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ऑयस्टर मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बने युवा, औषधीय गुणों के चलते बाजार में भारी डिमांड

बाजारों में आपने अभी तक बटन मशरूम देखा होगा. लेकिन अब मशरूम कारोबारी बटन मशरूम के साथ-साथ ऑयस्टर मशरूम का भी उत्पादन कर रहे हैं. जिसकी बाजार में डिमांड बढ़ गई है. यहां तक कि उद्यान विभाग भी अब ऑयस्टर मशरूम की बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित कर रहा है.

cultivation of oyster mushroom in haldwani
ऑयस्टर मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बने युवा
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Published : Jun 1, 2022, 3:02 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ के युवा अब धीरे-धीरे आत्मनिर्भर हो रहे हैं. नैनीताल जिले के हल्द्वानी के फतेहपुर के रहने वाले यश वर्मा ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. जो पूरी तरह से जैविक के साथ-साथ पौष्टिकता से भी भरपूर है, जो बाजारों में ऊंचे दाम पर बिक रहा है. ऑयस्टर मशरूम, बटन मशरूम के तुलना में अलग है, स्थानीय भाषा में इसे धींगरी मशरूम भी कहा जाता है.

बता दें कि बाजारों में आपने अभी तक बटन मशरूम देखा होगा. लेकिन अब मशरूम कारोबारी बटन मशरूम के साथ-साथ ऑयस्टर मशरूम का भी उत्पादन कर रहे हैं. जिसकी बाजार में अब डिमांड बढ़ गई है. यहां तक कि उद्यान विभाग भी अब ऑयस्टर मशरूम की बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित भी कर रहा है. हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र के रहने वाले युवा यश वर्मा बटन मशरूम के साथ-साथ ऑयस्टर मशरूम की खेती शुरू की है. जहां वह खुद आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

ऑयस्टर मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बने युवा.

पढ़ें- उत्तराखंड के ढाई लाख कर्मचारियों-पेंशनर्स को तोहफा, महंगाई भत्ते में 3 फीसदी बढ़ोत्तरी

आमतौर पर आपने देखा होगा कि बाजारों में बटन मशरूम ₹200 किलो तक बिकता है. लेकिन ऑस्टर मशरूम पोस्टिक औषधीय गुणों से भरपूर है, जिसकी बाजारों में खूब डिमांड हो रही है और बाजारों में यह ₹200 से लेकर ₹300 किलो तक बिक रहा है. यहां तक की इसको सुखाकर इसके पाउडर और आचार भी बनाया जा रहा है. जो बाजारों में ₹1000 से लेकर ₹1200 प्रति किलो बिक रहा है.

जिला उद्यान अधिकारी नरेंद्र कुमार (District Horticulture Officer Narendra Kumar) ने बताया कि ऑयस्टर मशरूम अब धीरे-धीरे लोगों की पहली पसंद बन रहा है. क्योंकि इसमें कई तरह के औषधि गुण हैं. जिसके चलते अब इसकी डिमांड बढ़ गई है. अन्य मशरूम की तुलना में इसका स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर है जिसके चलते बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स होटलों में इसकी भारी डिमांड है. ऐसे में जो भी व्यक्ति इसकी खेती कर रहा है, वह अपने उत्पाद को सीधे रेस्टोरेंट और होटल में दे सकता है, जहां उनको इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि माल अधिक उत्पादन होने की स्थिति में कारोबारी स्कोर पाउडर और अचार के तौर पर इसको तैयार कर सकते हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खूब डिमांड है. नरेंद्र कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों और युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है. वर्तमान समय में मशरूम उत्पादन के लिए 40% की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है और बहुत से युवा इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहे हैं.

हल्द्वानी: पहाड़ के युवा अब धीरे-धीरे आत्मनिर्भर हो रहे हैं. नैनीताल जिले के हल्द्वानी के फतेहपुर के रहने वाले यश वर्मा ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. जो पूरी तरह से जैविक के साथ-साथ पौष्टिकता से भी भरपूर है, जो बाजारों में ऊंचे दाम पर बिक रहा है. ऑयस्टर मशरूम, बटन मशरूम के तुलना में अलग है, स्थानीय भाषा में इसे धींगरी मशरूम भी कहा जाता है.

बता दें कि बाजारों में आपने अभी तक बटन मशरूम देखा होगा. लेकिन अब मशरूम कारोबारी बटन मशरूम के साथ-साथ ऑयस्टर मशरूम का भी उत्पादन कर रहे हैं. जिसकी बाजार में अब डिमांड बढ़ गई है. यहां तक कि उद्यान विभाग भी अब ऑयस्टर मशरूम की बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित भी कर रहा है. हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र के रहने वाले युवा यश वर्मा बटन मशरूम के साथ-साथ ऑयस्टर मशरूम की खेती शुरू की है. जहां वह खुद आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

ऑयस्टर मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बने युवा.

पढ़ें- उत्तराखंड के ढाई लाख कर्मचारियों-पेंशनर्स को तोहफा, महंगाई भत्ते में 3 फीसदी बढ़ोत्तरी

आमतौर पर आपने देखा होगा कि बाजारों में बटन मशरूम ₹200 किलो तक बिकता है. लेकिन ऑस्टर मशरूम पोस्टिक औषधीय गुणों से भरपूर है, जिसकी बाजारों में खूब डिमांड हो रही है और बाजारों में यह ₹200 से लेकर ₹300 किलो तक बिक रहा है. यहां तक की इसको सुखाकर इसके पाउडर और आचार भी बनाया जा रहा है. जो बाजारों में ₹1000 से लेकर ₹1200 प्रति किलो बिक रहा है.

जिला उद्यान अधिकारी नरेंद्र कुमार (District Horticulture Officer Narendra Kumar) ने बताया कि ऑयस्टर मशरूम अब धीरे-धीरे लोगों की पहली पसंद बन रहा है. क्योंकि इसमें कई तरह के औषधि गुण हैं. जिसके चलते अब इसकी डिमांड बढ़ गई है. अन्य मशरूम की तुलना में इसका स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर है जिसके चलते बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स होटलों में इसकी भारी डिमांड है. ऐसे में जो भी व्यक्ति इसकी खेती कर रहा है, वह अपने उत्पाद को सीधे रेस्टोरेंट और होटल में दे सकता है, जहां उनको इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि माल अधिक उत्पादन होने की स्थिति में कारोबारी स्कोर पाउडर और अचार के तौर पर इसको तैयार कर सकते हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खूब डिमांड है. नरेंद्र कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों और युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है. वर्तमान समय में मशरूम उत्पादन के लिए 40% की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है और बहुत से युवा इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहे हैं.

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