हल्द्वानी: प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति सचेत करना है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की आम सभा ने 11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला लिया.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए उत्तराखंड सरकार हर साल जनसंख्या पखवाड़ा के साथ-साथ जन जागरूकता अभियान भी चलाती है, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाया जा सके. लेकिन लगातार बढ़ती जनसंख्या देश के साथ-साथ उत्तराखंड के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.
जनसंख्या नियंत्रण में परिवार नियोजन का सबसे बड़ा योगदान है. लेकिन उत्तराखंड में जनसंख्या नियंत्रण में मामले में महिलाएं पुरुषों से कई गुना आगे हैं. उत्तराखंड को बने 20 साल हो चुके हैं, लेकिन परिवार नियोजन मामले में अभी भी उत्तराखंड काफी पीछे चल रहा है. उत्तराखंड बनने से अभी तक पूरे प्रदेश में परिवार नियोजन के नाम पर करीब 5 लाख 20 हजार लोगों ने ही नसबंदी कराया है. जिसमें महिलाओं की भागीदारी 94% हैं, जबकि 6% पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के पंचकेदार का जानिए महत्ता, सावन में दर्शन का है विशेष महत्व
आंकड़ों की बात करें तो पूरे प्रदेश में अभी तक 4 लाख 85 हजार महिलाओं और 35 हजार पुरुषों ने नसबंदी कराई है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या परिवार नियोजन में जागरूकता की कमी रही है या पुरुषों में नसबंदी को लेकर कोई भ्रांतियां हैं.
नैनीताल जिले के आंकड़े
नैनीताल जिले की करें तो यहां नसबंदी में पुरुषों की भागीदारी 1% भी नहीं है. जबकि, महिलाओं की संख्या में थोड़ा इजाफा जरूर हुआ है. नैनीताल जनपद में जहां 2018 में 1288 महिलाओं ने नसबंदी कराई. वहीं, 29 पुरुषों ने नसबंदी कराई हैं. साल 2019 -20 में करीब 1200 महिलाओं ने ही नसबंदी कराई है. जबकि पुरुषों की संख्या 30 है.
फैमिली प्लानिंग पर नैनीताल की सीएमओ भागीरथी जोशी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में परिवार नियोजन की उत्सुकता ज्यादा रहती है. जबकि, महिलाओं की तुलना में पुरुषों की नसबंदी आसान होती है. डॉक्टरों की मानें तो पुरुष नसबंदी सबसे ज्यादा कारगर होता है, जबकि पुरुषों की नसबंदी करने से उसकी मर्दाना ताकत पर कोई असर नहीं पड़ता है. ऐसे में पुरुषों को भी जागरूक होने की जरूरत है. ताकि, जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम लगाई जा सके.
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार लोगों को जागरूकता के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है. इसके बावजूद भी जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम नहीं लग पा रहा है. नसबंदी कराने वाले पुरुषों को सरकार प्रोत्साहन के नाम पर 2 हजार रुपए देती है. जबकि, महिलाओं को प्रोत्साहन के रूप में 1400 रुपए देती है. आशा वर्कर्स को प्रोत्साहन के रूप में पुरुष नसबंदी पर 300 रुपए और महिला नसबंदी पर 200 रुपए मिलते हैं.