श्रीनगरः एशिया के दूसरे सबसे ऊंचाई पर स्थित रांसी स्टेडियम को हाई एल्टीट्यूड सेंटर के रूप में विकसित करने की कवायद जारी है. करीब 22.29 करोड़ रुपए की लागत से स्टेडियम को विकसित किया जा रहा है. अभी तक स्टेडियम का 85 फीसदी काम भी पूरा हो चुका है. जल्द ही निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. जिसके बाद यहां पर राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजित हो पाएंगे. वहीं, स्टेडियम के हाईटेक बन जाने से यहां खेल गतिविधियां तो होंगी ही, साथ ही खिलाड़ियों के सपनों को भी नई उड़ान मिल सकेगी. इसके अलावा स्टेडियम पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकेगा.
पौड़ी जिला क्रीड़ा अधिकारी अनूप बिष्ट ने बताया कि रांसी मैदान पौड़ी को हाई एल्टीट्यूड सेंटर के रूप में विकसित किया जाना है. जिसकी लागत 22.29 करोड़ रुपए है, जिसका काम गतिमान है, जो करीबन पूरा होने को है. अभी मैदान में बहुउद्देशीय क्रीड़ा हॉल, कैफेटेरिया बनकर तैयार हो गया है. इसके अलावा 32 बेड का हॉस्टल भी तैयार कर लिया गया है. यहां अब जिम के सामान लगाने बाकी हैं. इसके साथ ही स्टेडियम में सिंथेटिक ट्रैक का कार्य भी 80 फीसदी पूरा हो चुका है.
अनूप बिष्ट ने कहा कि बारिश के कारण आगे के कार्य को रोका गया है. जल्द ही बचा कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा. यहां हाई एल्टीट्यूड सेंटर डेवलप होने के बाद यहां सहनशीलता वाले खेलों (Endurance Games) को काफी मदद मिलेगी. साथ ही आगामी 2024 में होने वाले उत्तराखंड नेशनल गेम्स के लिए भी यह बेहतर प्लेटफार्म बनकर तैयार होगा. साथ ही स्थानीय युवा यहां तैयारी कर सकेंगे. ताकि, वो देश के लिए मेडल ला सकें.
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पौड़ी रांसी स्टेडियम को जानिए: रांसी स्टेडियम समुद्र तल से करीब 2,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ऊंचाई में स्थित होने की वजह से यह स्टेडियम एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा मैदान है. पहले नंबर पर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बने क्रिकेट स्टेडियम को रखा जाता है. यह स्टेडियम पौड़ी के कंडोलिया से कुछ दूरी पर स्थित है. रांसी स्टेडियम एक तरफ से पेड़ों से घिरा हुआ है तो दूसरी तरफ से चट्टान है.
ऐसे बना रांसी स्टेडियमः रांसी स्टेडियम की नींव साल 1974 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने रखी थी. इसके निर्माण के लिए करीब 12 लाख रुपए मंजूर किए गए थे. रांसी स्टेडियम में राष्ट्रीय और जिला स्तरीय खेल भी आयोजित किए गए. बाद में रांसी स्टेडियम का नाम शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम रखा गया. जिसके बाद इसे शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह (महावीर चक्र) स्टेडियम पौड़ी के नाम से जाना जाता है.