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देहरादून IT पार्क निर्माण मामले में हाईकोर्ट ने डीएम और राज्य सरकार से मांगा जवाब

ईको सेंसटिव जोन (Eco sensitive zone) में नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण कार्य व नगर निगम (Nagar nigam dehradun) द्वारा IT पार्क के साथ अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर इस जनहित याचिका की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

Uttarakhand High court
हाईकोर्ट ने डीएम और राज्य सरकार से मांगा जवाब
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Published : May 4, 2022, 2:52 PM IST

Updated : May 4, 2022, 9:24 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High court) ने देहरादून घाटी के ईको सेंसटिव जोन में नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण कार्य व नगर निगम द्वारा IT पार्क (IT Park Dehradun) के साथ अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून व राज्य सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने पूछा है कि किन नियमों के तहत नदी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तन किया जा रहा है. ऐसे में अब कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 जून को नियत की है.

बता दें कि ईको सेंसटिव जोन (Eco sensitive zone) में नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण कार्य व नगर निगम (Nagar nigam dehradun) द्वारा IT पार्क के साथ अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर इस जनहित याचिका की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. इस मामले के अनुसार देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा व दो अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून घाटी में रिस्पना और बिंदाल नदी की भूमि में अतिक्रमण कर उसे बंजर भूमि दिखाकर उसमें भारी भरकम निर्माण कार्य किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण के साथ ही नदियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है.

पढ़ें- यूपी के लग्जरी होटल भागीरथी आवास का योगी करेंगे उद्घाटन, जानिए क्या है खास

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जलमग्न भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति नहीं ली गई है. जबकि, भारत सरकार के 1989 के नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि भूमि परिवर्तन के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है. जबकि वर्तमान समय मे भूमि का स्वरूप बदलकर यहां IT पार्क भी बनाया जा रहा है. जो देहरादून मास्टरप्लान के विरुद्ध है. ऐसे में कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में डीएम देहरादून और राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

कोर्ट ने कहा मामले में सरकार स्थिति करे स्पष्ट: उधर, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शहरी विकास नियोजन एक्ट में संशोधन किए बिना आवासीय क्षेत्र का भू-उपयोग व्यवसायिक करने की सरकार की उप समन विधि को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार आए और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से एक दिन के अंदर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 6 मई निर्धारित की है.

पढ़ें- उत्तराखंड में राकेश टिकैत की हुंकार, देश में एक और बड़े आंदोलन की जरूरत

इस मामले के अनुसार देहरादून निवासी सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एचसी घिल्डियाल ने उप समन विधि को चुनौती देते हुए कहा कि इस विधि के अनुसार एक शासनादेश के माध्यम किसी क्षेत्र विशेष का वन टाइम मेजर के नाम पर भू-उपयोग बदलने की अनुमति दे दी जा रही है और आवासीय क्षेत्र का व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दे दी जा रही है. जबकि, अर्बन डेवलपमेंट प्लानिंग एक्ट के सेक्शन 30 के अनुसार बिना एक्ट में संशोधन किए किसी भी शहर के मास्टर प्लान में बदलाव नहीं किया जा सकता. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High court) ने देहरादून घाटी के ईको सेंसटिव जोन में नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण कार्य व नगर निगम द्वारा IT पार्क (IT Park Dehradun) के साथ अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून व राज्य सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने पूछा है कि किन नियमों के तहत नदी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तन किया जा रहा है. ऐसे में अब कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 जून को नियत की है.

बता दें कि ईको सेंसटिव जोन (Eco sensitive zone) में नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण कार्य व नगर निगम (Nagar nigam dehradun) द्वारा IT पार्क के साथ अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर इस जनहित याचिका की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. इस मामले के अनुसार देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा व दो अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून घाटी में रिस्पना और बिंदाल नदी की भूमि में अतिक्रमण कर उसे बंजर भूमि दिखाकर उसमें भारी भरकम निर्माण कार्य किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण के साथ ही नदियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है.

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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जलमग्न भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति नहीं ली गई है. जबकि, भारत सरकार के 1989 के नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि भूमि परिवर्तन के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है. जबकि वर्तमान समय मे भूमि का स्वरूप बदलकर यहां IT पार्क भी बनाया जा रहा है. जो देहरादून मास्टरप्लान के विरुद्ध है. ऐसे में कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में डीएम देहरादून और राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

कोर्ट ने कहा मामले में सरकार स्थिति करे स्पष्ट: उधर, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शहरी विकास नियोजन एक्ट में संशोधन किए बिना आवासीय क्षेत्र का भू-उपयोग व्यवसायिक करने की सरकार की उप समन विधि को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार आए और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से एक दिन के अंदर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 6 मई निर्धारित की है.

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इस मामले के अनुसार देहरादून निवासी सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एचसी घिल्डियाल ने उप समन विधि को चुनौती देते हुए कहा कि इस विधि के अनुसार एक शासनादेश के माध्यम किसी क्षेत्र विशेष का वन टाइम मेजर के नाम पर भू-उपयोग बदलने की अनुमति दे दी जा रही है और आवासीय क्षेत्र का व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दे दी जा रही है. जबकि, अर्बन डेवलपमेंट प्लानिंग एक्ट के सेक्शन 30 के अनुसार बिना एक्ट में संशोधन किए किसी भी शहर के मास्टर प्लान में बदलाव नहीं किया जा सकता. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

Last Updated : May 4, 2022, 9:24 PM IST
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