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रिस्पना और बिंदाल नदी पर अतिक्रमण को लेकर HC सख्त, DM को 2 महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश

देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. जिस वजह से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है.

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Published : Sep 18, 2019, 10:30 PM IST

नैनीताल हाई कोर्ट

नैनीताल: देहरादून की रिस्पना और बिंदाल समेत सभी नदी-नालों व खालों पर हुए अतिक्रमण को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को दो महीने के भीतर अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बुधवार को अतिक्रमण के मामले में देहरादून डीएम ने शपथ पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है. इसमें में से देहरादून शहर में ही 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है.

पढ़ें- योगी की राह पर सीएम त्रिवेंद्र, कांग्रेस को भी अब लगने लगा ये मामला गलत

जिस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं और 2 माह के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. साथ ही नदी में बने चाल-खाल पर भी अतिक्रमण कर दिया है. जिस वजह से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई.

पढ़ें- बिजली चोरी पर सख्त हुआ महकमा, प्रदेश के दो जिलों में खुलेगा विजिलेंस थाना

वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों ने नदी के आसपास लगे हजारों पेड़ काट दिए है. ऐसे देहरादून में भी केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. लिहाजा इन अतिक्रमणकरियों को हटाया जाए.

नैनीताल: देहरादून की रिस्पना और बिंदाल समेत सभी नदी-नालों व खालों पर हुए अतिक्रमण को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को दो महीने के भीतर अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बुधवार को अतिक्रमण के मामले में देहरादून डीएम ने शपथ पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है. इसमें में से देहरादून शहर में ही 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है.

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जिस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं और 2 माह के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. साथ ही नदी में बने चाल-खाल पर भी अतिक्रमण कर दिया है. जिस वजह से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई.

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वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों ने नदी के आसपास लगे हजारों पेड़ काट दिए है. ऐसे देहरादून में भी केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. लिहाजा इन अतिक्रमणकरियों को हटाया जाए.

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देहरादून की रिस्पना और बिंदल नदी किनारे हुए अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए आदेश।

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देहरादून की रिस्पना नदी और बिंदाल नदी समेत नालों, चाल खालो में हुए अतिक्रमण पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए देहरादून के डीएम से 2 माह के भीतर देहरादून घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।
आज अतिक्रमण के मामले में देहरादून के डीएम ने अपनी शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है,और केवल देहरादून में 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है, अतिक्रमण मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं और 2 माह के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।




Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है, साथ ही नदी में बने चाल- खाल पर भी अतिक्रमण कर दिया है, जिससे आने वाले समय में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों नदी के आसपास से हजारों की संख्या में हरे पेड़ों को काट दिया है जिससे आने वाले समय में केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी लिहाजा इन अतिक्रमण करियो को हटाया जाए और बेतहाशा हो रहे पेड़ों के कटान पर रोक लगाई जाए।


Conclusion:आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार,डीएम देहरादून को अतिक्रमण चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी ।

बाईट- अभिजय नेगी,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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