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उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, UKSSSC को परीक्षा आयोजित कराने की दी अनुमति - यूकेएसएसएससी की परीक्षा

उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी को उत्तराखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यूकेएसएसएससी को परीक्षा आयोजित कराने की अनुमति दे दी है. इसी के साथ कोर्ट ने याचिका भी निस्तारण कर दिया है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Jul 6, 2023, 9:28 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी की परीक्षा को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज 6 जुलाई को बड़ा फैसला लिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यूकेएसएसएससी को स्नातक स्तरीय परीक्षा तय समय 9 जुलाई को आयोजित करने की मंजूरी दी है. अब यह परीक्षा आयोग के नए निर्णय के अनुसार होगी.

गुरुवार 6 जुलाई को न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने लंबी बहस के बाद अभ्यर्थियों की याचिका का निस्तारण कर दिया गया. मामले के अनुसार उत्तराखंड में पेपर लीक के बाद यूकेएसएसएससी ने दिसंबर माह में स्नातक स्तरीय परीक्षा कैंसिल कर दी थी. इस दौरान बड़ी संख्या में आयोग ने नकलचियों को सूचीबद्ध कर परीक्षा में बैठने के लिए प्रतिबंध किया, जबकि नकलचियों का वास्तविक आंकलन न लग पाने पर पूरी परीक्षा कैंसिल कर दोबारा परीक्षा कराए जाने का निर्णय लिया था.
पढ़ें- हरीश रावत स्टिंग प्रकरण पर HC में हुई सुनवाई, जानिए कोर्ट ने क्या कहा

इस पर परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों ने नकलचियों को बाहर कर उन्हें नौकरी देने की मांग की. इस पर जब आयोग ने नए सिरे से परीक्षा कराए जाने का निर्णय कायम रखा तो पास हुए अभ्यर्थियों ने आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी, जहां लंबे समय से परीक्षा कराए जाने को लेकर याचिका पर लंबी बहस चल रही थी. हालांकि आज उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर आयोग के फैसले को बरकरार रखा. इससे आयोग को बड़ी राहत मिली है. परीक्षा अब आयोग के शेड्यूल के अनुसार 9 जुलाई को होगी. आयोग ने पहले ही परीक्षा में बैठने के लिए करीब एक लाख 40 हजार अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी कर दिए हैं. इसके अलावा हरिद्वार में कांवड़ सीजन के चलते 12 जिलों में परीक्षा कराई जाएगी. अब नकल करते पकड़े गए अभ्यर्थियों, जिनको आयोग ने प्रतिबंधित किया है, को छोड़कर सभी अन्य परीक्षा में शामिल होंगे.

यह याचिका जगपाल सिंह, संजय कुमार, शोभा, मनोज सिंह, हेमा,धर्मेंद्र कुमार शर्मा, कुलदीप कुमार व अन्य ने सात अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी, जिनकी एक साथ सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक वे लोग नकल में शामिल नहीं थे और वे उत्तीर्ण हुए हैं. इसलिये उन्हें नौकरी दी जाए, लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को अस्वीकार कर याचिकाएं निस्तारित कर दी.

नैनीताल: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी की परीक्षा को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज 6 जुलाई को बड़ा फैसला लिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यूकेएसएसएससी को स्नातक स्तरीय परीक्षा तय समय 9 जुलाई को आयोजित करने की मंजूरी दी है. अब यह परीक्षा आयोग के नए निर्णय के अनुसार होगी.

गुरुवार 6 जुलाई को न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने लंबी बहस के बाद अभ्यर्थियों की याचिका का निस्तारण कर दिया गया. मामले के अनुसार उत्तराखंड में पेपर लीक के बाद यूकेएसएसएससी ने दिसंबर माह में स्नातक स्तरीय परीक्षा कैंसिल कर दी थी. इस दौरान बड़ी संख्या में आयोग ने नकलचियों को सूचीबद्ध कर परीक्षा में बैठने के लिए प्रतिबंध किया, जबकि नकलचियों का वास्तविक आंकलन न लग पाने पर पूरी परीक्षा कैंसिल कर दोबारा परीक्षा कराए जाने का निर्णय लिया था.
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इस पर परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों ने नकलचियों को बाहर कर उन्हें नौकरी देने की मांग की. इस पर जब आयोग ने नए सिरे से परीक्षा कराए जाने का निर्णय कायम रखा तो पास हुए अभ्यर्थियों ने आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी, जहां लंबे समय से परीक्षा कराए जाने को लेकर याचिका पर लंबी बहस चल रही थी. हालांकि आज उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर आयोग के फैसले को बरकरार रखा. इससे आयोग को बड़ी राहत मिली है. परीक्षा अब आयोग के शेड्यूल के अनुसार 9 जुलाई को होगी. आयोग ने पहले ही परीक्षा में बैठने के लिए करीब एक लाख 40 हजार अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी कर दिए हैं. इसके अलावा हरिद्वार में कांवड़ सीजन के चलते 12 जिलों में परीक्षा कराई जाएगी. अब नकल करते पकड़े गए अभ्यर्थियों, जिनको आयोग ने प्रतिबंधित किया है, को छोड़कर सभी अन्य परीक्षा में शामिल होंगे.

यह याचिका जगपाल सिंह, संजय कुमार, शोभा, मनोज सिंह, हेमा,धर्मेंद्र कुमार शर्मा, कुलदीप कुमार व अन्य ने सात अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी, जिनकी एक साथ सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक वे लोग नकल में शामिल नहीं थे और वे उत्तीर्ण हुए हैं. इसलिये उन्हें नौकरी दी जाए, लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को अस्वीकार कर याचिकाएं निस्तारित कर दी.

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