हल्द्वानी: हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में दीपावली का प्रमुख स्थान है. दीपावली का त्यौहार हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 12 नवंबर यानि आज दोपहर 2.12 बजे से अगले दिन सोमवार को 2.41 बजे तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार दीपावली का त्यौहार प्रदोष काल और महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में मनाया जाता है. इसमें प्रदोष काल का महत्व होता है.
लक्ष्मी पूजन का शुभ समय: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक दीपावली का प्रदोष काल और स्थिर लग्न में महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार शुभ चौघड़िया नक्षत्र 5:16 से शुरू होकर 6:58 बजे तक रहेगा. अमृत योग 6:58 से 8:37 तक रहेगा. चरक चौघड़िया योग रात्रि 8:36 से 10:16 तक रहेगा.
शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व स्थिर और प्रदोष काल में माना जाता है. 5:16 से लेकर 7:58 बजे तक प्रदोष काल रहेगा. वृषभ स्थिर लग्न 5:26 से 7:32 बजे तक रहेगा. महानिशा काल यानी तांत्रिक पूजा के लिए रात्रि 11:31 से 2:40 तक मुहूर्त रहेगा.
दीवाली पर ये करें: दीपावली पर दीपदान का विशेष महत्व होता है. शाम को घरों, मंदिरों, बावड़ी, खलिहान और गौशाला में दीपदान करना चाहिए. व्यापारी वर्ग को इस दिन अपने प्रतिष्ठान की सफलता के लिए कुबेर-लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश की आराधना का विशेष महत्व है. श्रीसूक्तम, कनकधारा, लक्ष्मी चालीसा समेत किसी भी लक्ष्मी मंत्र का जप करना चाहिए.
दीवाली की ये है पौराणिक मान्यता: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम लंका विजय कर वापस अपने घर अयोध्या लौटे थे. इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने भगवान राम और माता सीता के स्वागत में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. तभी से दीवाली मनाने की परंपरा मानी जाती है. इस पर्व के बारे में पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी बताया गया है.
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