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खंडहर बना पशु अस्पताल, बड़े हादसे के इंतजार में 'जिम्मेदार' - लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय

लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यहां परिसर के बाहर इतनी बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं कि अस्पताल 'भूतिया भवन' लगने लगा है.

खंडहर बना पशु अस्पताल.
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Published : May 26, 2019, 12:02 PM IST

हल्द्वानी: पशुपालन विभाग के कई राजकीय पशु अस्पताल बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. कुछ अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं तो कुछ अस्पतालों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. लेकिन, पशुपालन विभाग अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने में पूरी तरह से नाकाम है. लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय की बात करें तो एक लाख से अधिक आबादी वाले इस अस्पताल में कोई स्थायी ही डॉक्टर नहीं है. यहां पशुओं का इलाज कंपाउंडर के भरोसे है.

इलाज के दौरान खंडहर बन चुके इस भवन की छत के टूटते प्लास्टर की वजह से कई बार कर्मचारी गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, बावजूद इसके अबतक किसी ने इसकी सुध नहीं ली है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसातों में उठानी पड़ती है. जब भवन के छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है. बचने के लिए कर्मी त्रिपाल का सहारा लेते हैं.

पढ़ें- हवा-हवाई दावों की खुली पोल, तीर्थयात्रियों को सुविधा देने में नाकाम प्रशासन

अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि बरसात में उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं भवन उनपर ही न गिर जाए. वहीं, अस्पताल और अस्पताल के कर्मचारी आवास के चारों ओर झाड़ियां उग चुकी हैं और ये आवास अब जुआरियों और शराबियों का अड्डा बने हुए है.

इस पूरे मामले में अपर निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. पीसी कांडपाल का कहना है कि जिले के कई अस्पताल अभी भी पुराने भवनों में चल रहे हैं. शासन से बजट मिलने के बाद कई अस्पतालों का निर्माण का काम चल रहा है. बजट उपलब्ध होते ही अन्य अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने का काम भी शुरू किया जाएगा.

हल्द्वानी: पशुपालन विभाग के कई राजकीय पशु अस्पताल बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. कुछ अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं तो कुछ अस्पतालों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. लेकिन, पशुपालन विभाग अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने में पूरी तरह से नाकाम है. लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय की बात करें तो एक लाख से अधिक आबादी वाले इस अस्पताल में कोई स्थायी ही डॉक्टर नहीं है. यहां पशुओं का इलाज कंपाउंडर के भरोसे है.

इलाज के दौरान खंडहर बन चुके इस भवन की छत के टूटते प्लास्टर की वजह से कई बार कर्मचारी गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, बावजूद इसके अबतक किसी ने इसकी सुध नहीं ली है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसातों में उठानी पड़ती है. जब भवन के छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है. बचने के लिए कर्मी त्रिपाल का सहारा लेते हैं.

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अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि बरसात में उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं भवन उनपर ही न गिर जाए. वहीं, अस्पताल और अस्पताल के कर्मचारी आवास के चारों ओर झाड़ियां उग चुकी हैं और ये आवास अब जुआरियों और शराबियों का अड्डा बने हुए है.

इस पूरे मामले में अपर निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. पीसी कांडपाल का कहना है कि जिले के कई अस्पताल अभी भी पुराने भवनों में चल रहे हैं. शासन से बजट मिलने के बाद कई अस्पतालों का निर्माण का काम चल रहा है. बजट उपलब्ध होते ही अन्य अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने का काम भी शुरू किया जाएगा.

Intro: स्लग- बदहाल पशु अस्पताल, परिसर बना असामाजिक तत्वों का अड्डा।
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित /हल्द्वानी
एंकर- पशुपालन विभाग के जिले के कई राजकीय पशु अस्पताल बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है तो कई अस्पतालों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं । खंडहर और जर्जर हो चुके भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गए हैं। लेकिन पशुपालन विभाग अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने में पूरी तरह से नाकाम है। ऐसे में अब पशुपालन विभाग कोई बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।


Body:बात लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय का करे तो एक लाख से अधिक आबादी वाले इस अस्पताल में कोई अस्थाई डॉक्टर भी नहीं है। यही नहीं अस्पताल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और खंडहर में तब्दील हो रहा है। देखने से ऐसा नहीं लगता की इस भवन में कोई अस्पताल चलता होगा। खस्ताहाल भवन में डॉक्टर और कर्मचारी बैठने को मजबूर हैं। भवन के छत जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। छत के टूटे हुए प्लास्टर कई बार कर्मचारी को ऊपर भी गिर चुके हैं। मगर कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर है। सबसे ज्यादा परेशानी बरसातों में उठाना पड़ता है जब भवन के छत से पानी टपकने शुरू हो जाते हैं और बचने के लिए त्रिपाल का सहारा लेना पड़ता है। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि हमेशा डर बना रहता है कभी भी भवन गिर सकता है।
अस्पताल की बदहाली इतनी हो गई है कि पशुओं को इलाज कंपाउंडर के सहारे हो रहा है और दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। कई महीनों से अस्पताल में डॉक्टर का पद खाली है। अन्य अस्पताल के एक डॉक्टर को वर्तमान में अतिरिक्त चार्ज दिया गया है जो कभी-कभी अस्पताल पहुंचते हैं।
यही नहीं अस्पताल के चारों ओर झाड़ियां उग चुकी हैं और अस्पताल परिसर के कर्मचारी आवास असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है । अस्पताल परिसर के कर्मचारी आवास में कोई भी कर्मचारी नहीं रहता है जिसके चलते कर्मचारी आवास भी खंडार हो चुका है।


Conclusion:इस पूरे मामले में अपर निदेशक पशुपालन विभाग डॉ पीसी कांडपाल का कहना है कि जिले के कई अस्पताल अभी भी हैं जो पुराने भवनों में चल रहे हैं। शासन से बजट मिलने के बाद कई अस्पतालों का निर्माण का काम चल रहा है। बजट उपलब्ध हो जाने के बाद अन्य अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारा जाएगा।

बाइट- पीसी कांडपाल अपर निदेशक पशुपालन विभाग
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