कोटद्वारः कण्वाश्रम को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान मिलने जा रही है. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम ने कण्वाश्रम इलाके का निरीक्षण किया. इस दौरान टीम ने कण्वाश्रम के पास स्थित जंगल और बरसाती नाले, सिमल स्रोत से ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व से जुड़े तथ्य जुटाए. टीम की मानें तो कण्वाश्रम इलाके में 11वीं और 12वीं शताब्दी की मूर्तियां मिल रही हैं, जिनके आधार पर इलाके का निरीक्षण किया जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी.
आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट आरके पटेल ने बताया कि कण्वाश्रम में पहले भी विभाग ने सर्वे किया है. जब भी यहां पर बारिश होती है तो बरसाती नाले में कुछ पुरानी चीजें, पौराणिक मूर्तियां और अन्य सामान पानी के साथ बहकर आते हैं. जो करीब 11वीं और 12वीं शताब्दी में स्थापित किसी मंदिर के हो सकते हैं. जिसके कुछ अंश पानी के साथ बह कर आ रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य वास्तविक जगह कहां है? कहां से ये अंश बह कर आ रहे हैं? इसका पता लगाना है. इसके लिए उनकी 3 सदस्यीय टीम यहां पर आई है. साथ ही बताया कि सीजनल सिमल स्रोत नाला है, उसका निरीक्षण किया है. अभी तक पहला सर्वे हुआ है. टीम की कोशिश रहेगी कि दो सर्वे और करेंगे. उसके बाद ही वास्तविक जगह का पता लगाकर उस जगह की खुदाई करवाएंगे.