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विश्व हिंदी दिवसः ये PCS अधिकारी अपने साहित्य से जनमानस को कर रहा ओत-प्रोत, दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

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Published : Jan 10, 2020, 8:13 AM IST

Updated : Jan 10, 2020, 1:24 PM IST

हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है.वहीं विश्व के करीब 175 विश्वविद्यालय में हिंदी को विषय में शामिल किया गया है. ऐसे में राज्य में पीसीएस के पहले बैच के टॉपर ललित मोहन रयाल हिंदी को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं.

विश्व हिंदी दिवसः
विश्व हिंदी दिवसः

हल्द्वानीः हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा कर हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाना है. जिससे विश्व स्तर पर हिंदी को व्यापक रूप में पहचान भी मिल रही है, लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने हिंदी को अपनाकर अपनी जिंदगी में सफलता को खोजा है.

PCS अधिकारी का हिंदी से लगाव.

उनके लिए आखिरकार मातृभाषा हिंदी सफलता की साथी बनी और उनकी जिंदगी संवार दी. विश्व हिंदी दिवस के मौके पर ऐसे ही एक उत्तराखंड के सफल पीसीएस अधिकारी अपनी कहानी बता रहे हैं जिनको हिंदी ने एक बड़े मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है और आज उनके लिखे हुए साहित्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन रहे हैं.

राज्य में पीसीएस के पहले बैच के टॉपर ललित मोहन रयाल की पहचान एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के रूप में की जाती है. ललित मोहन रयाल ने बताया कि उनकी सफलता की कुंजी हिंदी है. हिंदी राज्य भाषा, संपर्क भाषा और कामकाजी भाषा है.

हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली दूसरी नंबर की भाषा है. हिंदी सिनेमा का हिंदी को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान रहा है. हिंदी सिनेमा से एशियाई देशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है.

विश्व के करीब 175 विश्वविद्यालय में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ा जाता है. विश्व के कई हिस्सों में प्रवासी भारतीय हिंदी विषय की पढ़ाई करते हैं और हिंदी का अच्छा खासा प्रयोग किया करते हैं.

ऐसे में विश्व में हिंदी का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है. यही नहीं अबू धाबी की कोर्ट के फैसले में हिंदी को वहां के सेकंड भाषा की मान्यता भी मिली है, जबकि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हर साल हिंदी के शब्दों में इजाफा हो रहा है.

ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी की सहकारिता विश्व स्तर पर धीरे-धीरे बढ़ रही हैं. 100 साल पहले लोगों की आम भाषा ब्रजभाषा हुआ करती थी, जिसके बाद वह खड़ी बोली के रूप में बोली जाने लगी, लेकिन इन 100 सालों में हिंदी को बढ़ावा मिला है और हिंदी लगातार प्रगति करते हुए नई पीढ़ी की ओर बढ़ रही है, जो नई हिंदी के रूप में देखी जा रही है. आज विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में हिंदी भाषा एक है.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः शिक्षा विभाग में पीआरडी के जरिये होंगी भर्तियां, 800 पद हैं खाली

ललित मोहन रयाल एक अच्छे पीसीएस अधिकारी और साहित्यकार के साथ अच्छे लेखक भी हैं. रयाल ने बचपन की स्मृतियों पर आधारित 'किताब खड़क माफी', 'अथश्री प्रयाग कथा लिखिए' जो बाजार में आ चुकी है. जबकि 'चाकुरी चतुरंग' पुस्तक की तैयारी कर रहे हैं.

हल्द्वानीः हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा कर हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाना है. जिससे विश्व स्तर पर हिंदी को व्यापक रूप में पहचान भी मिल रही है, लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने हिंदी को अपनाकर अपनी जिंदगी में सफलता को खोजा है.

PCS अधिकारी का हिंदी से लगाव.

उनके लिए आखिरकार मातृभाषा हिंदी सफलता की साथी बनी और उनकी जिंदगी संवार दी. विश्व हिंदी दिवस के मौके पर ऐसे ही एक उत्तराखंड के सफल पीसीएस अधिकारी अपनी कहानी बता रहे हैं जिनको हिंदी ने एक बड़े मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है और आज उनके लिखे हुए साहित्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन रहे हैं.

राज्य में पीसीएस के पहले बैच के टॉपर ललित मोहन रयाल की पहचान एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के रूप में की जाती है. ललित मोहन रयाल ने बताया कि उनकी सफलता की कुंजी हिंदी है. हिंदी राज्य भाषा, संपर्क भाषा और कामकाजी भाषा है.

हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली दूसरी नंबर की भाषा है. हिंदी सिनेमा का हिंदी को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान रहा है. हिंदी सिनेमा से एशियाई देशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है.

विश्व के करीब 175 विश्वविद्यालय में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ा जाता है. विश्व के कई हिस्सों में प्रवासी भारतीय हिंदी विषय की पढ़ाई करते हैं और हिंदी का अच्छा खासा प्रयोग किया करते हैं.

ऐसे में विश्व में हिंदी का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है. यही नहीं अबू धाबी की कोर्ट के फैसले में हिंदी को वहां के सेकंड भाषा की मान्यता भी मिली है, जबकि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हर साल हिंदी के शब्दों में इजाफा हो रहा है.

ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी की सहकारिता विश्व स्तर पर धीरे-धीरे बढ़ रही हैं. 100 साल पहले लोगों की आम भाषा ब्रजभाषा हुआ करती थी, जिसके बाद वह खड़ी बोली के रूप में बोली जाने लगी, लेकिन इन 100 सालों में हिंदी को बढ़ावा मिला है और हिंदी लगातार प्रगति करते हुए नई पीढ़ी की ओर बढ़ रही है, जो नई हिंदी के रूप में देखी जा रही है. आज विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में हिंदी भाषा एक है.

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ललित मोहन रयाल एक अच्छे पीसीएस अधिकारी और साहित्यकार के साथ अच्छे लेखक भी हैं. रयाल ने बचपन की स्मृतियों पर आधारित 'किताब खड़क माफी', 'अथश्री प्रयाग कथा लिखिए' जो बाजार में आ चुकी है. जबकि 'चाकुरी चतुरंग' पुस्तक की तैयारी कर रहे हैं.

Intro:sammry- विश्व हिंदी दिवस स्पेशल- इस पीसीएस अधिकारी की जिंदगी की सफलता की संगिनी बनी हिंदी। कई साहित्यों की कर चुके हैं रचना।(स्पेशल) एंकर- हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए जागरूकता पैदा कर हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा में पेश करना है ।लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने हिंदी को अपनाकर अपने जिंदगी में सफलता को खोजा है। उनके लिए आखिरकार मातृभाषा हिंदी सफलता की संगिनी बनी और उनकी जिंदगी सवार दी। विश्व हिंदी दिवस के मौके पर ऐसे ही एक उत्तराखंड के सफल पीसीएस अधिकारी अपनी कहानी बता रहे हैं जिनको हिंदी ने एक बड़े मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। और आज उनके लिखे हुए साहित्य लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है।


Body:राज्य में पीसीएस के पहले बैच के टॉपर ललित मोहन रयाल की पहचान एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के रूप में की जाती है। ललित मोहन रयाल ने बताया कि उनकी सफलता की कुंजी हिंदी है। हिंदी राज्य भाषा, संपर्क भाषा और कामकाजी भाषा है । हिंदी विश्व के सबसे ज्यादा बोले जाने वाली दूसरी नंबर की भाषा है। हिंदी सिनेमा का हिंदी को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान रहा है। हिंदी सिनेमा से एशियाई देशों में हिंदी का प्रचार प्रसार बढ़ा है विश्व के करीब 175 विश्वविद्यालय में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ा जाता है। विश्व के कई हिस्सों में प्रवासी भारतीय हिंदी विषय की पढ़ाई करते हैं और हिंदी का अच्छा खासा प्रयोग किया करते हैं ।ऐसे में विश्व में हिंदी का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है ।यही नहीं अबू धाबी की कोर्ट के फैसले में हिंदी को वहा के सेकंड भाषा की मानता भी मिली है जबकि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हर साल हिंदी के शब्दों में इजाफा हो रहा है ।ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी की सहकारिता विश्व स्तर पर धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। 100 साल पहले लोगों की आम भाषा ब्रजभाषा हुआ करती थी जिसके बाद वह खड़ी बोली के रूप में बोली जाने लगी। लेकिन इन 100 सालों में हिंदी को बढ़ावा मिला है। और हिंदी लगातार प्रगति करते हुए नई पीढ़ी की ओर बढ़ रहा है जो नई हिंदी के रूप में देखी जा रही है आज विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में हिंदी भाषा एक है।


Conclusion: ललित मोहन रयाल एक अच्छे पीसीएस अधिकारी और साहित्यकार के साथ अच्छे लेखक भी हैं। रयाल ने बचपन की स्मृतियों पर आधारित किताब खड़क माफी, अथश्री पराग कथा लिखिए जो बाजार में आ चुकी है जबकि चाकुरी चतुरंग पुस्तक की तैयारी कर रहे हैं। बाइट- ललित मोहन रयाल पीसीएस अधिकारी
Last Updated : Jan 10, 2020, 1:24 PM IST
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