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18 साल से कम उम्र में लड़की की शादी का मामला, HC ने सरकार से मांगा जवाब

मुस्लिम लॉ में 18 साल (Muslim Law) से कम उम्र की लड़की को शादी का अधिकार है. जिस पर यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आपत्ति जताई है और इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर मंगलवार 11 अक्टूबर को सुनवाई हुई.

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Published : Oct 11, 2022, 3:11 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने मुस्लिम लॉ (Muslim Law) में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को शादी की अनुमति होने को गैर कानूनी घोषित किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने केंद्र एवं राज्य सरकार को अंतिम अवसर देते हुए 16 नवंबर तक जबाव दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि कुछ न्यायालय 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करने के बावजूद नव विवाहित जोड़े को मान्यता देते हुए उन्हें पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दे रही है. क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है.
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नफरत भरे भाषणों से माहौल हो रहा खराब, उत्तराखंड सरकार से भी जवाब मांगा

याचिका में कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र में शादी होने, नाबालिक युवती से शारीरिक संबंध बनाने एवं कम उम्र में बच्चे पैदा करने से लड़की के स्वास्थ्य व नवजात बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसके अलावा एक तरफ सरकार पॉक्सो जैसे कानून लाती है. वहीं दूसरी तरफ 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की को शादी की अनुमति देना इस अधिनियम का उल्लंघन है और 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी को अमान्य घोषित कर शादी के बाद भी उसके साथ होने वाले शारीरिक संबंध को दुराचार की श्रेणी में रखकर आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत कार्रवाई की जाए.

याचिका में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़कर 21 किए जाने वाले विधेयक को पास किये जाने और जब तक यह विधेयक पास नहीं होता, तब तक कोर्ट से कम उम्र में किसी जाति, धर्म में हो रही शादियों को गैर कानूनी घोषित करने का आग्रह किया गया है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने मुस्लिम लॉ (Muslim Law) में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को शादी की अनुमति होने को गैर कानूनी घोषित किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने केंद्र एवं राज्य सरकार को अंतिम अवसर देते हुए 16 नवंबर तक जबाव दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि कुछ न्यायालय 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करने के बावजूद नव विवाहित जोड़े को मान्यता देते हुए उन्हें पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दे रही है. क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है.
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याचिका में कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र में शादी होने, नाबालिक युवती से शारीरिक संबंध बनाने एवं कम उम्र में बच्चे पैदा करने से लड़की के स्वास्थ्य व नवजात बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसके अलावा एक तरफ सरकार पॉक्सो जैसे कानून लाती है. वहीं दूसरी तरफ 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की को शादी की अनुमति देना इस अधिनियम का उल्लंघन है और 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी को अमान्य घोषित कर शादी के बाद भी उसके साथ होने वाले शारीरिक संबंध को दुराचार की श्रेणी में रखकर आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत कार्रवाई की जाए.

याचिका में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़कर 21 किए जाने वाले विधेयक को पास किये जाने और जब तक यह विधेयक पास नहीं होता, तब तक कोर्ट से कम उम्र में किसी जाति, धर्म में हो रही शादियों को गैर कानूनी घोषित करने का आग्रह किया गया है.

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