नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने आज दो याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने पहले प्रवक्ताओं से रिकवरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार के रिकवरी आदेश पर रोक (Ban on order to recover from spokespersons) लगाते हुए 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा है.
मामले के मुताबिक, प्रवक्ता द्वारिका प्रसाद, आशीष भटनागर और अन्य ने याचिका दायर कर कहा है कि वे 2006 में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए थे. उनकी संतोषजनक सेवा के उपरांत सरकार ने सरकारी सेवक वेतन नियमावली 2016 (Government Servant Pay Rules 2016) के तहत उन्हें चयनमान वेतन दिया. नियमावली के नियम 13 में भी यह प्रावधान है कि जिस स्तर या लेवल से प्रवक्ताओं को चयन वेतनमान दिया जा रहा है उसमें हर 10 साल में एक वेतन वृद्धि दिया जाना है.
याचिका में यह भी कहा है कि सरकार के शासनादेश दिनांक 6/9/2019 और 13/9/2019 में भी सिर्फ एक वेतन वृद्धि दिए जाने का उल्लेख नहीं है. इन शासनादेशों के आधार के बावजूद विभाग ने उनको दी गई चयनमान एक वेतन वृद्धि को वसूलने के आदेश जारी कर दिए गए. याचिका में यह भी कहा गया है कि चयनमान वेतन को शासनादेशों के आधार पर अतिक्रमित नहीं किया जा सकता है. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए.
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शहरी विकास सचिव से मांगा शपथपत्रः वहीं, एक अन्य मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गरुड़ बागेश्वर के नौघर ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर किए गए अनियमितताओं के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सचिव शहरी विकास से 14 मार्च तक अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च की तिथि नियत की है.
मामले के मुताबिक, नौघर गरुड़ बागेश्वर निवासी नारायण सिंह नयाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके ग्राम पंचायत में 2013 से 2018 के बीच में विकास के नाम पर कई अनियमितताएं विभागीय कर्मचारियों द्वारा की गई है. जो विकास कार्य किए गए हैं वे आधे अधूरे और गुणवत्तायुक्त नहीं हैं. जिसकी शिकायत उनके व अन्य लोगों के द्वारा बार बार उच्च अधिकारियों से की गई.
जांच होने के बाद अनियमितताएं सही पाई गई. उसके बाद भी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. उनके द्वारा जनहित याचिका में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. पूर्व में कोर्ट ने वीडियो से जवाब पेश करने को कहा था. आज वीडियो के द्वारा शपथपत्र पेश किया गया. परंतु कोर्ट उनके शपथपत्र से संतुष्ट नहीं हुई. कोर्ट ने फिर जवाब पेश करने को कहा है.