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मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी वर्करों ने तानी मुठ्ठी, पौड़ी में धरने पर बैठीं

पौड़ी में आंगनबाड़ी वर्करों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कार्यकत्रियां मानदेय 18000 रुपए प्रतिमाह करने की मांग पर अड़ीं हैं.

anganwadi workers protest
आंगनबाड़ी कार्यकत्री
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Published : Oct 23, 2021, 3:19 PM IST

श्रीनगरः आंगनबाड़ी वर्करों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है. इसी कड़ी में पौड़ी में वर्करों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आंगनबाड़ी वर्करों ने मानदेय 18 हजार रुपए प्रतिमाह करने की मांग पर अड़े हैं.

भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेज चुके हों, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्री इससे संतुष्ट नहीं हैं. आंगनबाड़ी वर्कर मानदेय बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं. पौड़ी में भी आंदोलन पर डटीं आंगनबाड़ी वर्कर सरकार पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगा रही हैं.

आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि सरकार उनसे आंगनबाड़ी केंद्रों के कामकाज के साथ ही कई तरह को कार्य करवाती है. ऐसे में उनके ऊपर काम का भारी बोझ रहता है. इसके बावजूद उन्हें न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है. इस मानदेय से उनका परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में वे सरकार से उचित मानदेय की मांग कर रही हैं.

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का धरना.

ये भी पढ़ेंः मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सीएम धामी से की मुलाकात, मिला आश्वासन

गौर हो कि बीते 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेजी. ऐसे में प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 10-10 हजार रुपए की धनराशि दी गई.

जिसमें प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर के खाते में कोरोना काल में सेवा के लिए ₹1000 की प्रोत्साहन राशि, रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत ₹1000 और अन्य घोषणा के तहत 5 माह तक प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर को दी जाने वाली ₹2000 (कुल 10,000) रुपए की धनराशि शामिल है.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरीः धामी सरकार ने 33 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के खाते में भेजी प्रोत्साहन राशि

वहीं, 12 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में आंगनबाड़ी वर्करों को मानदेय बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिसे लेकर आंगनबाड़ी वर्करों में नाराजगी है. आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि उनसे सबसे ज्यादा काम लिया जाता है, लेकिन उस हिसाब से उनका मानदेय कम है. जिसे बढ़ाकर ₹600 प्रति दिन के हिसाब से ₹18,000 महीना किया जाना चाहिए. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके.

ये भी पढ़ेंः मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स ने किया सचिवालय कूच, एक कार्यकर्ता हुई बेहोश

श्रीनगरः आंगनबाड़ी वर्करों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है. इसी कड़ी में पौड़ी में वर्करों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आंगनबाड़ी वर्करों ने मानदेय 18 हजार रुपए प्रतिमाह करने की मांग पर अड़े हैं.

भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेज चुके हों, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्री इससे संतुष्ट नहीं हैं. आंगनबाड़ी वर्कर मानदेय बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं. पौड़ी में भी आंदोलन पर डटीं आंगनबाड़ी वर्कर सरकार पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगा रही हैं.

आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि सरकार उनसे आंगनबाड़ी केंद्रों के कामकाज के साथ ही कई तरह को कार्य करवाती है. ऐसे में उनके ऊपर काम का भारी बोझ रहता है. इसके बावजूद उन्हें न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है. इस मानदेय से उनका परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में वे सरकार से उचित मानदेय की मांग कर रही हैं.

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का धरना.

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गौर हो कि बीते 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेजी. ऐसे में प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 10-10 हजार रुपए की धनराशि दी गई.

जिसमें प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर के खाते में कोरोना काल में सेवा के लिए ₹1000 की प्रोत्साहन राशि, रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत ₹1000 और अन्य घोषणा के तहत 5 माह तक प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर को दी जाने वाली ₹2000 (कुल 10,000) रुपए की धनराशि शामिल है.

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वहीं, 12 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में आंगनबाड़ी वर्करों को मानदेय बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिसे लेकर आंगनबाड़ी वर्करों में नाराजगी है. आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि उनसे सबसे ज्यादा काम लिया जाता है, लेकिन उस हिसाब से उनका मानदेय कम है. जिसे बढ़ाकर ₹600 प्रति दिन के हिसाब से ₹18,000 महीना किया जाना चाहिए. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके.

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