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पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में नहीं भरे आपदा के जख्म, आज भी पुनर्निर्माण की बाट जोह रहे ग्रामीण

पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में साल साल 2021 के मई महीने में बादल फटा था. जिससे काफी तबाही मची थी. इस आपदा को दो साल बीत गए हैं, लेकिन आज भी आपदा के जख्म हरे हैं. आज भी गांव में पैदल मार्ग, पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हालत में है. जिसे दुरुस्त करने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं.

cloud burst in bangwadi Village
पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में नहीं भरे आपदा के जख्म
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Published : Jul 2, 2023, 3:52 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 5:30 PM IST

पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में नहीं भरे आपदा के जख्म

श्रीनगरः उत्तराखंड में मॉनसून दस्तक दे चुका है. ऐसे में आपदा प्रभावित बैंग्वाड़ी गांव के लोग दहशत में है. यहां दो पहले आपदा ने बैंग्वाड़ी गांव में भारी तबाही मचाई थी. उस दौरान पैदल मार्ग, पेयजल लाइन और गौशाला आदि तबाह हो गया था, लेकिन दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी हालात जस के तस हैं. अब एक बार फिर से मॉनसून सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में ग्रामीण डर के साये में हैं. वहीं, शासन प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं.

बता दें कि साल 2021 के मई महीने में पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में आपदा आई थी. जिसमें सब कुछ तहस नहस हो गया था. इस आपदा को 2 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन की ओर से गांव के पैदल मार्ग को चलने लायक तक नहीं बनाया जा सका है. इसके साथ ही आज भी बैंग्वाड़ी गांव के ग्रामीण वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था से ही अपनी जलापूर्ति कर रहे हैं.

बैंग्वाड़ी गांव की ग्राम प्रधान मधु खुगशाल ने बताया कि आपदा के दौरान जिला प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग, पेयजल लाइन आदि को ठीक करने को लेकर तमाम दावे किए गए थे, लेकिन 2 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी गांव में कुछ नहीं बदला है. वहीं, मुख्य मार्ग पर सब्जी की दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला दिव्यांग संजय भी बरसात के मौसम में डरा सहमा सा है. उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में उबड़ खाबड़ रास्ते में चलने में उन्हें दिक्कत होती हैं, जिसके कारण बरसात में उन्हें अपनी दुकान बंद ही करनी पड़ती है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के इस गांव का मानसून सीजन में दुनिया से कट जाता है कनेक्शन, टापू के अलग-थलग होने की ये है वजह

ग्रामीण संजय ने बताया कि इसके साथ ही बढ़े हुए जलस्तर के कारण वो अपने बच्चों को भी स्कूल तक नहीं भेज पाते हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि पैदल मार्ग को ठीक करवाएं. इसके साथ ही साल 2021 आपदा में आए भारी भरकम बोल्डर को भी हटाया जाए. जिससे सभी को आने जाने में आसानी हो.

वहीं, जिला प्रशासन की ओर से तमाम दावे आपदा से निपटने के लिए किए जाते हैं, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी आपदा ग्रस्त इलाकों में रास्ते जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न करवा पाना आपदा प्रबंधन व जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है. अब एक बार मॉनसून का सीजन सिर है. पहले ही आपदा के जख्म भरे नहीं है. ऐसे में जरा सी बारिश उनकी धड़कने बढ़ा जाती है.

पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में नहीं भरे आपदा के जख्म

श्रीनगरः उत्तराखंड में मॉनसून दस्तक दे चुका है. ऐसे में आपदा प्रभावित बैंग्वाड़ी गांव के लोग दहशत में है. यहां दो पहले आपदा ने बैंग्वाड़ी गांव में भारी तबाही मचाई थी. उस दौरान पैदल मार्ग, पेयजल लाइन और गौशाला आदि तबाह हो गया था, लेकिन दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी हालात जस के तस हैं. अब एक बार फिर से मॉनसून सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में ग्रामीण डर के साये में हैं. वहीं, शासन प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं.

बता दें कि साल 2021 के मई महीने में पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव में आपदा आई थी. जिसमें सब कुछ तहस नहस हो गया था. इस आपदा को 2 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन की ओर से गांव के पैदल मार्ग को चलने लायक तक नहीं बनाया जा सका है. इसके साथ ही आज भी बैंग्वाड़ी गांव के ग्रामीण वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था से ही अपनी जलापूर्ति कर रहे हैं.

बैंग्वाड़ी गांव की ग्राम प्रधान मधु खुगशाल ने बताया कि आपदा के दौरान जिला प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग, पेयजल लाइन आदि को ठीक करने को लेकर तमाम दावे किए गए थे, लेकिन 2 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी गांव में कुछ नहीं बदला है. वहीं, मुख्य मार्ग पर सब्जी की दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला दिव्यांग संजय भी बरसात के मौसम में डरा सहमा सा है. उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में उबड़ खाबड़ रास्ते में चलने में उन्हें दिक्कत होती हैं, जिसके कारण बरसात में उन्हें अपनी दुकान बंद ही करनी पड़ती है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के इस गांव का मानसून सीजन में दुनिया से कट जाता है कनेक्शन, टापू के अलग-थलग होने की ये है वजह

ग्रामीण संजय ने बताया कि इसके साथ ही बढ़े हुए जलस्तर के कारण वो अपने बच्चों को भी स्कूल तक नहीं भेज पाते हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि पैदल मार्ग को ठीक करवाएं. इसके साथ ही साल 2021 आपदा में आए भारी भरकम बोल्डर को भी हटाया जाए. जिससे सभी को आने जाने में आसानी हो.

वहीं, जिला प्रशासन की ओर से तमाम दावे आपदा से निपटने के लिए किए जाते हैं, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी आपदा ग्रस्त इलाकों में रास्ते जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न करवा पाना आपदा प्रबंधन व जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है. अब एक बार मॉनसून का सीजन सिर है. पहले ही आपदा के जख्म भरे नहीं है. ऐसे में जरा सी बारिश उनकी धड़कने बढ़ा जाती है.

Last Updated : Jul 2, 2023, 5:30 PM IST
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