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शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर डी-नोटिफाइड मामला, 23 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर को डी-नोटिफाइड करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई 23 फरवरी की तिथि नियत की है.

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Published : Jan 5, 2022, 7:08 PM IST

nainital
नैनीताल

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विकास के नाम पर शिवालिक कॉरिडोर को डी-नोटिफाई करने व दिल्ली-देहरादून एनएच के चौड़ीकरण करने के मामले में दायर दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह पर्यावरण से जुड़ा मामला है. इसे विस्तार से सुनना आवश्यक है, क्योंकि पर्यावरण क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती. जबकि विकास एवं पैसे की भरपाई अन्य माध्यमों से भी की जा सकती. इसलिए मामले को विस्तार से सुनना आवश्यक है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी की तिथि नियत की है.

बुधवार को राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूरा एनएच का कार्य पूरा होने वाला है. 3 किलोमीटर राजाजी नेशनल पार्क का कार्य बचा है. इसलिए जनहित याचिका को शीघ्र निस्तारित किया जाए. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं और इसके पूर्ण होने से दिल्ली-देहरादून का सफर दो घंटे के भीतर किया जा सकता है. इसके लंबित होने से सरकार की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.

ये भी पढ़ेंः दून वैली में निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई, HC ने केंद्र व राज्य से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड को 3 किलोमीटर का हाईवे मिल रहा है और यह तीन किलोमीटर राजाजी नेशनल पार्क के क्षेत्र में आ रहा है. तीन किमी के भीतर करीब 8 हजार पेड़ कट रहे हैं, जिसमें 1622 पेड़ साल के 150 साल पुराने हैं, जिससे विकास को कम पर्यावरण को ज्यादा नुकसान हो रहा है. इसलिए हाईवे को दूसरी जगह से बनाया जाए.

मामले के मुताबिक, अमित खोलिया व रेनू पोल ने जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रदेश के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए देहरादून-जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार करने लिए शिवालिक एलिफेंट रिजर्व फॉरेस्ट को डी-नोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया. जिसमें कहा है कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व के डी-नोटिफाइड नहीं करने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही है. लिहाजा इसे डी-नोटिफाइड करना अति आवश्यक है. इस नोटिफिकेशन को याचिकाकर्ताओं द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई.

ये भी पढ़ेंः क्या रैलियां वर्चुअल और वोटिंग ऑनलाइन हो सकती है? HC ने चुनाव आयोग और केंद्र से पूछा

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है, जो करीब 5405 स्क्वायर वर्ग किलोमीटर में फैला है. यह वन्यजीव बोर्ड द्वारा भी डी-नोटिफाइड किया गया क्षेत्र है. उसके बाद भी बोर्ड इसे डी-नोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकता है. वहीं, दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली से देहरादून गणेशपुर के लिए नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण करने से राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसिटिव जोन का 9 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है, जिसमें लगभग 2500 पेड़ साल के हैं. इनमें से कई पेड़ 100 से 150 साल पुराने हैं. जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है. जबकि उत्तराखंड को केवल तीन किलोमीटर का हाईवे मिल रहा है.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विकास के नाम पर शिवालिक कॉरिडोर को डी-नोटिफाई करने व दिल्ली-देहरादून एनएच के चौड़ीकरण करने के मामले में दायर दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह पर्यावरण से जुड़ा मामला है. इसे विस्तार से सुनना आवश्यक है, क्योंकि पर्यावरण क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती. जबकि विकास एवं पैसे की भरपाई अन्य माध्यमों से भी की जा सकती. इसलिए मामले को विस्तार से सुनना आवश्यक है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी की तिथि नियत की है.

बुधवार को राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूरा एनएच का कार्य पूरा होने वाला है. 3 किलोमीटर राजाजी नेशनल पार्क का कार्य बचा है. इसलिए जनहित याचिका को शीघ्र निस्तारित किया जाए. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं और इसके पूर्ण होने से दिल्ली-देहरादून का सफर दो घंटे के भीतर किया जा सकता है. इसके लंबित होने से सरकार की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.

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याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड को 3 किलोमीटर का हाईवे मिल रहा है और यह तीन किलोमीटर राजाजी नेशनल पार्क के क्षेत्र में आ रहा है. तीन किमी के भीतर करीब 8 हजार पेड़ कट रहे हैं, जिसमें 1622 पेड़ साल के 150 साल पुराने हैं, जिससे विकास को कम पर्यावरण को ज्यादा नुकसान हो रहा है. इसलिए हाईवे को दूसरी जगह से बनाया जाए.

मामले के मुताबिक, अमित खोलिया व रेनू पोल ने जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रदेश के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए देहरादून-जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार करने लिए शिवालिक एलिफेंट रिजर्व फॉरेस्ट को डी-नोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया. जिसमें कहा है कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व के डी-नोटिफाइड नहीं करने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही है. लिहाजा इसे डी-नोटिफाइड करना अति आवश्यक है. इस नोटिफिकेशन को याचिकाकर्ताओं द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई.

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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है, जो करीब 5405 स्क्वायर वर्ग किलोमीटर में फैला है. यह वन्यजीव बोर्ड द्वारा भी डी-नोटिफाइड किया गया क्षेत्र है. उसके बाद भी बोर्ड इसे डी-नोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकता है. वहीं, दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली से देहरादून गणेशपुर के लिए नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण करने से राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसिटिव जोन का 9 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है, जिसमें लगभग 2500 पेड़ साल के हैं. इनमें से कई पेड़ 100 से 150 साल पुराने हैं. जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है. जबकि उत्तराखंड को केवल तीन किलोमीटर का हाईवे मिल रहा है.

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