रहे पैदल यात्रा - Environmental protection message of the Bisht brothers of Almora

अल्मोड़ा के बिष्ट बंधु अपने अनोखे अंदाज में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. अल्मोड़ा के चौखुटिया के रहने वाले शंकर और प्रमोद राष्ट्रपति भवन तक की पैदल यात्रा पर निकले हैं.

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अनोखे अंदाज में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे अल्मोड़ा के बिष्ट ब्रदर्श
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Published : Apr 6, 2022, 3:12 PM IST

Updated : Apr 6, 2022, 3:41 PM IST

श्रीनगर: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...ये कहावत आपने सुनी ही होगी, इस कहावत को असलियत बनाने के लिए अल्मोड़ा जनपद के रहने वाले दो भाई राष्ट्रपति भवन की पैदल यात्रा पर निकल चुके हैं. दोनो भाई अपने नेक इरादे ,अपने हौसलों के बल पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे हैं. शंकर बिष्ट कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मुंह में मास्क लिए और प्रमोद हाथों में पेड़ पौधे लेकर सड़कों पर चलते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया, गांव खुजरानी चुनाली के रहने वाले शंकर और प्रमोद राष्ट्रपति भवन की पैदल यात्रा पर निकले हैं. अपनी पैदल यात्रा के पहले पड़ाव में दोनों भाई चौखुटिया से पैदल चलते हुए पहले गैरसैंण, रुद्रप्रयाग पहुंचे. जिसके बाद आज वे श्रीनगर पहुंचे. इस दौरान शंकर अपने कंधे पर डेमो के रूप में ऑक्सीजन सिलेंडर और मुह में मास्क लगाये हुए हैं. ऐसा कर शंकर राहगीरों का ध्यान अपनी ओर तरफ खींच रहे हैं. वहीं, दूसरा भाई प्रमोद भी हाथों में पेड़ पौधे लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

राष्ट्रपति भवन तक कर रहे पैदल यात्रा बिष्ट ब्रदर्स.

पढ़ें- माता मनसा देवी के मंदिर में जरूर करें चरण पादुका के दर्शन, मन्नत जरूर पूरी होगी

ये दोनों भाई अब तक 250 से अधिक चाल-खालों को पुनर्जीवित किया है. साथ ही 250 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. इन दोनों भाइयों द्वारा नर्सरियों का संचालन भी किया जा रहा है. जिन स्कूलों में विद्यार्थी नर्सरी लगाते हैं. वहां ये दोनों छात्रों के साथ इन वाटिकाओं का ध्यान रखते हैं. शंकर ने जयपुर से ग्रेजुएशन किया है. प्रमोद ने भी अल्मोड़ा से ही अपनी एजुकेशन पूरी की है. अब दोनों भाई पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं.

पढ़ें- हरिद्वार: तंबाकू की फर्म पर GST का छापा, बिना बिल वाले 17 लाख के माल पर देना होगा 45 लाख जुर्माना

शंकर बताते हैं कि कोरोना काल में सभी को ऑक्सीजन के महत्व के बारे में पता लग गया है. वे कहते हैं अगर पर्यावरण को न बचाया गया तो रोज की जिंदगी में भी सभी को कंधे पर ऑक्सीजन और मुंह में मास्क होगा. उन्होंने बताया उनके परिवार के लोग भी उनका हौसला बढ़ाते हैं.

प्रमोद से पूछा गया कि यात्रा के दौरान दिक्कतें आ रही होंगी, तो उन्होंने हंसकर कहा कि ईश्ववर के कार्य में अगर तकलीफ हो जाए तो क्या बुरा है. उन्होंने कहा बस लोग समझें कि जगलों में आग लगाना कितना भयावह है. हवा में भी इसके चलते जहर घुलने लगा है. ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

श्रीनगर: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...ये कहावत आपने सुनी ही होगी, इस कहावत को असलियत बनाने के लिए अल्मोड़ा जनपद के रहने वाले दो भाई राष्ट्रपति भवन की पैदल यात्रा पर निकल चुके हैं. दोनो भाई अपने नेक इरादे ,अपने हौसलों के बल पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे हैं. शंकर बिष्ट कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मुंह में मास्क लिए और प्रमोद हाथों में पेड़ पौधे लेकर सड़कों पर चलते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया, गांव खुजरानी चुनाली के रहने वाले शंकर और प्रमोद राष्ट्रपति भवन की पैदल यात्रा पर निकले हैं. अपनी पैदल यात्रा के पहले पड़ाव में दोनों भाई चौखुटिया से पैदल चलते हुए पहले गैरसैंण, रुद्रप्रयाग पहुंचे. जिसके बाद आज वे श्रीनगर पहुंचे. इस दौरान शंकर अपने कंधे पर डेमो के रूप में ऑक्सीजन सिलेंडर और मुह में मास्क लगाये हुए हैं. ऐसा कर शंकर राहगीरों का ध्यान अपनी ओर तरफ खींच रहे हैं. वहीं, दूसरा भाई प्रमोद भी हाथों में पेड़ पौधे लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

राष्ट्रपति भवन तक कर रहे पैदल यात्रा बिष्ट ब्रदर्स.

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ये दोनों भाई अब तक 250 से अधिक चाल-खालों को पुनर्जीवित किया है. साथ ही 250 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. इन दोनों भाइयों द्वारा नर्सरियों का संचालन भी किया जा रहा है. जिन स्कूलों में विद्यार्थी नर्सरी लगाते हैं. वहां ये दोनों छात्रों के साथ इन वाटिकाओं का ध्यान रखते हैं. शंकर ने जयपुर से ग्रेजुएशन किया है. प्रमोद ने भी अल्मोड़ा से ही अपनी एजुकेशन पूरी की है. अब दोनों भाई पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं.

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शंकर बताते हैं कि कोरोना काल में सभी को ऑक्सीजन के महत्व के बारे में पता लग गया है. वे कहते हैं अगर पर्यावरण को न बचाया गया तो रोज की जिंदगी में भी सभी को कंधे पर ऑक्सीजन और मुंह में मास्क होगा. उन्होंने बताया उनके परिवार के लोग भी उनका हौसला बढ़ाते हैं.

प्रमोद से पूछा गया कि यात्रा के दौरान दिक्कतें आ रही होंगी, तो उन्होंने हंसकर कहा कि ईश्ववर के कार्य में अगर तकलीफ हो जाए तो क्या बुरा है. उन्होंने कहा बस लोग समझें कि जगलों में आग लगाना कितना भयावह है. हवा में भी इसके चलते जहर घुलने लगा है. ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

Last Updated : Apr 6, 2022, 3:41 PM IST
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