श्रीनगर: विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी की 70वीं पुण्यतिथि कोरोना के चलते सादगी से मनाई गई. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि दरबान सिंह नेगी से जब ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम ने कुछ भी मांगने की बात कही तो दरबान सिंह ने अपने गांव में स्कूल बनाने की मांग की.
इसके साथ ही उन्होंने जॉर्ज पंचम से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनाने की भी मांग की थी. जिसपर 1924 में रेल लाइन का सर्वे भी हुआ था. ऐसे में पता चलता है कि उनकी सोच कितनी दूरदर्शी थी. इस दौरान लोगों ने सरकार से ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन का नाम विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी के नाम रखने की मांग की है.
पढ़ें: पतंजलि ने आयुष मंत्रालय को 11 पन्नों में दिया जवाब, बालकृष्ण बोले- सरकार ने की जल्दबाजी
कौन थे दरबान सिंह नेगी ?
विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी पहले भारतीयों में से थे, जिन्हें ब्रिटिश राज का सबसे बड़ा युद्ध पुरस्कार मिला था. दरबान सिंह नेगी 33 साल के थे और 39वां गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन में नायक के पद पर तैनात थे. उन्हें 4 दिसंबर 1914 को विक्टोरिया पुरस्कार प्रदान किया गया.
प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस में उनकी टुकड़ी ने दुश्मनों पर धावा बोला. युद्ध में दोनों तरफ से भयंकर गोलीबारी हुई. इनकी टुकड़ी के कई साथी शहीद हो गए. दरबान सिंह नेगी ने कमान अपने हाथ में लेते हुए दुश्मनों पर धावा बोल दिया. उनकी रेजिमेंट फेस्तुबर्त के निकट दुश्मन से ब्रिटिश खाईयों को वापस हासिल करने का प्रयास कर रही थी.
दो बार सिर और हाथ में घाव लगने और राइफलों की भारी गोलीबारी और बमों के धमाके के बीच होने के बावजूद दरबान सिंह नेगी उन प्रथम सैनिकों में थे, जिन्होंने खाइयों में घुसकर जर्मन सैनिकों को मार भगाया था. दरबान सिंह नेगी को उनकी अनुपम वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया.