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कण्वाश्रम को जल्द मिल सकती है अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान, पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम कर रही सर्वे - कण्वाश्रम का सर्वे

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम ने कण्वाश्रम पहुंचकर इलाके का निरीक्षण कर रही है. टीम कण्वाश्रम के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व से जुड़े तथ्यों को जुटा रही है.

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Published : Jan 4, 2020, 11:10 PM IST

कोटद्वारः कण्वाश्रम को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान मिलने जा रही है. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम ने कण्वाश्रम इलाके का निरीक्षण किया. इस दौरान टीम ने कण्वाश्रम के पास स्थित जंगल और बरसाती नाले, सिमल स्रोत से ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व से जुड़े तथ्य जुटाए. टीम की मानें तो कण्वाश्रम इलाके में 11वीं और 12वीं शताब्दी की मूर्तियां मिल रही हैं, जिनके आधार पर इलाके का निरीक्षण किया जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी.

आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट आरके पटेल ने बताया कि कण्वाश्रम में पहले भी विभाग ने सर्वे किया है. जब भी यहां पर बारिश होती है तो बरसाती नाले में कुछ पुरानी चीजें, पौराणिक मूर्तियां और अन्य सामान पानी के साथ बहकर आते हैं. जो करीब 11वीं और 12वीं शताब्दी में स्थापित किसी मंदिर के हो सकते हैं. जिसके कुछ अंश पानी के साथ बह कर आ रहे हैं.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम कण्वाश्रम में कर रही सर्वे.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार: प्लास्टिक कैन में बेचा जा रहा गंगाजल, लाख कोशिशों के बाद भी नहीं रुका इस्तेमाल

उन्होंने कहा कि इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य वास्तविक जगह कहां है? कहां से ये अंश बह कर आ रहे हैं? इसका पता लगाना है. इसके लिए उनकी 3 सदस्यीय टीम यहां पर आई है. साथ ही बताया कि सीजनल सिमल स्रोत नाला है, उसका निरीक्षण किया है. अभी तक पहला सर्वे हुआ है. टीम की कोशिश रहेगी कि दो सर्वे और करेंगे. उसके बाद ही वास्तविक जगह का पता लगाकर उस जगह की खुदाई करवाएंगे.

कोटद्वारः कण्वाश्रम को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान मिलने जा रही है. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम ने कण्वाश्रम इलाके का निरीक्षण किया. इस दौरान टीम ने कण्वाश्रम के पास स्थित जंगल और बरसाती नाले, सिमल स्रोत से ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व से जुड़े तथ्य जुटाए. टीम की मानें तो कण्वाश्रम इलाके में 11वीं और 12वीं शताब्दी की मूर्तियां मिल रही हैं, जिनके आधार पर इलाके का निरीक्षण किया जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी.

आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट आरके पटेल ने बताया कि कण्वाश्रम में पहले भी विभाग ने सर्वे किया है. जब भी यहां पर बारिश होती है तो बरसाती नाले में कुछ पुरानी चीजें, पौराणिक मूर्तियां और अन्य सामान पानी के साथ बहकर आते हैं. जो करीब 11वीं और 12वीं शताब्दी में स्थापित किसी मंदिर के हो सकते हैं. जिसके कुछ अंश पानी के साथ बह कर आ रहे हैं.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्यीय टीम कण्वाश्रम में कर रही सर्वे.

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उन्होंने कहा कि इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य वास्तविक जगह कहां है? कहां से ये अंश बह कर आ रहे हैं? इसका पता लगाना है. इसके लिए उनकी 3 सदस्यीय टीम यहां पर आई है. साथ ही बताया कि सीजनल सिमल स्रोत नाला है, उसका निरीक्षण किया है. अभी तक पहला सर्वे हुआ है. टीम की कोशिश रहेगी कि दो सर्वे और करेंगे. उसके बाद ही वास्तविक जगह का पता लगाकर उस जगह की खुदाई करवाएंगे.

Intro:summary कण्वाश्रम विकास समिति के अनुरोध पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 3 सदस्य टीम ने कण्वाश्रम इलाके का निरीक्षण किया, इस दौरान टीम ने कण्वाश्रम के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व से जुड़े तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए कण्वाश्रम के पास स्थित जंगल व बरसाती नाले सिमल स्रोत का भी निरीक्षण किया।

intro kotdwar कण्वाश्रम को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान मिल सकेगी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने आज कण्वाश्रम इलाके का निरीक्षण किया, कण्वाश्रम के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व से जुड़े तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए पहुंची ए एस आई की 3 सदस्य टीम ने कण्वाश्रम के पास स्थित जंगल व बरसाती नाले सिमल स्रोत का भी निरीक्षण किया, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम हेड ने बताया कि कण्वाश्रम इलाके में 11वीं और 12वीं शताब्दी के समय की मूर्तियां मिल रही है, इन्ही मूर्तियों के आधार पर इलाके का निरीक्षण किया जा रहा है जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जायेगी।


Body:वीओ1- आर के पटेल सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट ने बताया कि यहां पर हमें जो सूचना मिली है और हमारे विभाग ने पहले भी सर्वे किया है जब भी यहां पर बारिश होती है, जो बरसाती नाला है उसमें कुछ पुरानी चीजें, कुछ पौराणिक मूर्तियां व अन्य सामान पानी के साथ बैठकर आते हैं जो लगभग 11 वीं और 12 वीं शताब्दी में किसी टेंपल में यूज किए गए हो, उसके कुछ कंपोनेंट पानी के साथ बह कर आ रहे हैं, इस विजिट का मेन उद्देश्य था कि एक्चुअल सोर्स कहां है कहाँ से ये सीमेंस बह कर आ रहे हैं, हमारी 3 सदस्य टीम यहां पर आई है, यह देखने की कोशिश कर रहे हैं। हमने जो सीजनल सिमल स्रोत नाला है उसे पकड़कर उसका निरिक्षण किया है कहां से सीमेंट से आए हैं अभी तो हमारा यह पहले सर्वे हुआ है, हमारी कोशिश रहेगी कि हम दो सर्वे इस जगह की और करेंगे, उसके बाद ही एक्चुअल प्वाइंट पकड़कर उस जगह की खुदाई करवाएंगे।

बाइट आर के पटेल सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट


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