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चिंताजनकः नैनी झील की लगातार घट रही गहराई, सामने आई चौंकाने वाली बात

नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है. इसरो और आईआईटी रुड़की की टीम द्वारा बैथीमेट्री तकनीकी से किए गए सर्वे में इसका खुलासा हुआ है.

नैनी झील
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Published : Nov 11, 2019, 2:15 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 5:14 PM IST

नैनीतालः सरोवर नगरी की शान कही जाने वाली नैनी झील को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. जिससे पर्यावरण प्रेमी काफी चिंतित हैं. बताया जा रहा है कि नैनी झील की गहराई घट रही है. इसरो और आईआईटी रुड़की की टीम द्वारा नैनी झील में बैथीमेट्री तकनीकी से किए गए सर्वे में इसका खुलासा हुआ. नैनी झील के सर्वे के दौरान डीएम सविन बंसल स्वयं मौजूद रहे. निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

नैनी झील की लगातार घट रही गहराई.

इसरो और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम द्वारा नैनी झील की गहराई की माप की गई. झील के पानी की स्वच्छता समेत झील की भूगर्भीय संरचना के सर्वे के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई है. सर्वे के दौरान पता चला है कि नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है. झील में लगातार सिल्ट यानी मलबे की मात्रा बढ़ रही है, जिससे नैनी झील की तलहटी पर बने जल स्रोत पूरी तरह से ढकने लगे हैं, जिससे पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः यमुना नदी में स्नान से टल जाता है अकाल मृत्यु का संकट, जानिए विशेष महत्व

इसरो की टीम द्वारा सोनार सिस्टम के माध्यम से नैनी झील की विभिन्न क्षेत्रों में गहराई का मानचित्र तैयार किया. इसके अलावा पीने के पानी का पीएच लेवल, तापमान, डीओ, टीडीएस समेत झील की तलहटी में मौजूद सिल्ट, क्लोरीन, मरकरी लैंड व अन्य खतरनाक अवयवों का पता लगाया, ताकि पानी की शुद्धता का पता लगाया जा सके. साथ ही नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके.

सर्वे के दौरान नैनीताल पहुंची टीम ने बताया कि नैनी झील की अधिकतम गहराई 24 मीटर है, जबकि पूर्व में एक बार हुई माप के दौरान झील की गहराई 27 मीटर थी. इसरो और आईआईटी टीम द्वारा किए जा रहे बेथीमेट्री सर्वे के आधार पर ही पूरी झील का प्रोफाइल व डेटाबेस तैयार किया जाएगा.

नैनीतालः सरोवर नगरी की शान कही जाने वाली नैनी झील को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. जिससे पर्यावरण प्रेमी काफी चिंतित हैं. बताया जा रहा है कि नैनी झील की गहराई घट रही है. इसरो और आईआईटी रुड़की की टीम द्वारा नैनी झील में बैथीमेट्री तकनीकी से किए गए सर्वे में इसका खुलासा हुआ. नैनी झील के सर्वे के दौरान डीएम सविन बंसल स्वयं मौजूद रहे. निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

नैनी झील की लगातार घट रही गहराई.

इसरो और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम द्वारा नैनी झील की गहराई की माप की गई. झील के पानी की स्वच्छता समेत झील की भूगर्भीय संरचना के सर्वे के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई है. सर्वे के दौरान पता चला है कि नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है. झील में लगातार सिल्ट यानी मलबे की मात्रा बढ़ रही है, जिससे नैनी झील की तलहटी पर बने जल स्रोत पूरी तरह से ढकने लगे हैं, जिससे पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है.

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इसरो की टीम द्वारा सोनार सिस्टम के माध्यम से नैनी झील की विभिन्न क्षेत्रों में गहराई का मानचित्र तैयार किया. इसके अलावा पीने के पानी का पीएच लेवल, तापमान, डीओ, टीडीएस समेत झील की तलहटी में मौजूद सिल्ट, क्लोरीन, मरकरी लैंड व अन्य खतरनाक अवयवों का पता लगाया, ताकि पानी की शुद्धता का पता लगाया जा सके. साथ ही नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके.

सर्वे के दौरान नैनीताल पहुंची टीम ने बताया कि नैनी झील की अधिकतम गहराई 24 मीटर है, जबकि पूर्व में एक बार हुई माप के दौरान झील की गहराई 27 मीटर थी. इसरो और आईआईटी टीम द्वारा किए जा रहे बेथीमेट्री सर्वे के आधार पर ही पूरी झील का प्रोफाइल व डेटाबेस तैयार किया जाएगा.

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नैनी झील की लगातार घट रही गहराई से नैनी झील के अस्तित्व पर मंडराया खतरा।

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इसरो और आईआईटी रुड़की की टीम द्वारा किए जा रहे हैं नैनी झील मैं बैथी मेट्री तकनीकी से किए जा रहे हैं नैनी झील के सर्वे का नैनीताल के डीएम सबीन बंसल द्वारा किया गया निरीक्षण निरीक्षण के दौरान चौकाने वाले तथ्य सामने।


Body:इसरो और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम द्वारा किए जा रहे हैं नैनी झील की गहराई की नपाई और झील के पानी की स्वच्छता समेत झील की भूगर्भीय संरचना के सर्वे के बाद चौकानेवाले बात सामने आई है सर्वे के दौरान पता चला है कि नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है और झील में लगातार सिल्ट यानी मलबे की मात्रा बढ़ रही है जिससे नैनी झील की तलहटी पर बने जल स्रोत पूरी तरह से ढकने लगे हैं जिससे पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है,,
इसरो की टीम द्वारा सुना सिस्टम के माध्यम से नैनी झील की विभिन्न क्षेत्रों मैं गहराई का मानचित्र तैयार किया इसके अलावा पीने के पानी का पीएच लेवल, तापमान, डी ओ,टी डी एस,समेत झील की तलहटी में मौजूद सिल्ट, क्लोरीन, मरकरी लैंड व अन्य खतरनाक अवयवों का पता लगाया, ताकि पानी की शुद्धता का पता लगाया जा सके, और नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके।


Conclusion:सर्वे के दौरान नैनीताल पहुंची टीम ने बताया कि नैनी झील की अधिकतम गहराई 24 मीटर है जबकि पूर्व में एक बार हुई झील की गहराई की नपाई के दौरान झील की गहराई 27 मीटर थी, इसरो और आईआईटी की टीम द्वारा करे जा रहे बेथी मेट्री इस सर्वे के आधार पर ही पूरी झील का प्रोफाइल व डेटाबेस तैयार किया जाएगा।

बाईट- सविन बंसल, डीएम नैनीताल।
Last Updated : Nov 11, 2019, 5:14 PM IST
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