नैनीताल: अंकिता भंडारी हत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर 21 दिसंबर को सुनवाई हुई. कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग का अस्वीकार कर दिया है. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि एसआईटी सही जांच कर रही है. उसकी जांच में संदेह नहीं किया जा सकता है. इसलिए मामले की सीबीआई से जांच कराने की आवश्यकता नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि एसआईटी किसी भी वीआईपी को नहीं बचा रही है, इसीलिए याचिका निरस्त की जाती है. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई. पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि आपको एसआईटी की जांच पर क्यों संदेह हो रहा है?
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जांच अधिकारी का कोर्ट में जवाब: जांच अधिकारी ने कोर्ट ने बताया था कि अंकिता भंडारी के कमरे को गिराने करने से पहले सारी फोटोग्राफी की गई थी. मृतका अंकिता भंडारी के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नहीं मिला था. अंकिता की माता सोनी देवी और पिता बीरेंद्र सिंह भंडारी ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने और दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर याचिका में एक प्रार्थना पत्र भी दिया था.
अंकिता के माता-पिता का प्रार्थना पत्र: अंकिता के माता-पिता ने कहा था कि एसआईटी इस मामले की जांच में लापरवाही कर रही है. इसीलिए वह इस केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे. सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है. सबूत मिटाने के लिए रिसॉर्ट से लगी फैक्टरी को भी जला दिया गया, जबकि वहां पर कई सबूत मिल सकते थे.
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स्थानीय लोगों के मुताबिक फैक्ट्री में खून के धब्बे देखे गए थे. सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी का ट्रांसफर तक कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि उनपर इस केस को वापस लिए जाने का दवाब डाला जा रहा है. उनपर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है.
याचिकाकर्ता का तर्क: मामले के अनुसार अंकिता के परिजन आशुतोष नेगी ने याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस और एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छिपा रहे हैं. एसआईटी ने अभी तक अंकिता के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था, उसकी दिन शाम को उनके परिजनों को बिना जानकारी दिए अंकिता का कमरा तोड़ दिया गया था. जब अंकिता का मेडिकल हुआ था पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में उसका मेडिकल कराया गया, जो माननीय सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के विरुद्ध है. मेडिकल कराते समय एक महिला का होना आवश्यक था, जो इस केस में पुलिस द्वारा नहीं किया.
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इसके अलावा जिस दिन उसकी हत्या हुई थी, उस दिन छह बजे पुलकित, अंकिता के कमरे में मौजूद था. वह रो रही थी. याचिका में यह भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है, जिसे पुलिस नहीं मान रही है. पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है. इसलिए इस केस की जांच सीबीआई से कराई जाए.
क्या है मामला: बता दें कि 19 साल की अंकिता भंडारी यमकेश्वर ब्लॉक क्षेत्र में स्थित वनंत्रा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी. वनंत्रा रिसॉर्ट बीजेपी से निकाल गए बड़े नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है. आरोप है कि पुलकित आर्य अंकिता भंडारी पर रिसॉर्ट में आने वाले गेस्टों को स्पेशल सर्विस (गलत काम) देने का दबाव बना रहा था, जिसके लिए अंकिता भंडारी ने मना कर दिया था. इसी वजह से अंकिता भंडारी और पुलकित आर्य के बीच बहस भी हुई थी. इसी वजह से अंकिता भंडारी नौकरी भी छोड़ने वाली थी.
आरोप है कि पुलकित आर्य को डर था कि अंकिता भंडारी रिसॉर्ट में हो रहे गलत कामों और उसके राज का पर्दाफाश कर देगी. इसी डर से पुलकित आर्य 18 सितंबर शाम को बहस होने के बाद अंकिता भंडारी को किसी बहाने से ऋषिकेश लेकर गया. इस दौरान पुलकित आर्य के साथ उसके दो मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता भी थी.
इन तीनों ने अपने इकबाल ए जुर्म में पुलिस को बताया था कि 18 सितंबर शाम को ही उन्होंने बीच रास्ते में चीला नहर में धक्क देकर अंकिता की हत्या कर दी थी. अंकिता की लाश 24 सितंबर चीला नहर से बरामद हुई है. अभी तीनों आरोपी जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने डीआईजी पी रेणुका के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था, जो इस मामले में तफ्तीश कर रही है.