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कालाढूंगी: सब्जी मंडी बनी जुआरियों-शराबियों का अड्डा, काश्तकार लाचार

नैनीताल जनपद के कोटाबाग ब्लॉक के दूरस्थ गांव रानीकोटा में 15 साल पहले बनी सब्जी मंडी सफेद हाथी साबित हो रही है. यह मंडी अब शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन गई है. ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने के दावे फेल साबित हो रहे हैं.

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कोटाबाग सब्जी मंडी न्यूज
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Published : Dec 25, 2021, 11:45 AM IST

कालाढूंगी: डबल इंजन की सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के दावे करती है लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, विकासखंड कोटाबाग के दूरस्थ गांव रानीकोटा में बनी सब्जी मंडी अब जुए और शराबियों का अड्डा बन चुकी है. जिससे क्षेत्र के काश्तकारों में भारी रोष है.

स्थानीय काश्तकार पदम सिंह बिष्ट का कहना है कि चुनाव के समय वोट लेने के लिए नेता जनता से बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन चुनाव बाद सब भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि काश्तकारों ने बड़ी उम्मीद के साथ 15 साल पहले इस मंडी का प्रस्ताव रखा था. 15 लाख रुपये में यह मंडी बनकर तैयार भी हो गई लेकिन अभी तक सुचारू नहीं हो पाई है.

सब्जी मंडी बनी जुआरियों-शराबियों का अड्डा

पढ़ें- केदारनाथ धाम में बर्फबारी का देखें लेटेस्ट वीडियो, धाम का नजारा हुआ दिलकश

काश्तकार बताते हैं कि उनको अपनी सब्जियां और अनाज बेचने के लिए हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर जाना पड़ता है. यहां पर उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि कोटाबाग के इस ग्रामीण क्षेत्र से हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर की दूरी 50 से 60 किलोमीटर है. ऐसे में उनका भाड़ा भी अधिक लगता है. किसानों की आय दोगुनी तो दूर की बात, दाल-रोटी के पैसे बच पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए अपनी फसलों को ओने-पौने दामों में बेचना मजबूरी बन गया है.

कालाढूंगी: डबल इंजन की सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के दावे करती है लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, विकासखंड कोटाबाग के दूरस्थ गांव रानीकोटा में बनी सब्जी मंडी अब जुए और शराबियों का अड्डा बन चुकी है. जिससे क्षेत्र के काश्तकारों में भारी रोष है.

स्थानीय काश्तकार पदम सिंह बिष्ट का कहना है कि चुनाव के समय वोट लेने के लिए नेता जनता से बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन चुनाव बाद सब भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि काश्तकारों ने बड़ी उम्मीद के साथ 15 साल पहले इस मंडी का प्रस्ताव रखा था. 15 लाख रुपये में यह मंडी बनकर तैयार भी हो गई लेकिन अभी तक सुचारू नहीं हो पाई है.

सब्जी मंडी बनी जुआरियों-शराबियों का अड्डा

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काश्तकार बताते हैं कि उनको अपनी सब्जियां और अनाज बेचने के लिए हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर जाना पड़ता है. यहां पर उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि कोटाबाग के इस ग्रामीण क्षेत्र से हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर की दूरी 50 से 60 किलोमीटर है. ऐसे में उनका भाड़ा भी अधिक लगता है. किसानों की आय दोगुनी तो दूर की बात, दाल-रोटी के पैसे बच पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए अपनी फसलों को ओने-पौने दामों में बेचना मजबूरी बन गया है.

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