हल्द्वानी: इन दिनों उत्तराखंड सहित उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही हैं. लेकिन कड़ाके की ठंड के बीच बाहरी प्रदेश से आने वाले मजदूर हल्द्वानी की गौला नदी (Haldwani Gaula River) में मजदूरी कर अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं. वहीं गौला में काम कर रहे मजदूरों को अभी तक कंबल और अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. ऐसे में मजदूरों का कहना है कि साहब मार्च में कंबल लेकर क्या करेंगे, जबकि असल में जरूरत अभी है. मजदूरों को सरकार कई तरह की सुविधाएं देने की बात तो करती है, लेकिन धरातल में हकीकत ठीक उलट है.
कुमाऊं के सबसे बड़े खनन केंद्र गौला नदी में हर साल बड़े पैमाने पर खनन (Haldwani Gaula Mining) होता है. खनन कार्य के लिए हर साल उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में मजदूर यहां आते हैं. मजदूर कार्य कर अपने परिवार की आजीविका चलाने के साथ ही सरकार को भी भारी राजस्व देते हैं. खनन कार्य में लगे मजदूरों के उत्थान के लिए वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई गई है, जिससे इन मजदूरों को अधिकार मिल सकें. लेकिन जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में मजदूरों को मिलने वाली सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है.
पढ़ें-कल केजरीवाल ने देहरादून में की थी बड़ी रैली, आज कोरोना संक्रमित होकर हुए आइसोलेट
खनन कार्य में लगे मजदूरों को सेफ्टी हेलमेट, ग्लब्स, जूते, कंबल, जलौनी लकड़ी, शुद्ध पेयजल, दवाइयां सहित कई अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान है. लेकिन सरकार और उनके नुमाइंदों की उदासीनता से मजदूर कड़कड़ाती ठंड में कार्य करने को मजबूर हैं. मजदूरों का कहना है कि कार्यदायी संस्था वन विकास निगम द्वारा अभी तक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. मजदूरों का आरोप है कि पिछले साल उनको केवल कंबल दिया गया था वो भी मार्च के महीने में दिया गया.
पढ़ें-क्या BJP में जा रहे किशोर उपाध्याय? संगठन मंत्री अजय कुमार के घर हुए स्पॉट
उन्होंने कहा कि मार्च महीने में कंबल लेकर वो क्या करेंगे, जबकि अभी ठंड पड़ रही है. यहां तक कि नदी में काम करने वाले मजदूरों के लिए पानी पीने तक की कोई सुविधा नहीं है और मजदूर नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम केएन भारती का कहना है कि मजदूरों को दी जाने वाले सुविधाओं के लिए शासन स्तर पर बात की गई है. बजट मिलते हैं मजदूरों को मिलने वाली सुविधा उपलब्ध कराई जाएंगे.