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कॉर्बेट में वन्यजीवों को अब नई तकनीक से किया जा रहा ट्रेंकुलाइज - Dr. Dushyant Sharma

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में विदेशी दवाओं का सहारा लेकर बाघों को ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है. पहले वन्यजीवों को बेहोश करने में 20 से 25 मिनट का समय लगता था. वहीं अब दो से तीन मिनट में वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज किया जा सकता है.

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Published : Jan 12, 2021, 10:25 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 10:59 PM IST

रामनगरः कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब नई तकनीक के साथ वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है, जिसमें विदेशी पद्धति अपना कर आसानी से वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है.

नई तकनीक से किया जा रहा ट्रेंकुलाइज

आपको बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पिछले 23 दिसंबर को एक बाघ को राजाजी पार्क भेजा गया, उस बाघ को ट्रेंकुलाइज करने में सीटीआर के डॉक्टरों की टीम को महज 2 से 3 मिनट का समय लगा. वहीं, इस विषय में ज्यादा जानकारी देते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डॉक्टर दुष्यंत शर्मा ने बताया कि इस दवा के लिए 2017 से ही प्रयास किया जा रहा था. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को विदेशी औषधि मेक्सिको और अफ्रीका से मिली है. इन औषधियों को कीमत लगभग 20 लाख से अधिक आंकी गई है.

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हाल ही में 8 जनवरी को जिस बाघिन को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के झिरना रेंज से रेस्क्यू किया गया था, उसे रेस्क्यू करने में इस दवा का इस्तेमाल किया गया था. इस दवा से महज 2 से 3 मिनट में ही बाघिन बेहोश हो गयी थी. वहीं भारतीय वन्य जीव संस्थान के पास यह औषधि पहले से ही है.

ये भी पढ़ेंः बदरीनाथ-केदारनाथ के लिए 44 करोड़ में बनेगी रेलवे लाइन, बोर्ड को भेजी गई DPR

दुष्यन्त शर्मा ने आगे बताया कि यह औषधि देने के बाद वन्यजीव 2 से 3 मिनट बाद ही बेहोश हो जाता है और फिर रेडियो कॉलर लगाकर एंटीडोट लगाते ही वह शीघ्र ही होश में आ जाता है. वहीं, पहले वन्य जीवों को बेहोश करने में 20 से 25 मिनट का समय लग जाता था, जिसमें वन्यजीव को पकड़ना मुश्किल हो जाता था, क्योंकि 20 से 25 मिनट समय में वन्यजीव काफी दूर निकल जाता था, जिसमें उसे ढूंढना मुश्किल होता था.

वहीं, इस तकनीक को अपनाकर महज 2 से 3 मिनट में ही वन्यजीव बेहोश हो जाते हैं, जिसमें आसानी से उन्हें रेस्क्यू किया जाता है और इसी तकनीक से एंटीडोट लगाते ही उनको जल्दी होश में भी लाया जा सकता है.

रामनगरः कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब नई तकनीक के साथ वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है, जिसमें विदेशी पद्धति अपना कर आसानी से वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है.

नई तकनीक से किया जा रहा ट्रेंकुलाइज

आपको बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पिछले 23 दिसंबर को एक बाघ को राजाजी पार्क भेजा गया, उस बाघ को ट्रेंकुलाइज करने में सीटीआर के डॉक्टरों की टीम को महज 2 से 3 मिनट का समय लगा. वहीं, इस विषय में ज्यादा जानकारी देते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डॉक्टर दुष्यंत शर्मा ने बताया कि इस दवा के लिए 2017 से ही प्रयास किया जा रहा था. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को विदेशी औषधि मेक्सिको और अफ्रीका से मिली है. इन औषधियों को कीमत लगभग 20 लाख से अधिक आंकी गई है.

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हाल ही में 8 जनवरी को जिस बाघिन को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के झिरना रेंज से रेस्क्यू किया गया था, उसे रेस्क्यू करने में इस दवा का इस्तेमाल किया गया था. इस दवा से महज 2 से 3 मिनट में ही बाघिन बेहोश हो गयी थी. वहीं भारतीय वन्य जीव संस्थान के पास यह औषधि पहले से ही है.

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दुष्यन्त शर्मा ने आगे बताया कि यह औषधि देने के बाद वन्यजीव 2 से 3 मिनट बाद ही बेहोश हो जाता है और फिर रेडियो कॉलर लगाकर एंटीडोट लगाते ही वह शीघ्र ही होश में आ जाता है. वहीं, पहले वन्य जीवों को बेहोश करने में 20 से 25 मिनट का समय लग जाता था, जिसमें वन्यजीव को पकड़ना मुश्किल हो जाता था, क्योंकि 20 से 25 मिनट समय में वन्यजीव काफी दूर निकल जाता था, जिसमें उसे ढूंढना मुश्किल होता था.

वहीं, इस तकनीक को अपनाकर महज 2 से 3 मिनट में ही वन्यजीव बेहोश हो जाते हैं, जिसमें आसानी से उन्हें रेस्क्यू किया जाता है और इसी तकनीक से एंटीडोट लगाते ही उनको जल्दी होश में भी लाया जा सकता है.

Last Updated : Jan 12, 2021, 10:59 PM IST
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