श्रीनगर: पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश का कहर आम जन जीवन पर जमकर बरप रहा है. बारिश अब लोगों को डराने लगी है. रविवार देर रात से हो रही बारिश के कारण श्रीनगर जलविद्युत परियोजना से 7000 क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया है. इस कारण अलकनंदा नदी डेंजर लेवल को पार करते हुए 537 मीटर के ऊपर बह रही है.
बाढ़ से बंद हुआ विद्युत उत्पादन: आज इसी तरह दिन भर पानी का लेवल और भी बढ़ सकता है. इस कारण देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे निचले इलाकों सहित श्रीनगर के निचले इलाकों को खतरा पैदा हो गया है. अलकनंदा नदी में अचानक पानी बढ़ने के कारण श्रीनगर जलविद्युत परियोजना को भी अपना विद्युत उत्पादन बंद करना पड़ा है.
श्रीनगर में अलकंदा का जलस्तर पर खतरे से ऊपर: आज सुबह से ही श्रीनगर के नदी किनारे रहने वाले लोग डरे सहमे हुए हैं. यहां श्रीकोट में जहां नदी किनारे बने हुए पार्क, एसटीपी प्लांट पूरी तरह नदी के पानी में डूब गए हैं, तो वहीं श्रीनगर में करोड़ों की लागत से बने घाट नदी में डूब गए हैं. इससे इन घाटों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. भक्तियाना में बनाई गई वाटिका भी नदी के वेग के कारण तहस नहस हो गयी है. वहीं देवप्रयाग में भी नदी किनारे बने मकानों तक अलकनंदा नदी का पानी पहुंच चुका है. देवप्रयाग में नदी किनारे रहने वाले लोग डरे हुए हैं. सुबह से ही प्रशासन नदी किनारे रहने वाले लोगों को सचेत कर रहा है.
श्रीनगर डैम से रिलीज किया 7000 हजार क्यूमेक्स पानी: श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के मैनेजर शाहिद शेख ने बताया कि ऊपरी इलाके में बादल फटने के कारण अलकंदा नदी का जलस्तर बढ़ा है. अभी 7000 क्यूमेक्स पानी डैम के बैराज में एकत्र हुआ है, जिसे छोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि 2013 की आपदा में 15,000 क्यूमेक्स पानी बांध में आया था. इस बार फिलहाल 7000 क्यूमेक्स पानी आया है. पानी आने के कारण जलविद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन बंद करना पड़ा है.
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नदी किनारे रहने वालों को किया सावधान: स्थानीय निवासी कार्तिक बहुगुणा बताते हैं कि इस बार भी 2013 की आपदा जैसा डर लग रहा है. हर जगह नदी का बढ़ा हुआ रूप दिखाई दे रहा है. वहीं श्रीनगर कोतवाल रवि सैनी ने बताया कि नदी किनारे रह रहे लोगों को सचेत किया जा रहा है. सुरक्षित स्थानों तक जाने की सलाह दी जा रही है. उन्होंने बताया कि पानी का लेवल और बढ़ सकता है.
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