हल्द्वानी: रंगों का त्यौहार होली को कुछ दिन ही बचे हैं, लेकिन उत्तराखंड में होली के महोत्सव अपने शबाब पर हैं. खासकर कुमाऊं में तो अभी से होली की धूम है. जिसमें महिलाओं की पारंपरिक होली की बात ही निराली है. यहां महिलाएं अपनी पारंपरिक कुमाऊंनी होली की साड़ी पहनकर खड़ी और बैठकी होली में हिस्सा ले रही हैं. जिससे माहौल होलीमय हो गया है. वहीं, महिलाओं में कुमाऊंनी होली की साड़ी और गले में गोलबंद उनकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा है.
होली की पारंपरिक कुमाऊंनी साड़ी होलियार महिलाओं की पहचान बन चुकी है. इन दिनों जगह-जगह महिलाओं की सामूहिक रूप से बैठकी होली चल रही है. जहां पारंपरिक होली की साड़ी और गले में गोलबंद महिलाओं की पहली पसंद बनी हुई है. हल्द्वानी के बाजारों में होली की साड़ी की डिमांड बढ़ी है. बाजार भी इस साड़ी से पटे हुए नजर आ रहे हैं. महिलाएं भी साड़ी खरीदने पहुंच रही हैं, जिससे अभी से ही नजारा होली में रंगा नजर आ रहा है.
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होलियार महिलाओं का कहना है कि कुमाऊंनी होली में पारंपरिक परिधान का काफी महत्व है. अपनी संस्कृति को देखते हुए होलियार महिलाएं कुमाऊंनी वेशभूषा के अनुसार होली का वस्त्र धारण करती हैं. इससे पहाड़ी संस्कृति का प्रचार प्रसार भी हो जाता है. यह साड़ी खासकर होली के मौके पर पहनी जाती है. यह साड़ी मुख्यत लाल और सफेद रंग की होती है. इनमें सफेद साड़ी के ऊपर लाल रंग के बुरांस और गुलाब के फूल बने होते हैं. यह साड़ियां सिंथेटिक, सूती और सिल्क में बनाई जाती हैं.
हल्द्वानी के साड़ी विक्रेता रवि थरेजा का कहना है कि बीते दो साल कोरोना महामारी के चलते साड़ियां नहीं मिल पाई थी. जहां बाजारों में साड़ियों की भारी कमी देखी गई, लेकिन इस बार भरपूर मात्रा में सूरत से साड़ियां उत्तराखंड पहुंची हैं, जो कुमाऊं संस्कृति में है. इस बार साड़ियों की डिमांड भी काफी मिल रही है. बाजार में ₹200 से लेकर ₹300 तक की साड़ी उपलब्ध है. जिसे महिलाएं अपने समूह के डिजाइन के अनुसार खरीद रही हैं.
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