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उत्तराखंड में घटा दूध उत्पादन, अब ग्रामीणों को दिए जाएंगे दुधारू पशु - uttarakhand milk production

उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन घटता जा रहा है. ऐसे में अब सरकार पशुपालकों को दुधारू पशु उपलब्ध करवाएगी.

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दूध उत्पादन घटा
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Published : Feb 3, 2020, 12:18 PM IST

हल्द्वानी: देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी दूध उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है, जो खासी चिंता का विषय है. उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के मुताबिक वर्ष 2018-19 में दूध का उत्पादन पूरे प्रदेश में रोजाना एक लाख 85 हजार लीटर के करीब हुआ करता था, जो अब घटकर करीब एक लाख 70 हजार लीटर के करीब पहुंच गया है.

ऐसे में अब डेयरी विभाग दूध उत्पादन के लिए अतिरिक्त डेरी समिति खोलने के साथ-साथ पशुपालकों को एनसीडीसी योजना के तहत दुधारू पशु भी उपलब्ध कराने जा रहा है. जिससे प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ सके.

उत्तराखंड में दूध उत्पादन घटा.

गौरतलब है कि प्रदेश में दूध उत्पादन घटने का मुख्य कारण पशुपालकों का अब पशुपालन से मोहभंग होना बताया जा रहा है. अब पशुपालक गाय या भैंस खरीदने के बाद जब तक वह दूध देती है तब तक उसे अपने पास रखता है और दूध बंद हो जाने के बाद उसको बेच देता है. यही नहीं गांव और पहाड़ों से हो रहा पलायन लोगों को पशुपालन से दूर कर रहा है. जिसके चलते दूध उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

ये भी पढ़ें: छापेमारी में थमी हुक्का बार की गुड़गुड़ाहट, देखें कैसे दारोगा पिता की धौंस दिखाता रहा संचालक

वहीं उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक जीवन सिंह नगन्याल के मुताबिक प्रदेश में दूध का उत्पादन घटना चिंता का विषय है. जिसको देखते हुए अतिरिक्त डेयरी समितियां खोली जाएंगी. साथ ही एनसीडीसी योजना के तहत पशुपालकों को पांच दुधारू पशु दिए जाएंगे. इस योजना के तहत पशुपालक सब्सिडी के माध्यम से पशु खरीद सकता है. साथ ही डेयरी विभाग अपनी आय में वृद्धि कर सकता है.

हल्द्वानी: देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी दूध उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है, जो खासी चिंता का विषय है. उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के मुताबिक वर्ष 2018-19 में दूध का उत्पादन पूरे प्रदेश में रोजाना एक लाख 85 हजार लीटर के करीब हुआ करता था, जो अब घटकर करीब एक लाख 70 हजार लीटर के करीब पहुंच गया है.

ऐसे में अब डेयरी विभाग दूध उत्पादन के लिए अतिरिक्त डेरी समिति खोलने के साथ-साथ पशुपालकों को एनसीडीसी योजना के तहत दुधारू पशु भी उपलब्ध कराने जा रहा है. जिससे प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ सके.

उत्तराखंड में दूध उत्पादन घटा.

गौरतलब है कि प्रदेश में दूध उत्पादन घटने का मुख्य कारण पशुपालकों का अब पशुपालन से मोहभंग होना बताया जा रहा है. अब पशुपालक गाय या भैंस खरीदने के बाद जब तक वह दूध देती है तब तक उसे अपने पास रखता है और दूध बंद हो जाने के बाद उसको बेच देता है. यही नहीं गांव और पहाड़ों से हो रहा पलायन लोगों को पशुपालन से दूर कर रहा है. जिसके चलते दूध उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

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वहीं उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक जीवन सिंह नगन्याल के मुताबिक प्रदेश में दूध का उत्पादन घटना चिंता का विषय है. जिसको देखते हुए अतिरिक्त डेयरी समितियां खोली जाएंगी. साथ ही एनसीडीसी योजना के तहत पशुपालकों को पांच दुधारू पशु दिए जाएंगे. इस योजना के तहत पशुपालक सब्सिडी के माध्यम से पशु खरीद सकता है. साथ ही डेयरी विभाग अपनी आय में वृद्धि कर सकता है.

Intro:sammry- प्रदेश में दूध उत्पादन घटा एनसीडीसी योजना के तहत पशुपालकों को दी जाएगी दुधारू पशु।


एंकर- देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी दूध उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है जो चिंता का विषय बन रहा है उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के मुताबिक वर्ष 2018 -19 में दूध का उत्पादन पूरे प्रदेश में रोजाना 1लाख 85 हजार लीटर के करीब हुआ करता था जो घटकर अब करीब 1लाख70 हजार लीटर के करीब पहुंच गया है। ऐसे में अब डेयरी विभाग दूध उत्पादन के लिए अतिरिक्त डेरी समिति खोलने के साथ-साथ पशुपालकों को एनसीडीसी योजना के तहत पशुपालन उपलब्ध कराने जा रहा है जिससे कि प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ सके।


Body:उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक जीवन सिंह नगन्यालके मुताबिक प्रदेश में दूध का उत्पादन घटना चिंता का विषय है जिसको देखते हुए डेयरी विभाग अब दूध को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त डेयरी समिति के साथ-साथ पशु पालकों को एनसीडीसी योजना के तहत पांच दुधारू पशुओं की देने की योजना है। इस योजना के तहत पशुपालक सब्सिडी के माध्यम से पशुपालक खरीद सकता है और दूध को डेयरी विभाग को देकर अपना आय में वृद्धि कर सकता है।

बाइट- जीवन सिंह नगन्याल निर्देशक डेयरी फेडरेशन


Conclusion:गौरतलब है कि प्रदेश में दूध उत्पादन घटने का मुख्य कारण पशुपालकों का अब पशुपालन से मोहभंग होना बताईं जा रहा है। पशुपालक गाय खरीदने के बाद जब तक दूध देती है तो अपने पास रखता है दूध बंद हो जाने के बाद उसको बेच देता है । यही नहीं गांव और पहाड़ों से हो रहे पलायन लोगों को पशुपालन से दूर कर रहा है जिसके चलते दूध उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
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