श्रीनगरः आंगनबाड़ी वर्करों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है. इसी कड़ी में पौड़ी में वर्करों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आंगनबाड़ी वर्करों ने मानदेय 18 हजार रुपए प्रतिमाह करने की मांग पर अड़े हैं.
भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेज चुके हों, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्री इससे संतुष्ट नहीं हैं. आंगनबाड़ी वर्कर मानदेय बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं. पौड़ी में भी आंदोलन पर डटीं आंगनबाड़ी वर्कर सरकार पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगा रही हैं.
आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि सरकार उनसे आंगनबाड़ी केंद्रों के कामकाज के साथ ही कई तरह को कार्य करवाती है. ऐसे में उनके ऊपर काम का भारी बोझ रहता है. इसके बावजूद उन्हें न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है. इस मानदेय से उनका परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में वे सरकार से उचित मानदेय की मांग कर रही हैं.
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गौर हो कि बीते 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेजी. ऐसे में प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 10-10 हजार रुपए की धनराशि दी गई.
जिसमें प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर के खाते में कोरोना काल में सेवा के लिए ₹1000 की प्रोत्साहन राशि, रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत ₹1000 और अन्य घोषणा के तहत 5 माह तक प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर को दी जाने वाली ₹2000 (कुल 10,000) रुपए की धनराशि शामिल है.
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वहीं, 12 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में आंगनबाड़ी वर्करों को मानदेय बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिसे लेकर आंगनबाड़ी वर्करों में नाराजगी है. आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि उनसे सबसे ज्यादा काम लिया जाता है, लेकिन उस हिसाब से उनका मानदेय कम है. जिसे बढ़ाकर ₹600 प्रति दिन के हिसाब से ₹18,000 महीना किया जाना चाहिए. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके.
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