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जेलों की हालत पर हाईकोर्ट सख्त, 10 दिन में  प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड गठित करने के निर्देश - condition of jails in uttarakhand

प्रदेश में जेलों की स्थिति पर हार्कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार को जेलों की स्थिति सुधारने के निर्देश दिये हैं. साथ ही राज्य सरकार को दस दिन के भीतर एक प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड बनाने के लिए भी कोर्ट ने कहा कहा है.

Uttarakhand High Court
जेलों की हालत पर हाईकोर्ट सख्त
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Published : Jul 27, 2023, 6:10 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहीत अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से दस दिन के भीतर एक प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड बनाने के लिए कहा.

प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड में जेल मंत्री उसके अध्यक्ष, चीफ सैकेट्री उपाध्यक्ष, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव राजस्व,सचिव न्याय,डीजीपी, डीजी जेल और राज्य सरकार से दो नामित व्यक्ति जिसमें से एक महिला को रखकर कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश भी दिए गये.

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सरकार की तरफ से न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा गया कि राज्य में कई नई जेल बन रही हैं. जिसमें पिथौरागढ़ जेल का निर्माण पूरा हो गया है. उधम सिंह नगर जेल का कार्य 43 प्रतिशत हो गया है. हल्द्वानी जेल का निर्माण कार्य भी 55 प्रतिशत पूरा हो चुका है. जेल में चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक को कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखा जाएगा. न्यायालय ने इस पर जेल निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने को कहा.

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मामले के अनुसार सन्तोष उपाध्याय व अन्य ने अलग अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कहा था. राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश भी जारी किए थे, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओं ने कहा सरकार को निर्देश दिये जाये की वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें. जेलों में भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये.

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहीत अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से दस दिन के भीतर एक प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड बनाने के लिए कहा.

प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड में जेल मंत्री उसके अध्यक्ष, चीफ सैकेट्री उपाध्यक्ष, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव राजस्व,सचिव न्याय,डीजीपी, डीजी जेल और राज्य सरकार से दो नामित व्यक्ति जिसमें से एक महिला को रखकर कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश भी दिए गये.

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सरकार की तरफ से न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा गया कि राज्य में कई नई जेल बन रही हैं. जिसमें पिथौरागढ़ जेल का निर्माण पूरा हो गया है. उधम सिंह नगर जेल का कार्य 43 प्रतिशत हो गया है. हल्द्वानी जेल का निर्माण कार्य भी 55 प्रतिशत पूरा हो चुका है. जेल में चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक को कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखा जाएगा. न्यायालय ने इस पर जेल निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने को कहा.

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मामले के अनुसार सन्तोष उपाध्याय व अन्य ने अलग अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कहा था. राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश भी जारी किए थे, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओं ने कहा सरकार को निर्देश दिये जाये की वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें. जेलों में भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये.

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