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उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर इस सब्जी का करें नियमित सेवन, ये बीमारियां रहेंगी आप से दूर

खनिज तत्वों, फाइबर, विटामिन आदि से भरपूर पहाड़ की सब्‍जी गडेरी इन दिनों खूब पसंद की जा रही है. गडेरी को भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. जिसकी आजकल खासी डिमांड है.

uttarakhand medicinal vegetable
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Published : Nov 17, 2021, 10:02 AM IST

Updated : Nov 17, 2021, 12:40 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ की कई सब्जियां और फल ऐसे हैं, जो लोगों के सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं. आज हम आपको पहाड़ की एक ऐसी ही सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी सर्दियों में काफी मांग बढ़ जाती है. इस सब्जी की नाम है गडेरी. गडेरी जाड़ों में खाई जाने वाले लोकप्रिय सब्जी है. इसके फायदे भी चौकाने वाले हैं. ये फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है. इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट भी पाए जाते हैं.

पहाड़ की गडेरी को भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे अरबी भी कहा जाता है. कुछ लोग इसके पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसकी सब्जी, कई जगहों पर तो इसे व्रत में फलाहार के रूप में भी खाते हैं.

उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर गडेरी की मांग बढ़ी.

पढ़ें- हल्द्वानी: संपत्तियों की ड्रोन से शुरू हुई जीआईएस मैपिंग, फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम

इन इलाकों में होती हैं गडेरी की पैदावार: गडेरी की तासीर गर्म होती है. यहीं वजह से सर्दियों में लोग इसे ज्यादा खाते हैं. बाजार में गडेरी ₹35 से ₹40 किलो बिक रही है, लेकिन डिमांड अधिक होने के चलते हैं, इसकी आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पा रही है. गडेरी का उत्पादन सबसे ज्यादा अल्मोड़ा जिले के कोसी नदी वाले इलाकों में होता है. इसके अलावा पिथौरागढ़, नैनीताल और बागेश्वर में भी गडेरी उगाई जाती है.

मंडी के बड़े व्यापारी जीवन सिंह कार्की के मुताबिक पहाड़ में उत्पादित होने वाली गडेरी सब्जी इन दिनों डिमांड बढ़ गई है. डिमांड के अनुसार आवक कम है. मंडी में रोजाना करीब 7 से 8 कुंतल गडेरी सब्जी पहुंच रही है, लेकिन डिमांड अधिक होने के चलते हाथों-हाथ बिक्री होती है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों में जंगली सूअर इस सब्जी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसके चलते किसानों का इस खेती से मोहभंग हो रहा है.

जाड़ों में खूब पंसद क‍िया जाती है गडेरी: धान मड़ाई के बाद और गेहूं की बुआई से पहले गडेरी को खोदा जाता है. गडेरी को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. असिंचित भूमि की गडेरी स्वादिष्ट और पकने में आसान होती है. जबकि सिंचित भूमि की गडेरी को पकाने में दिक्कत रहती है. गडेरी की सब्जी पहाड़ में जाड़ों भर खाई जाती है. गहत की दाल में भी गडेरी डाली जाती है. गडेरी की सब्जी में भांग के दानों के बीज को पीस कर और छान कर डाला जाता है, जिससे सब्जी की तासीर गर्म हो जाती है.

पढ़ें- उत्तराखंड में आज खुशनुमा रहेगा मौसम का मिजाज, 11°C रहेगा न्यूनतम तापमान

गडेरी में विद्यमान हैं औषधीय गुण: ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं. गडेरी में सोडियम की काफी मात्रा पाई जाती है. यह तनाव को भी दूर कर सकता है. कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोकती है. मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है. इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है. पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है. अरबी भूख को नियंत्रित करने का काम करती है. साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स मेटाबालिज्म को सक्रिय बनाते हैं, जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भी यह लाभदायक है.

हल्द्वानी: पहाड़ की कई सब्जियां और फल ऐसे हैं, जो लोगों के सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं. आज हम आपको पहाड़ की एक ऐसी ही सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी सर्दियों में काफी मांग बढ़ जाती है. इस सब्जी की नाम है गडेरी. गडेरी जाड़ों में खाई जाने वाले लोकप्रिय सब्जी है. इसके फायदे भी चौकाने वाले हैं. ये फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है. इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट भी पाए जाते हैं.

पहाड़ की गडेरी को भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे अरबी भी कहा जाता है. कुछ लोग इसके पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसकी सब्जी, कई जगहों पर तो इसे व्रत में फलाहार के रूप में भी खाते हैं.

उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर गडेरी की मांग बढ़ी.

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इन इलाकों में होती हैं गडेरी की पैदावार: गडेरी की तासीर गर्म होती है. यहीं वजह से सर्दियों में लोग इसे ज्यादा खाते हैं. बाजार में गडेरी ₹35 से ₹40 किलो बिक रही है, लेकिन डिमांड अधिक होने के चलते हैं, इसकी आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पा रही है. गडेरी का उत्पादन सबसे ज्यादा अल्मोड़ा जिले के कोसी नदी वाले इलाकों में होता है. इसके अलावा पिथौरागढ़, नैनीताल और बागेश्वर में भी गडेरी उगाई जाती है.

मंडी के बड़े व्यापारी जीवन सिंह कार्की के मुताबिक पहाड़ में उत्पादित होने वाली गडेरी सब्जी इन दिनों डिमांड बढ़ गई है. डिमांड के अनुसार आवक कम है. मंडी में रोजाना करीब 7 से 8 कुंतल गडेरी सब्जी पहुंच रही है, लेकिन डिमांड अधिक होने के चलते हाथों-हाथ बिक्री होती है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों में जंगली सूअर इस सब्जी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसके चलते किसानों का इस खेती से मोहभंग हो रहा है.

जाड़ों में खूब पंसद क‍िया जाती है गडेरी: धान मड़ाई के बाद और गेहूं की बुआई से पहले गडेरी को खोदा जाता है. गडेरी को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. असिंचित भूमि की गडेरी स्वादिष्ट और पकने में आसान होती है. जबकि सिंचित भूमि की गडेरी को पकाने में दिक्कत रहती है. गडेरी की सब्जी पहाड़ में जाड़ों भर खाई जाती है. गहत की दाल में भी गडेरी डाली जाती है. गडेरी की सब्जी में भांग के दानों के बीज को पीस कर और छान कर डाला जाता है, जिससे सब्जी की तासीर गर्म हो जाती है.

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गडेरी में विद्यमान हैं औषधीय गुण: ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं. गडेरी में सोडियम की काफी मात्रा पाई जाती है. यह तनाव को भी दूर कर सकता है. कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोकती है. मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है. इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है. पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है. अरबी भूख को नियंत्रित करने का काम करती है. साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स मेटाबालिज्म को सक्रिय बनाते हैं, जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भी यह लाभदायक है.

Last Updated : Nov 17, 2021, 12:40 PM IST
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