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नैनी झील के लिए वरदान साबित हुई बारिश और बर्फबारी, 9 इंच बढ़ा जलस्तर

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Published : Jan 19, 2020, 2:41 PM IST

नैनीताल में बारिश और बर्फबारी के बाद नैनी झील का जलस्तर 9 इंच बढ़ गया है. बारिश ना होने से जलस्तर लगातार घट रहा था, जो अब रिचार्ज हो गया है.

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नैनी झील

नैनीतालः उत्तराखंड में इन दिनों भले ही बारिश और बर्फबारी से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन नैनीताल में हुई बारिश और बर्फबारी नैनी झील के लिए वरदान साबित हुई है. क्योंकि, बीते कुछ महीने से नैनी झील का जलस्तर लगातार कम हो रहा था. जो अब फिर से रिचार्ज हो गया है और झील का जलस्तर करीब 9 इंच बढ़ गया है.

नैनी झील की देखरेख करने वाली कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते 1 जनवरी से 18 जनवरी तक करीब 90 मिलीमीटर बारिश हुई है. नैनीताल में हुई बर्फबारी से झील का जलस्तर 9 इंच बढ़ गया है. जिससे आने वाले पर्यटन सीजन में पीने के पानी की समस्या नहीं होगी.

नैनी झील का जलस्तर बढ़ा.

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बीते साल की अपेक्षा इस साल नैनी झील का जलस्तर करीब 50 सेंटीमीटर ऊपर है. विभाग की ओर से झील के जल को नियंत्रित और घरों में पानी की सप्लाई करने के लिए रोस्टिंग की व्यवस्था की गई है. जिससे झील के जलस्तर पर नियंत्रण रखा जा सके. वहीं, जाने-माने पर्यावरणविद् अजय रावत की मानें तो नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र में हो रहे बेतहाशा अवैध अतिक्रमण की वजह से झील का अस्तित्व खतरे में है. हो सकता है कि नैनी झील का अस्तित्व केवल 20 से 30 साल का हो. ऐसे में झील को लेकर गंभीर होने की जरूरत है.

नैनी झील का जलस्तर बढ़ा.

गौरतलब है कि बीते दिनों इसरो और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम द्वारा नैनी झील की गहराई की माप की थी. जिसमें झील के पानी की स्वच्छता समेत झील की भूगर्भीय संरचना के सर्वे के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई. सर्वे के दौरान पता चला है कि नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है. झील में लगातार सिल्ट यानी मलबे की मात्रा बढ़ रही है, जिससे नैनी झील की तलहटी पर बने जल स्रोत पूरी तरह से ढकने लगे हैं, जिससे पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः यमुना नदी में स्नान से टल जाता है अकाल मृत्यु का संकट, जानिए विशेष महत्व

ऐसे में इसरो की टीम द्वारा सोनार सिस्टम के माध्यम से नैनी झील की विभिन्न क्षेत्रों में गहराई का मानचित्र तैयार किया. इसके अलावा पीने के पानी का पीएच लेवल, तापमान, डीओ, टीडीएस समेत झील की तलहटी में मौजूद सिल्ट, क्लोरीन, मरकरी लैंड व अन्य खतरनाक अवयवों का पता लगाया, ताकि पानी की शुद्धता का पता लगाया जा सके. साथ ही नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके. वहीं, सर्वे में पता चला कि नैनी झील की अधिकतम गहराई 24 मीटर है, जबकि पूर्व में एक बार हुई माप के दौरान झील की गहराई 27 मीटर थी. इसरो और आईआईटी टीम द्वारा किए जा रहे बेथीमेट्री सर्वे के आधार पर ही पूरी झील का प्रोफाइल व डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.

नैनीतालः उत्तराखंड में इन दिनों भले ही बारिश और बर्फबारी से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन नैनीताल में हुई बारिश और बर्फबारी नैनी झील के लिए वरदान साबित हुई है. क्योंकि, बीते कुछ महीने से नैनी झील का जलस्तर लगातार कम हो रहा था. जो अब फिर से रिचार्ज हो गया है और झील का जलस्तर करीब 9 इंच बढ़ गया है.

नैनी झील की देखरेख करने वाली कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते 1 जनवरी से 18 जनवरी तक करीब 90 मिलीमीटर बारिश हुई है. नैनीताल में हुई बर्फबारी से झील का जलस्तर 9 इंच बढ़ गया है. जिससे आने वाले पर्यटन सीजन में पीने के पानी की समस्या नहीं होगी.

नैनी झील का जलस्तर बढ़ा.

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बीते साल की अपेक्षा इस साल नैनी झील का जलस्तर करीब 50 सेंटीमीटर ऊपर है. विभाग की ओर से झील के जल को नियंत्रित और घरों में पानी की सप्लाई करने के लिए रोस्टिंग की व्यवस्था की गई है. जिससे झील के जलस्तर पर नियंत्रण रखा जा सके. वहीं, जाने-माने पर्यावरणविद् अजय रावत की मानें तो नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र में हो रहे बेतहाशा अवैध अतिक्रमण की वजह से झील का अस्तित्व खतरे में है. हो सकता है कि नैनी झील का अस्तित्व केवल 20 से 30 साल का हो. ऐसे में झील को लेकर गंभीर होने की जरूरत है.

नैनी झील का जलस्तर बढ़ा.

गौरतलब है कि बीते दिनों इसरो और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम द्वारा नैनी झील की गहराई की माप की थी. जिसमें झील के पानी की स्वच्छता समेत झील की भूगर्भीय संरचना के सर्वे के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई. सर्वे के दौरान पता चला है कि नैनी झील की गहराई लगातार कम हो रही है. झील में लगातार सिल्ट यानी मलबे की मात्रा बढ़ रही है, जिससे नैनी झील की तलहटी पर बने जल स्रोत पूरी तरह से ढकने लगे हैं, जिससे पीने के पानी पर भी असर पड़ रहा है.

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ऐसे में इसरो की टीम द्वारा सोनार सिस्टम के माध्यम से नैनी झील की विभिन्न क्षेत्रों में गहराई का मानचित्र तैयार किया. इसके अलावा पीने के पानी का पीएच लेवल, तापमान, डीओ, टीडीएस समेत झील की तलहटी में मौजूद सिल्ट, क्लोरीन, मरकरी लैंड व अन्य खतरनाक अवयवों का पता लगाया, ताकि पानी की शुद्धता का पता लगाया जा सके. साथ ही नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके. वहीं, सर्वे में पता चला कि नैनी झील की अधिकतम गहराई 24 मीटर है, जबकि पूर्व में एक बार हुई माप के दौरान झील की गहराई 27 मीटर थी. इसरो और आईआईटी टीम द्वारा किए जा रहे बेथीमेट्री सर्वे के आधार पर ही पूरी झील का प्रोफाइल व डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.

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नैनीताल में हुई बर्फबारी और बारिश नैनी झील के लिए बनी वरदान।

Intro

बीते दिनों नैनीताल में हुई बारिश और बर्फबारी के बाद विश्व प्रसिद्ध नैनी झील का 9 इंच बड़ा जल स्तर, बारिश ना होने की वजह से बीते कुछ समय से घटने लगा था नैनीताल की झील का जलस्तर।



Body:भले ही इन दिनों प्रदेश भर में हो रही बारिश और बर्फबारी से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो और जगह-जगह लोग इस बर्फबारी से परेशान हो रहे हो लेकिन नैनीताल में हुई बर्फबारी और बारिश नैनी झील के लिए वरदान बनकर साबित हुई है क्योंकि बीते कुछ महीने से नैनी झील का जलस्तर लगातार कम होने लगा था जो आने वाले पर्यटन सीजन में यहां आने वाले पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों के लिए चिंता का सबब बनने लेकिन बीते दिनों हुई बारिश और बर्फबारी से नैनी झील का जलस्तर करीब 9 इंच बढ़ गया है,,

बाईट- अजय रावत पर्यावरणविद।


Conclusion:नैनी झील की देखरेख करने वाली कार्यदाई संस्था सिंचाई विभाग का कहना है कि 1 जनवरी से 18 जनवरी तक करीब 90 मिलीमीटर बारिश हुई है और नैनीताल में हुई बर्फबारी से झील का जलस्तर 9 इंच बढ़ गया है, जिससे आने वाले पर्यटन सीजन में पीने के पानी की समस्या नहीं होगी,
पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष नैनी झील का जलस्तर करीब 50 सेंटीमीटर ऊपर है और विभाग द्वारा झील के जल को नियंत्रित करने के लिए घरों में पानी की सप्लाई करने के लिये रोस्टिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि झील के जल स्तर पर नियंत्रण रखा जा सके।
वही जाने-माने पर्यावरणविद् अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र में हो रहे बेतहाशा अवैध अतिक्रमण की वजह से झील का अस्तित्व आने वाले समय में खतरे में है और हो सकता है कि नैनी झील का अस्तित्व केवल 20 से 30 वर्ष का है।

बाईट- अजय रावत, पर्यावरणविद्द
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