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Uttarakhand High Court ने बालाजी स्टोन क्रशर पर रोक जारी रखी, सरकार से मांगा जवाब

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Published : Feb 20, 2023, 6:39 PM IST

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर में मानकों के विपरित जाकर बालाजी स्टोन क्रशर लगाया गया था, उस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपनी रोक जारी रखी है. सरकार ने इस मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले के रामनगर में उदयपुरी चोपड़ा में संचालित बालाजी स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्टोन क्रशर के संचालन पर लगी रोक को आगे बढ़ाते हुए सरकार, पीसीबी (प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) सहित अन्य पक्षकारों से छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद हो होगी.

मामले के अनुसार रामनगर के समाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह ने उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की थी. जनहित याचिका में अजीत सिंह ने कोर्ट को बताया था कि सरकार में साल 2021 में रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में बालाजी स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी थी. समाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह का कहना है कि यह स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को ताक में रखकर स्थापित किया गया.
पढ़ें- HC On Plastic Waste: हाईकोर्ट ने पूछा- आदेश पर कितना हुआ अमल? काम नहीं पेपरबाजी कर रहे अधिकारी

अजीत सिंह के मुताबिक साल 2021 के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर को आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर स्थापित किया जाना था, लेकिन जहां पर बालाजी स्टोन क्रशर लगाया गया है, उससे 100 मीटर की दूरी पर एक मकान बना हुआ है और 250 मीटर की दूरी पर कई मकान बने हुए है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि जो मकान 100 मीटर की दूरी पर है, उसने स्टोन क्रशर मालिक को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया, जबकि अन्य ने नहीं दिया है. जिसके आधार पर सरकार ने स्टोन क्रशर का लाइसेंस दे दिया. जब सरकार से इसके बारे में पूछा गया तो सरकार ने कहा कि स्टोन क्रशर लगाने के लिए दूरी का मानक लागू नहीं है, बाकि सभी मानक लागू हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि पीसीबी के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर लगाए जाए, परन्तु सरकार ने इसे अनुमति कैसे दी? इस पर रोक लगाई जाए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले के रामनगर में उदयपुरी चोपड़ा में संचालित बालाजी स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्टोन क्रशर के संचालन पर लगी रोक को आगे बढ़ाते हुए सरकार, पीसीबी (प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) सहित अन्य पक्षकारों से छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद हो होगी.

मामले के अनुसार रामनगर के समाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह ने उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की थी. जनहित याचिका में अजीत सिंह ने कोर्ट को बताया था कि सरकार में साल 2021 में रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में बालाजी स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी थी. समाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह का कहना है कि यह स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को ताक में रखकर स्थापित किया गया.
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अजीत सिंह के मुताबिक साल 2021 के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर को आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर स्थापित किया जाना था, लेकिन जहां पर बालाजी स्टोन क्रशर लगाया गया है, उससे 100 मीटर की दूरी पर एक मकान बना हुआ है और 250 मीटर की दूरी पर कई मकान बने हुए है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि जो मकान 100 मीटर की दूरी पर है, उसने स्टोन क्रशर मालिक को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया, जबकि अन्य ने नहीं दिया है. जिसके आधार पर सरकार ने स्टोन क्रशर का लाइसेंस दे दिया. जब सरकार से इसके बारे में पूछा गया तो सरकार ने कहा कि स्टोन क्रशर लगाने के लिए दूरी का मानक लागू नहीं है, बाकि सभी मानक लागू हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि पीसीबी के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर लगाए जाए, परन्तु सरकार ने इसे अनुमति कैसे दी? इस पर रोक लगाई जाए.

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