हल्द्वानी: पशुपालन विभाग के कई राजकीय पशु अस्पताल बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. कुछ अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं तो कुछ अस्पतालों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. लेकिन, पशुपालन विभाग अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने में पूरी तरह से नाकाम है. लालकुआं राजकीय पशु चिकित्सालय की बात करें तो एक लाख से अधिक आबादी वाले इस अस्पताल में कोई स्थायी ही डॉक्टर नहीं है. यहां पशुओं का इलाज कंपाउंडर के भरोसे है.
इलाज के दौरान खंडहर बन चुके इस भवन की छत के टूटते प्लास्टर की वजह से कई बार कर्मचारी गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, बावजूद इसके अबतक किसी ने इसकी सुध नहीं ली है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसातों में उठानी पड़ती है. जब भवन के छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है. बचने के लिए कर्मी त्रिपाल का सहारा लेते हैं.
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अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि बरसात में उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं भवन उनपर ही न गिर जाए. वहीं, अस्पताल और अस्पताल के कर्मचारी आवास के चारों ओर झाड़ियां उग चुकी हैं और ये आवास अब जुआरियों और शराबियों का अड्डा बने हुए है.
इस पूरे मामले में अपर निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. पीसी कांडपाल का कहना है कि जिले के कई अस्पताल अभी भी पुराने भवनों में चल रहे हैं. शासन से बजट मिलने के बाद कई अस्पतालों का निर्माण का काम चल रहा है. बजट उपलब्ध होते ही अन्य अस्पतालों की दशा और दिशा को सुधारने का काम भी शुरू किया जाएगा.