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भाइयों के हाथ पर इस बार सजेगी इको फ्रेंडली राखियां, महिलाएं कर रही तैयार

हल्द्वानी के श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही है. वहीं राखियों की डिमांड अन्य प्रदेशों से भी आ रही है.

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Published : Jul 18, 2021, 11:29 AM IST

Updated : Jul 18, 2021, 1:57 PM IST

हल्द्वानी: सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उसके सुखी जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई बदले में बहन को उपहार भेंट करते हैं. वहीं इस त्योहार को कुछ महिला समूह खास बनाने में जुटी हुई है.

हल्द्वानी में एक संस्था इन दिनों भाई के कलाइयों पर सजने वाली राखी चाइना की आर्टिफिशियल राखियों की टक्कर देने के लिए इको फ्रेंडली राखियां तैयार करने में जुटी हुई है. संस्था द्वारा 15 प्रकार की राखियां तैयार की गई हैं. जो चावल, ऐपण, कलावा, रुई और रेशम के धागों से बनाई गई हैं. जिसकी डिमांड उत्तराखंड सहित कई अन्य प्रदेशों से भी आ रही है.

भाइयों के हाथ पर इस बार सजेगी इको फ्रेंडली राखियां.

तल्ली हल्द्वानी के श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था द्वारा इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए सहायता समूह के जुड़ी करीब 400 महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं. वहीं संस्था के पास कई बड़े शहरों से राखियों की डिमांड आ रही है, जिससे समूह की महिलाओं में खासा उत्साह है.

श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था की अध्यक्ष पुष्पा कांडपाल ने बताया कि महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उनकी संस्था द्वारा पिछले कई सालों से काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चाइना द्वारा बनाए गए आर्टिफिशियल राखियों के टक्कर देने के लिए उनकी संस्था द्वारा स्थानीय उत्पादों से राखियां तैयार की जा रही हैं.

पढ़ें:हादसों को दावत दे रहे सड़क पर बने गड्ढे, जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध

उन्होंने बताया कि उनके संस्था द्वारा सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन, आचार, जूट बैग, मोमबत्ती, सहित कई स्थानीय उत्पादन तैयार किए जाते हैं. जिससे संस्था से जुड़े महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें, संस्था से जुड़ी महिलाएं उत्पादन के माध्यम से प्रति महीना 10 से 15 हजार की आमदनी कर लेती हैं. इसके अलावा राखियों की पैकेजिंग के लिए भी बेहतर सुविधा दी गई है. जिससे राखियों में चार चांद लग सके. उनके द्वारा राखियों की कीमत ₹10 से लेकर ₹50 तक रखी गई है, जिनकी खूब डिमांड आ रही है.

हल्द्वानी: सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उसके सुखी जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई बदले में बहन को उपहार भेंट करते हैं. वहीं इस त्योहार को कुछ महिला समूह खास बनाने में जुटी हुई है.

हल्द्वानी में एक संस्था इन दिनों भाई के कलाइयों पर सजने वाली राखी चाइना की आर्टिफिशियल राखियों की टक्कर देने के लिए इको फ्रेंडली राखियां तैयार करने में जुटी हुई है. संस्था द्वारा 15 प्रकार की राखियां तैयार की गई हैं. जो चावल, ऐपण, कलावा, रुई और रेशम के धागों से बनाई गई हैं. जिसकी डिमांड उत्तराखंड सहित कई अन्य प्रदेशों से भी आ रही है.

भाइयों के हाथ पर इस बार सजेगी इको फ्रेंडली राखियां.

तल्ली हल्द्वानी के श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था द्वारा इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए सहायता समूह के जुड़ी करीब 400 महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं. वहीं संस्था के पास कई बड़े शहरों से राखियों की डिमांड आ रही है, जिससे समूह की महिलाओं में खासा उत्साह है.

श्रद्धा महिला एवं बाल विकास संस्था की अध्यक्ष पुष्पा कांडपाल ने बताया कि महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उनकी संस्था द्वारा पिछले कई सालों से काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चाइना द्वारा बनाए गए आर्टिफिशियल राखियों के टक्कर देने के लिए उनकी संस्था द्वारा स्थानीय उत्पादों से राखियां तैयार की जा रही हैं.

पढ़ें:हादसों को दावत दे रहे सड़क पर बने गड्ढे, जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध

उन्होंने बताया कि उनके संस्था द्वारा सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन, आचार, जूट बैग, मोमबत्ती, सहित कई स्थानीय उत्पादन तैयार किए जाते हैं. जिससे संस्था से जुड़े महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें, संस्था से जुड़ी महिलाएं उत्पादन के माध्यम से प्रति महीना 10 से 15 हजार की आमदनी कर लेती हैं. इसके अलावा राखियों की पैकेजिंग के लिए भी बेहतर सुविधा दी गई है. जिससे राखियों में चार चांद लग सके. उनके द्वारा राखियों की कीमत ₹10 से लेकर ₹50 तक रखी गई है, जिनकी खूब डिमांड आ रही है.

Last Updated : Jul 18, 2021, 1:57 PM IST
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