नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के रायवाला में सीलिंग की भूमि पर अतिक्रमण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ ने राज्य सरकार, जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले कि अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी.
साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि तहसीदार की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई है? मामले के अनुसार देहरादून रायवला के ग्राम प्रधान सागर गिरी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ग्राम सभा में 43.59 एकड़ सीलिंग की भूमि है, जो 2007 में ग्राम सभा मे समायोजित हो चुकी है. इस भूमि पर कई विकास कार्य होने प्रस्तावित है. जिनमें से वृद्धा आश्रम, केंद्रीय विद्यालय, अस्पताल आदि.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने वृद्धा आश्रम बनाने के लिए बजट भी पूर्व में जारी कर दिया था. लेकिन कुछ लोगों ने इस भूमि पर फिर से अतिक्रमण कर लिया है, जिससे वहां पर प्रस्तावित विकास कार्य रुक गए हैं. अतिक्रमणकारियों में एरोविली आश्रम के स्वामी ब्रह्म देव मुख्य है, जिन्होंने कई एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है. आरोप है कि इनके प्रभाव से वृद्धा आश्रम का कार्य भी रुक गया था जिसके खिलाफ उन्होंने पहले भी जनहित याचिका दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिए थे कि यहां से अतिक्रमण हटाया जाए और वृद्धा आश्रम बनाया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि वहां पर स्थित सीलिंग भूमि का सर्वे कर उसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी या एसडीएम को सौंपी जाय, वे उस पर कार्रवाई करें. तहसीलदार ने सर्वे कर रिपोर्ट एसडीएम को सौप दी. रिपोर्ट में फिर से अतिक्रमण होना पाया गया, लेकिन आज तक तहसीलदार की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि सीलिंग की भूमि से अतिक्रमण हटाया जाए, ताकि स्वीकृत विकास कार्य प्रारंभ हो सके.