श्रीनगर: ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे पर योग गुरु बाबा रामदेव ने भी दु:ख जताया है. उन्होंने कहा ये रेल हादसा सिस्टम में अलार्म की तरह है, इससे चेतने की जरूरत है. रेलवे की कार्य प्रणाली में बदलाव की जरूरत है. अगर इसी तरह हादसे होते रहे तो जनता का विश्वास रेलवे से हट जाएगा.
बाबा रामदेव ने कहा कि आज रेलवे भारत में यातायात का सबसे बड़ा जरिया है. विश्व भर में सबसे बड़ी रेलवे व्यवस्था भारत की है. ऐसे हादसे रेलवे की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर देते हैं. इस सिस्टम में अगर बदलाव की जरूरत है तो बदलाव जरूरी है.
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बता दें कि ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और लूप ट्रैक पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतरी बोगियां बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से टकरा गईं. इस हादसे में अभीतक 233 लोगों के मौत की खबर है, वहीं, 900 लोग जख्मी बताए जा रहे है. अभी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. ऐसे में मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है.
दरअसल, बाबा रामदेव इन दिनों टिहरी जिले के देवप्रयाग के पास स्थित मूल्यगांव में आए हुए हैं. वे पिछले दो दिनों से पतंजलि गुरुकुलम् में ही रुके हैं. इस दौरान बाबा रामदेव पतंजलि गुरुकुलम् में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के साथ अपना समय बिता रहे हैं. इस दौरान योग गुरु सनातन मूल्य एवं शास्त्रों की गरिमा को स्थापित करने के उद्देश्य से शास्त्रीय स्पर्धा का आयोजन पतंजलि गुरुकुलम् देवप्रयाग में करवा रहे हैं, जिसका उद्घाटन बाबा रामदेव द्वारा ही किया गया.
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यह प्रतियोगिता हर वर्ष आयोजित की जाती है. इसमें पतंजलि योगपीठ द्वारा संचालित तीनों गुरुकुल पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार (बालक परिसर), पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार (बालिका परिसर) एवं पतंजलि गुरुकुलम् मूल्या गांव देवप्रयाग के लगभग 184 बच्चे प्रतिभाग कर रहे हैं.
बच्चे मुख्यतः वेद, दर्शन, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता, पंचोपदेश, हठयोगप्रदीपिका, घेरंड संहिता आदि अनेक शास्त्रों के कण्ठपाठ में प्रतिभाग कर रहे हैं. इस अवसर पर बाबा रामदेव ने कहा कि शास्त्र हमारी समृद्ध संस्कृति की बौद्धिक विरासत हैं. इनको स्मरण करने से बच्चों का अंतःकरण सीधे ऋषि परंपरा के तप और ज्ञान से अभिसिंचित हो जाता है.
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उन्होंने यह भी कहा कि गुरुकुल से पढ़े हुए यह बच्चे जब विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व करेंगे, तो भारत का और अधिक सशक्त राष्ट्र के रूप में उद्भव होगा. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि किसान के साथ समूचे व्यक्तित्व का निर्माण, शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए. इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष एनपी सिंह भी उपस्थित रहे और उन्होंने कहा कि गुरुकुल के बच्चों की प्रतिभा को देखकर यह आश्वस्त हो जाता है कि भारत शीघ्र ही सांस्कृतिक महाशक्ति के रूप में विश्व में स्थापित होगा और ऋषियों के काल का गौरवपूर्ण अध्याय पूरी दुनिया में प्रसारित होगा.