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कड़ाके की ठंड में काम कर रहे मजदूर, वेलफेयर सोसाइटी बनी दिखावा

प्रदेश को हर साल खनन से करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है. सरकार को ये राजस्व मिले इसके लिये सैकड़ों मजदूर कड़ाके की ठंड में नदियों में काम करते हैं. मजदूरों की सुविधाओं के लिए बनाई गई वेलफेयर सोसाइटी सिर्फ दिखावा साबित हो रही है.

haldwani mining news
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Published : Jan 22, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 7:37 PM IST

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत खनन है. कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी और नंधौर नदी से प्रदेश सरकार को हर साल खनन से करोड़ों का राजस्व मिलता है. इन नदियों में काम करने के लिए हर साल कई बाहरी प्रदेशों से हजारों की संख्या में मजदूर आते हैं. नदी में होने वाले खनन के काम से ये मजदूर अपने परिवार की आजीविका के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी करोड़ों का राजस्व देते हैं. लेकिन नदियों में काम करने वाले मजदूर ठंड से बेहाल हैं.

मजदूरों की मदद नहीं कर रही वेलफेयर सोसाइटी.

मजदूरों की सुविधाओं के लिए बनाई गई वेलफेयर सोसाइटी में करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं. वन विकास निगम के अधिकारी इस फंड पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं. पिछले दो-तीन सालों से मजदूरों को मिलने वाले कंबल, जूते, पॉल्यूशन मास्क सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में बाहर से आकर नदियों में खनन करने वाले मजदूर ठंड में ठिठुर कर काम करने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि कुमाऊं की गौला नदी, नंधौर नदी, कोसी नदी सहित कई अन्य नदियों में खनन का काम चल रहा है. इन नदियों में 12 हजार से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं. खनन का काम करने वाले अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित कई प्रदेशों के हैं, जो हर साल यहां आकर मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. साथ ही इन मजदूरों की बदौलत प्रदेश सरकार की झोली में हर साल करोड़ों का राजस्व जाता है.

वहीं प्रदेश सरकार द्वारा इन मजदूरों के हितों के लिए वेलफेयर सोसाइटी और खनन न्यास की स्थापना की गई है. जिसके माध्यम से इन मजदूरों के लिए पीने के पानी, शौचालय की व्यवस्था, ठंड से बचने के लिए कंबल, जूते, मास्क, ग्लव्स, मेडिकल कैंप, सहित कई अन्य जरूरी व्यवस्था की जा सके. लेकिन खनन में लगी कार्यदाई संस्था वन विकास निगम के अधिकारी इन मजदूरों को किसी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं. यहां तक की वेलफेयर सोसाइटी में करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं, लेकिन अधिकारी फंड पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः बेरीनाग में जल संस्थान पर बिना पानी दिए बिल भेजने का आरोप

मजदूरों का कहना है कि उनको हर साल सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर उनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है. लेकिन पिछले दो-तीन सालों से सुविधा के नाम पर उनको कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों का कहना है कि ठंड समाप्ति की ओर है, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है.

वहीं, जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि कार्यदाई संस्था वन विकास निगम को निर्देशित किया जा चुका है कि मजदूरों को मिलने वाली सुविधा उपलब्ध कराई जाए. अगर कार्यदाई संस्था द्वारा किसी तरह की कोई लापरवाही बरती जा रही है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है. जल्द ही मजदूरों तक सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत खनन है. कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी और नंधौर नदी से प्रदेश सरकार को हर साल खनन से करोड़ों का राजस्व मिलता है. इन नदियों में काम करने के लिए हर साल कई बाहरी प्रदेशों से हजारों की संख्या में मजदूर आते हैं. नदी में होने वाले खनन के काम से ये मजदूर अपने परिवार की आजीविका के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी करोड़ों का राजस्व देते हैं. लेकिन नदियों में काम करने वाले मजदूर ठंड से बेहाल हैं.

मजदूरों की मदद नहीं कर रही वेलफेयर सोसाइटी.

मजदूरों की सुविधाओं के लिए बनाई गई वेलफेयर सोसाइटी में करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं. वन विकास निगम के अधिकारी इस फंड पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं. पिछले दो-तीन सालों से मजदूरों को मिलने वाले कंबल, जूते, पॉल्यूशन मास्क सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में बाहर से आकर नदियों में खनन करने वाले मजदूर ठंड में ठिठुर कर काम करने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि कुमाऊं की गौला नदी, नंधौर नदी, कोसी नदी सहित कई अन्य नदियों में खनन का काम चल रहा है. इन नदियों में 12 हजार से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं. खनन का काम करने वाले अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित कई प्रदेशों के हैं, जो हर साल यहां आकर मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. साथ ही इन मजदूरों की बदौलत प्रदेश सरकार की झोली में हर साल करोड़ों का राजस्व जाता है.

वहीं प्रदेश सरकार द्वारा इन मजदूरों के हितों के लिए वेलफेयर सोसाइटी और खनन न्यास की स्थापना की गई है. जिसके माध्यम से इन मजदूरों के लिए पीने के पानी, शौचालय की व्यवस्था, ठंड से बचने के लिए कंबल, जूते, मास्क, ग्लव्स, मेडिकल कैंप, सहित कई अन्य जरूरी व्यवस्था की जा सके. लेकिन खनन में लगी कार्यदाई संस्था वन विकास निगम के अधिकारी इन मजदूरों को किसी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं. यहां तक की वेलफेयर सोसाइटी में करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं, लेकिन अधिकारी फंड पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः बेरीनाग में जल संस्थान पर बिना पानी दिए बिल भेजने का आरोप

मजदूरों का कहना है कि उनको हर साल सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर उनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है. लेकिन पिछले दो-तीन सालों से सुविधा के नाम पर उनको कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों का कहना है कि ठंड समाप्ति की ओर है, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है.

वहीं, जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि कार्यदाई संस्था वन विकास निगम को निर्देशित किया जा चुका है कि मजदूरों को मिलने वाली सुविधा उपलब्ध कराई जाए. अगर कार्यदाई संस्था द्वारा किसी तरह की कोई लापरवाही बरती जा रही है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है. जल्द ही मजदूरों तक सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

Last Updated : Jan 22, 2021, 7:37 PM IST
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