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500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच से हटे TC मंजूनाथ, HC ने कहा- नया अधिकारी करें नियुक्त

उत्तराखंड के 500 करोड़ से ज्यादा के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रहे टीसी मंजूनाथ इसकी जांच से हट गए हैं. छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए बनी एसआईटी के प्रमुख टीसी मंजूनाथ ने खुद हाईकोर्ट से इसके लिए गुजारिश की थी. हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि वो नया जांच अधिकारी नियुक्त करे.

छात्रवृत्ति घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश
छात्रवृत्ति घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश
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Published : Dec 9, 2021, 6:59 PM IST

Updated : Dec 9, 2021, 7:09 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में आज सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस घोटाले की जांच हेतु एसआईटी प्रमुख टीसी मंजूनाथ की जगह किसी अन्य अधिकारी को एसआईटी प्रमुख नियुक्त करे.

एसआईटी प्रमुख टीसी मंजूनाथ ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि पूर्व में कोर्ट ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक वे ही एसआईटी के प्रमुख रहेंगे. चार साल से वे इस मामले में जांच कर रहे हैं. एसआईटी प्रमुख द्वारा कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस आदेश को वापस लिया जाए. क्योंकि इस आदेश से उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा है. न ही उनको प्रमोशन के समस्त लाभ दिए जा रहे हैं.

कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित कर सरकार को उनकी जगह नए एसआईटी प्रमुख नियुक्त करने के निर्देश दिए. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

ये भी पढ़ें: गुरुकुल कांगड़ी विवि में VC की नियुक्ति के मामले में HC ने जारी किया नोटिस, एक साल में कर लिया इंटर!

मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का घोटाला 2005 से किया जा रहा था. यह घोटाला पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक का है. इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए. छात्रवृत्ति का पैसा छात्रों को न देकर स्कूलों को दिया गया या फिर उन लोगों को दिया गया है जो उस स्कूल के छात्र थे ही नहीं.

बता दें की 2017 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी बनाने का आदेश दिया था. सीएम के आदेश के एक साल बाद एसआईटी का गठन हुआ था. इस दौरान समाज कल्याण विभाग दस्तावेज देरी से देने की कोशिश में थी, जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआईटी हरकत में आई थी.

क्या है घोटाला: उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर 2016 तक समाज कल्याण विभाग से SC/ST छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था. इस दौरान कॉलेजों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति अपात्र लोगों को बांटी गई थी. इस फर्जीवाड़े में उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे.

आरोप है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों से अधिक की रकम डकारी है. इस घोटाले की जांच दो एसआइटी कर रही हैं. अभी तक एसआईटी ने समाज कल्याण विभाग के 6 बड़े अफसरों सहित 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर केस दर्ज किया जा चुका है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में आज सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस घोटाले की जांच हेतु एसआईटी प्रमुख टीसी मंजूनाथ की जगह किसी अन्य अधिकारी को एसआईटी प्रमुख नियुक्त करे.

एसआईटी प्रमुख टीसी मंजूनाथ ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि पूर्व में कोर्ट ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक वे ही एसआईटी के प्रमुख रहेंगे. चार साल से वे इस मामले में जांच कर रहे हैं. एसआईटी प्रमुख द्वारा कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस आदेश को वापस लिया जाए. क्योंकि इस आदेश से उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा है. न ही उनको प्रमोशन के समस्त लाभ दिए जा रहे हैं.

कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित कर सरकार को उनकी जगह नए एसआईटी प्रमुख नियुक्त करने के निर्देश दिए. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

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मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का घोटाला 2005 से किया जा रहा था. यह घोटाला पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक का है. इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए. छात्रवृत्ति का पैसा छात्रों को न देकर स्कूलों को दिया गया या फिर उन लोगों को दिया गया है जो उस स्कूल के छात्र थे ही नहीं.

बता दें की 2017 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी बनाने का आदेश दिया था. सीएम के आदेश के एक साल बाद एसआईटी का गठन हुआ था. इस दौरान समाज कल्याण विभाग दस्तावेज देरी से देने की कोशिश में थी, जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआईटी हरकत में आई थी.

क्या है घोटाला: उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर 2016 तक समाज कल्याण विभाग से SC/ST छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था. इस दौरान कॉलेजों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति अपात्र लोगों को बांटी गई थी. इस फर्जीवाड़े में उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे.

आरोप है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों से अधिक की रकम डकारी है. इस घोटाले की जांच दो एसआइटी कर रही हैं. अभी तक एसआईटी ने समाज कल्याण विभाग के 6 बड़े अफसरों सहित 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर केस दर्ज किया जा चुका है.

Last Updated : Dec 9, 2021, 7:09 PM IST
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