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कैंटीन का संचालन कर रही महिलाएं, अपनाया स्वरोजगार और बनीं आत्मनिर्भर

हल्द्वानी के पवलगढ़ में स्वयं सहायता समूह की 26 महिलाएं कैंटीन (Women running canteen in Pawalgarh) का संचालन कर रही हैं. इससे महिलाएं रोजाना 500 रुपये से लेकर 1 हजार तक आमदनी कर रही हैं. कैंटीन का संचालन कर महिलाओं में काफी खुशी है.

Women adopted self-employment
महिलाओं ने अपनाया स्वरोजगार
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Published : Jan 3, 2022, 12:29 PM IST

Updated : Jan 3, 2022, 12:43 PM IST

हल्द्वानी: कुछ कर गुजरने की ललक हो तो मुश्किल काम भी आसान लगता है. ऐसा ही कर दिखाया है नैनीताल जिले के कालाढूंगी क्षेत्र की सशक्त महिलाओं ने. यहां की महिलाएं कभी घरेलू काम और जंगल में घास काटने काम करती थी. लेकिन अब वो महिला सहायता समूह की स्थापना कर स्वरोजगार अपनाते हुए कैंटीन का संचालन (Women running canteen in Pawalgarh) कर रही हैं. इससे महिलाएं रोजाना 500 रुपये से लेकर 1 हजार तक आमदनी कर रही हैं. कैंटीन का संचालन कर महिलाओं में काफी खुशी है.

नैनीताल जनपद के कालाढूंगी का पवलगढ़ क्षेत्र दूरस्थ क्षेत्रों में माना जाता है. पवलगढ़ पर्यटन के लिहाज से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है. कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र की महिलाएं पहले घरेलू कार्य के साथ-साथ जंगलों से घास काटने का काम करती थी. लेकिन यहां की 26 महिलाओं का समूह घास काटना छोड़ पवलगढ़ वन विभाग गेस्ट हाउस के सामने कैंटीन का संचालन कर रहा हैं. ये पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं जो इन महिला सहायता समूह की कैंटीन के खाने का स्वाद ले रहे हैं.

कैंटीन का संचालन कर रही महिलाएं.

महिला सहायता समूह की सदस्य सुनीता देवी ने बताया कि पहले वह लोग घरों में ही रहकर घरेलू काम के अलावा जंगलों से घास काटने का काम करती थीं. जहां जंगली जानवरों से भी खतरा बना रहता था. लेकिन उन्होंने महिला सहायता समूह की स्थापना की. जिसके माध्यम से 26 महिलाओं को जोड़ रखा है. महिला सहायता समूह अपनी कैंटीन का संचालन करती हैं. कैंटीन में सभी तरह के फास्ट फूड के अलावा पहाड़ी व्यंजन भी उपलब्ध कराती हैं.

उन्होंने कहा कि 3 साल पहले वो लोग जंगलों में घास काटने का काम करती थी. फिर एक दिन डीएफओ ने पहल करते हुए कहा कि आप लोग घास काटने की बजाए उनके गेस्ट हाउस के सामने कैंटीन का संचालन करें. जिसके बाद महिलाओं ने कैंटीन का संचालन शुरू किया. आज उनकी महिला सहायता समूह की कैंटीन लोगों के खान-पान के साथ-साथ अन्य उत्पादन भी तैयार कर रही है.

पढ़ें: काशीपुर में अजीबोगरीब पोस्टर बने चर्चा का विषय, प्रशासन ने की कार्रवाई की बात

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि अब वो स्वरोजगार अपनाते हुए कैंटीन का संचालन कर रही हैं. उनकी कैंटीन में सात गैस चूल्हे हैं. जिनके माध्यम से सभी तरह के व्यंजन तैयार किये जाते हैं और पर्यटक भी आकर उनके व्यंजनों का लुफ्त उठाते हैं. उन्होंने कहा कि यहां सभी जगह से पर्यटक आते हैं. पर्यटकों की मानें तो महिला सहायता समूह द्वारा तैयार किए गए स्थानीय व्यंजनों के अलावा फास्ट फूड काफी स्वादिष्ट हैं. उन्होंने कहा कि यहां इतनी सारी महिलाएं मिल बांट कर काम करती हैं यह देखकर उन्हें काफी खुशी हो रही है.

हल्द्वानी: कुछ कर गुजरने की ललक हो तो मुश्किल काम भी आसान लगता है. ऐसा ही कर दिखाया है नैनीताल जिले के कालाढूंगी क्षेत्र की सशक्त महिलाओं ने. यहां की महिलाएं कभी घरेलू काम और जंगल में घास काटने काम करती थी. लेकिन अब वो महिला सहायता समूह की स्थापना कर स्वरोजगार अपनाते हुए कैंटीन का संचालन (Women running canteen in Pawalgarh) कर रही हैं. इससे महिलाएं रोजाना 500 रुपये से लेकर 1 हजार तक आमदनी कर रही हैं. कैंटीन का संचालन कर महिलाओं में काफी खुशी है.

नैनीताल जनपद के कालाढूंगी का पवलगढ़ क्षेत्र दूरस्थ क्षेत्रों में माना जाता है. पवलगढ़ पर्यटन के लिहाज से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है. कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र की महिलाएं पहले घरेलू कार्य के साथ-साथ जंगलों से घास काटने का काम करती थी. लेकिन यहां की 26 महिलाओं का समूह घास काटना छोड़ पवलगढ़ वन विभाग गेस्ट हाउस के सामने कैंटीन का संचालन कर रहा हैं. ये पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं जो इन महिला सहायता समूह की कैंटीन के खाने का स्वाद ले रहे हैं.

कैंटीन का संचालन कर रही महिलाएं.

महिला सहायता समूह की सदस्य सुनीता देवी ने बताया कि पहले वह लोग घरों में ही रहकर घरेलू काम के अलावा जंगलों से घास काटने का काम करती थीं. जहां जंगली जानवरों से भी खतरा बना रहता था. लेकिन उन्होंने महिला सहायता समूह की स्थापना की. जिसके माध्यम से 26 महिलाओं को जोड़ रखा है. महिला सहायता समूह अपनी कैंटीन का संचालन करती हैं. कैंटीन में सभी तरह के फास्ट फूड के अलावा पहाड़ी व्यंजन भी उपलब्ध कराती हैं.

उन्होंने कहा कि 3 साल पहले वो लोग जंगलों में घास काटने का काम करती थी. फिर एक दिन डीएफओ ने पहल करते हुए कहा कि आप लोग घास काटने की बजाए उनके गेस्ट हाउस के सामने कैंटीन का संचालन करें. जिसके बाद महिलाओं ने कैंटीन का संचालन शुरू किया. आज उनकी महिला सहायता समूह की कैंटीन लोगों के खान-पान के साथ-साथ अन्य उत्पादन भी तैयार कर रही है.

पढ़ें: काशीपुर में अजीबोगरीब पोस्टर बने चर्चा का विषय, प्रशासन ने की कार्रवाई की बात

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि अब वो स्वरोजगार अपनाते हुए कैंटीन का संचालन कर रही हैं. उनकी कैंटीन में सात गैस चूल्हे हैं. जिनके माध्यम से सभी तरह के व्यंजन तैयार किये जाते हैं और पर्यटक भी आकर उनके व्यंजनों का लुफ्त उठाते हैं. उन्होंने कहा कि यहां सभी जगह से पर्यटक आते हैं. पर्यटकों की मानें तो महिला सहायता समूह द्वारा तैयार किए गए स्थानीय व्यंजनों के अलावा फास्ट फूड काफी स्वादिष्ट हैं. उन्होंने कहा कि यहां इतनी सारी महिलाएं मिल बांट कर काम करती हैं यह देखकर उन्हें काफी खुशी हो रही है.

Last Updated : Jan 3, 2022, 12:43 PM IST
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