ETV Bharat / state

अलकनंदा में छोड़ी गई 10 हजार महाशीर मछलियां, आचार्य बालकृष्ण ने जैव विविधता संतुलन का चलाया अभियान

संकटग्रस्त महाशीर मछली को बचाने के लिए इन दिनों कई योजनाएं चल रही हैं. ऐसी ही योजना के तहत बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने श्रीनगर में बड़ी संख्या में महाशीर मछलियां गंगा में डालीं. ये मछलियां केंद्रीय अंतस्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, प्रयागराज उत्तर प्रदेश ने दी थीं.

Biodiversity balance campaign
महाशीर मछली
author img

By

Published : Jun 17, 2023, 11:34 AM IST

श्रीनगर: नमामि गंगे परियोजना के तहत जैव विविधता संतुलन के लिए अलकनंदा नदी में 10 हजार महाशीर मछलियां छोड़ी गईं. इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण वास्तव में मानव जीवन का संरक्षण है. बालकृष्ण ने कहा कि महाशीर की लुप्त होती प्रजाति को संरक्षित किए जाने से गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीव तंत्र को मजबूती मिलेगी.

Namami Gange project
अलकनंदा में छोड़ी गईं 10 हजार महाशीर मछलियां

अलकनंदा में छोड़ी गई 10 हजार महाशीर मछलियां: नमामि गंगे के तहत पतंजलि सेवाश्रम मूल्यागांव में आचार्य बालकृष्ण ने अलकनंदा नंदी में 10 हजार महाशीर मछलियां छोड़ीं. यह मछलियां केंद्रीय अंतस्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, प्रयागराज उत्तर प्रदेश की ओर से प्रदान की गई हैं. संस्थान ने उत्तराखंड की हिम नदियों में मानवीय हस्तक्षेप से लुप्त हो रही महाशीर में पुनः बढ़ोत्तरी की पहल की है. संस्थान ने कहा गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा की वनस्पति, मिट्टी, जलीय स्थिति पर योगपीठ द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है. प्रकृति से मानवीय छेड़छाड़ का परिणाम है कि मानव को बाढ़, सूखा समेत अनेक महामारियों का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: रुद्रप्रयाग: अलकनंदा नदी में डंप किया जा रहा मलबा, जलीय जीवों पर मंडराया खतरा

जल प्रदूषण से महाशीर मछली पर आया है संकट: इस दौरान मत्स्य अनुसंधान संस्थान प्रयागराज के निदेशक वीके दास ने कहा कि जल प्रदूषण से महाशीर का जीवन संकट में है. ऐसे में इस प्रयास से मछली की इस प्रजाति को नया जीवन देने का कार्य किया जा रहा है. इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकेगी. भारत में इसकी 15 प्रजातियों में से कई विलुप्त हो चुकी हैं. इस मौके पर मत्स्य अनुसंधान संस्थान प्रयागराज की सहायक निदेशक गरिमा मिश्रा, प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल, वसंत कुमार गुप्ता, संदीप, प्रो. विजयपाल आदि मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें: गजब! बदरीनाथ में अलकनंदा नदी में गिरता रहा अनट्रीटेड सीवेज, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को खबर तक नहीं

क्या है महाशीर मछली? महसीर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं. ये मीठे पानी की झीलों और नदियों में पाई जाती हैं. महाशीर मछलियां वियतनाम, चीन, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पाई जाती है. महाशीर मछलियों के वंश के लिए सामान्यतया टोर, नियोलिसोचिलस, नजीरिटर और पैराटर नाम प्रचलित हैं. महाशीर मछली की लंबाई 2 मीटर तक हो सकती है. इसका वजन 90 किलोग्राम तक पाया गया है. इन दिनों महाशीर मछलियां संकट में हैं. प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ने से इनके अस्तित्व पर संकट आया है.

श्रीनगर: नमामि गंगे परियोजना के तहत जैव विविधता संतुलन के लिए अलकनंदा नदी में 10 हजार महाशीर मछलियां छोड़ी गईं. इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण वास्तव में मानव जीवन का संरक्षण है. बालकृष्ण ने कहा कि महाशीर की लुप्त होती प्रजाति को संरक्षित किए जाने से गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीव तंत्र को मजबूती मिलेगी.

Namami Gange project
अलकनंदा में छोड़ी गईं 10 हजार महाशीर मछलियां

अलकनंदा में छोड़ी गई 10 हजार महाशीर मछलियां: नमामि गंगे के तहत पतंजलि सेवाश्रम मूल्यागांव में आचार्य बालकृष्ण ने अलकनंदा नंदी में 10 हजार महाशीर मछलियां छोड़ीं. यह मछलियां केंद्रीय अंतस्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, प्रयागराज उत्तर प्रदेश की ओर से प्रदान की गई हैं. संस्थान ने उत्तराखंड की हिम नदियों में मानवीय हस्तक्षेप से लुप्त हो रही महाशीर में पुनः बढ़ोत्तरी की पहल की है. संस्थान ने कहा गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा की वनस्पति, मिट्टी, जलीय स्थिति पर योगपीठ द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है. प्रकृति से मानवीय छेड़छाड़ का परिणाम है कि मानव को बाढ़, सूखा समेत अनेक महामारियों का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: रुद्रप्रयाग: अलकनंदा नदी में डंप किया जा रहा मलबा, जलीय जीवों पर मंडराया खतरा

जल प्रदूषण से महाशीर मछली पर आया है संकट: इस दौरान मत्स्य अनुसंधान संस्थान प्रयागराज के निदेशक वीके दास ने कहा कि जल प्रदूषण से महाशीर का जीवन संकट में है. ऐसे में इस प्रयास से मछली की इस प्रजाति को नया जीवन देने का कार्य किया जा रहा है. इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकेगी. भारत में इसकी 15 प्रजातियों में से कई विलुप्त हो चुकी हैं. इस मौके पर मत्स्य अनुसंधान संस्थान प्रयागराज की सहायक निदेशक गरिमा मिश्रा, प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल, वसंत कुमार गुप्ता, संदीप, प्रो. विजयपाल आदि मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें: गजब! बदरीनाथ में अलकनंदा नदी में गिरता रहा अनट्रीटेड सीवेज, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को खबर तक नहीं

क्या है महाशीर मछली? महसीर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं. ये मीठे पानी की झीलों और नदियों में पाई जाती हैं. महाशीर मछलियां वियतनाम, चीन, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पाई जाती है. महाशीर मछलियों के वंश के लिए सामान्यतया टोर, नियोलिसोचिलस, नजीरिटर और पैराटर नाम प्रचलित हैं. महाशीर मछली की लंबाई 2 मीटर तक हो सकती है. इसका वजन 90 किलोग्राम तक पाया गया है. इन दिनों महाशीर मछलियां संकट में हैं. प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ने से इनके अस्तित्व पर संकट आया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.