रामनगर: मानसून सीजन खत्म होने के बाद 15 नवंबर को ढिकाला जोन खुलने जा रहा है, लेकिन कॉर्बेट नेशनल पार्क द्वारा गर्जिया पर्यटन जोन को कहीं और स्थानांतरित करने और प्रवेश द्वार गर्जिया में नहीं बनाने के विरोध में गार्जिया और ढिकुली क्षेत्र के ग्रामीणों ने 15 नवंबर को ढिकाला जोन का गेट बंद करने का निर्णय लिया है.
रामनगर के ग्राम ढिकुली के पंचायत घर में क्षेत्रीय ग्रामीणों ने एक बैठक आयोजित की. बैठक की अध्यक्षता पर्यटन कारोबारी वीरेंद्र सिंह रावत ने की. बैठक में कॉर्बेट नेशनल पार्क द्वारा गर्जिया पर्यटन जोन को अन्यत्र स्थानांतरित करने और गर्जिया जोन का प्रवेश द्वार गर्जिया में नहीं बनाने के विरोध में 15 नवंबर को सुबह 9 बजे गेट बंद करने का निर्णय लिया गया.
वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार ने दो वर्ष पूर्व गर्जिया पर्यटन जोन बनाया. दो वर्ष तक संतोषजनक रूप से वहां से पर्यटन चला, लेकिन पार्क प्रशाशन के अधिकारियों की आपसी लड़ाई से गेट जुलाई में बंद कर दिया गया. जबकि गेट पुनः खोलने की बात हुई तो गेट को गर्जिया की जगह रिंगोड़ा से शुरू करने की बात की गई. आज उस क्षेत्र से गेट खोला भी जा चुका है.
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पर्यटन कारोबारी वीरेंद्र ने कहा जब क्षेत्रवासियों को इस बात की खबर लगी तो उन्होंने इसका विरोध किया. तब जाकर गर्जिया जोन का प्रवेश द्वार गर्जिया से बनाने और रिंगोड़ा से निकासी करने की बात हुई, लेकिन पार्क प्रशासन के तानाशाही रवैये के चलते गेट का संचालन रिंगोड़ा से ही कर दिया गया. जिसके विरोध में 15 नवंबर को सभी क्षेत्रवासी ढिकाला गेट बंद करने का निर्णय लिया.
क्षेत्र पंचायत सदस्य जगदीश छिमवाल और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि किशोर चंद्र ने कहा यह क्षेत्रवासियों की भावना से खिलवाड़ और छलने वाला कार्य है. इसलिए ढिकाला बंद का फैसला सामूहिक है. वहीं ईडीसी अध्यक्ष राजेन्द्र छिमवाल और पूर्व ग्राम प्रधान इकबाल हुसैन ने कहा पार्क प्रशासन के इस कदम से आने वाले समय मे मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना बढ़ेगी. इसलिए हर हाल में पार्क प्रशासन को हमारी मांग माननी होगी.