श्रीनगरः राज्य कर विभाग श्रीनगर डिवीजन के दो अधिकारियों पर एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. स्थानीय सामाजिक कार्यकरर्ता नरेंद्र बिष्ट ने आरोप लगाया कि उक्त दोनों अधिकारी ट्रांसपोर्ट मालिकों व व्यापारियों के बिना पक्के बिल का माल छोड़ रहे हैं. इससे विभाग को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) का भारी नुकसान हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि पंजीकरण जारी किए जाने व इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से जुड़े मामलो में रिश्वत ली जाती है. उन्होंने उक्त अधिकारियों की परिसंपत्ति की जांच किए जाने व दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है.
श्रीनगर गढ़वाल के अपर भक्तियाना निवासी नरेंद्र बिष्ट ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीएम पौड़ी सहित अन्य अधिकारियों को एक शिकायत पत्र भेजा है. शिकायती पत्र में बिष्ट ने राज्य कर विभाग श्रीनगर के दो अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जीएसडी विभाग के दो अधिकारी श्रीनगर, रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद में छोटे-छोटे व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं. सर्वे के नाम पर छोटे-छोटे दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है. जबकि उक्त अधिकारियों द्वारा ट्रांसपोर्ट मालिकों व बड़े व्यापारियों के लाखों के सामान को बिना पक्के बिल के छोड़ा जा रहा है. इससे विभाग को करोड़ों की जीएसटी का नुकसान उठाना पड़ रहा है. कुछ अधिवक्ता इन अधिकारियों के इस कार्य में संलिप्त भी हैं. शिकायतकर्ता बिष्ट ने कहा कि पंजीकरण जारी किए जाने और आईटीसी से जुड़े मामलों में उक्त अधिकारी रिश्वत लेते हैं. उन्होंने अधिकारियों के कार्यों व परिसंपत्ति की जांच की मांग की है.
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मामले पर व्यापार सभा श्रीनगर अध्यक्ष दिनेश असवाल ने आरोपों को निराधार बताया है. उनका कहना है कि जीएसटी के अधिकारियों पर कुछ समय पहले भी आरोप लगे थे. व्यापार सभा ने उस समय भी अधिकारियों का सर्मथन किया था. अधिकारियों का व्यापारियों के प्रति व्यवहार अच्छा है. जबकि असिस्टेंट कमिश्नर, जीएसटी श्रीनगर एसडी शर्मा ने कहा कि आरोप निराधार हैं, कुछ लोगों की शिकायत पर एसडीएम प्रकरण की जांच कर चुके हैं. जांच में सभी आरोप निराधार पाए गए हैं. विभाग के सभी कार्य पारदर्शिता के साथ हो रहे हैं. विभाग के अधिकारियों पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. कोई निजी दुश्मनी या स्वार्थ सिद्धि के लिए आरोप लगा रहा है.